राजस्थान में राजनीतिक अटकलों के बीच भजनलाल सरकार में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. जयपुर में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने ये घोषणा की है. मीणा ने अपना इस्तीफा पत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया है.
हालांकि उनका इस्तीफा अभी मंजूर नहीं किया गया है. ऐसे में सरकार उन्हें मनाने की कोशिश कर सकती है. इस बीच मीणा ने ट्वीट कर लिखा, “रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्राण जाई पर बचन न जाई।। ”
रघुकुल रीति सदा चलि आई।
प्राण जाई पर बचन न जाई।।(श्रीरामचरितमानस)
— Dr. Kirodi Lal Meena (@DrKirodilalBJP) July 4, 2024
आपको बता दें कि किरोड़ी लाल मीणा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि अगर भाजपा दौसा लोकसभा सीट से हार जाती है तो वही इस्तीफा दे देंगे. अब उनके इस ट्वीट को लोकसभा के दौरान दिए उस बयान से जोड़ कर देखा जा रहा है.
वहीं जानकारी के अनुसार कई दिनों से मीणा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को कई पत्र लिखे. इसमें उन्होंने शहर के गांधीनगर इलाके में बहुमंजिला आवासीय परियोजना में सरकारी खजाने को 1146 करोड़ रुपए के संभावित नुकसान की ओर इशारा किया था. इस तरह के पत्रों के सामने आने से अटकलें चलीं थीं कि मीणा अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं.
कौन हैं किरोड़ी लाल मीणा?
किरोड़ी लाल मीणा भारत के एक राजनेता एवं पेशे से चिकित्सक हैं. उन्हें पूर्वी राजस्थान का दमदार नेता माना जाता है. उनकी छवि एक किसान नेता की है. किरोड़ी लाल जी को सब “बाबा” के नाम से भी जानते है.
किरोड़ी लाल मीणा 2 बार लोकसभा के सांसद भी रह चुके हैं. इसके अलावा वह पहले भी 5 बार विधायक रह चुके हैं. मीणा पहली बार वर्ष 1985 में महुवा विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. 1998 में बामनवास विधानसभा सीट से चुनाव जीते. वर्ष 2003 के चुनाव में वे सवाई माधोपुर से चुनाव जीते और वसुंधरा राजे के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री भी रहे.
2008 के चुनाव में वे टोडाभीम विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बने. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने पीए संगमा की पार्टी का दामन थाम लिया. 2013 में लालसोट सीट से डॉ. किरोड़ीलाल मीणा विधायक बने थे. वर्ष 2023 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में सवाई माधोपुर से उन्होंने जीत हासिल की थी.
पहले भी राज्सथान सरकार में मचा चुके हलचल
बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब माणा ने राजस्थान की राजनीति में हलचल पैदा की है इसके पहले 2003-2008 में वसुंधरा राजे की सरकार में उनके राजे के साथ उनके रिश्तों में खटास आ गई थी. और वर्ष 2008 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी फिर 10 वर्षों तक पार्टी से दूर रहने के बाद उन्होंने 2018 में फिर वापसी की.
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