नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा में भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा में शामिल होने के बाद समुद्र तट पर पहुंचीं. उन्होंने कुछ देर वहां बिताए भी. उन्होंने जगन्नाथपुरी के समुद्र तट पर गहन शांति महसूस की. राष्ट्रपति भवन ने उनकी यात्रा के कुछ चित्र और उनके विचार एक्स हैंडल पर साझा किए हैं.
राष्ट्रपति ने भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा में शामिल होने के बाद रविवार को देर शाम अपने एक्स पोस्ट पर लिखा – ‘जय जगन्नाथ, आज पुरी में वार्षिक रथयात्रा के दौरान हजारों हजार भक्तों के साथ भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा को खींचने में सम्मिलित होकर एक आध्यामिक अनुभव का आनंद पाया। पुरी के पवित्र स्थल पर हजारों हजार श्रद्धालुओं के साथ सदियों पुराने धार्मिक आयोजन में सम्मिलित होकर अभिभूत हूं। मेरे लिए यह एक ऐसा अवसर है जब हम उस परमसत्ता का अनुभव कर सकें। भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से पूरे विश्व में शांति और सौहार्द बना रहे।’
Jai Jagannath! It was a deeply divine experience to witness the pulling of the three chariots of Bhagwan Balabhadra, Mata Subhadra and Mahaprabhu Shri Jagannathji by thousands of devotees during the annual Rath Yatra festival in Puri today. I too participated in this centuries… pic.twitter.com/AmceqXokbM
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 7, 2024
रथयात्रा में शामिल होने के बाद समुद्र तट पर पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वहां की भी तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, ” ऐसे स्थान हैं जो हमें जीवन के सार के करीब लाते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि हम प्रकृति का हिस्सा हैं. पहाड़, जंगल, नदियां और समुद्र तट हमारे भीतर की किसी गहरी चीज को आकर्षित करते हैं. जैसे ही मैं आज समुद्र के किनारे चल रही थी, मुझे आसपास के वातावरण के साथ एक जुड़ाव महसूस हुआ- हल्की हवा, लहरों की गड़गड़ाहट और पानी का विशाल विस्तार. यह एक ध्यानपूर्ण अनुभव था.”
There are places that bring us in closer touch with the essence of life and remind us that we are part of nature. Mountains, forests, rivers and seashores appeal to something deep within us. As I walked along the seashore today, I felt a communion with the surroundings – the… pic.twitter.com/mWJ7ya3XLY
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 8, 2024
उन्होंने कहा, ” इससे मुझे गहन आंतरिक शांति मिली, जो मुझे तब भी महसूस हुई जब मैंने कल महाप्रभु श्री जगन्नाथजी के दर्शन किए. और ऐसा अनुभव पाने वाली मैं अकेली नहीं हूं. हम सभी इस तरह महसूस कर सकते हैं जब हमारा सामना किसी ऐसी चीज से होता है जो हमसे कहीं बड़ी है, जो हमें सहारा देती है और जो हमारे जीवन को सार्थक बनाती है.”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लिखा है, ”दैनिक कामकाज की आपाधापी में हम प्रकृति के साथ इस संबंध को खो देते हैं. मानव जाति ने प्रकृति पर कब्जा कर लिया है और अपने अल्पकालिक लाभों के लिए इसका दोहन कर रही है. नतीजा सबके सामने है. इस गर्मी में भारत के कई हिस्सों को लू की भयानक शृंखला का सामना करना पड़ा. हाल के वर्षों में दुनिया भर में मौसम में बदलाव हुआ है. आने वाले दशकों में स्थिति और भी बदतर होने का अनुमान है.”
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा है, ”पृथ्वी की सतह का सत्तर प्रतिशत से अधिक भाग महासागरों से बना है और ग्लोबल वार्मिंग के कारण वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि हो रही है, जिससे तटीय क्षेत्रों के जलमग्न होने का खतरा है. विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के कारण महासागरों और वहां पाई जाने वाली वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता को भारी नुकसान हुआ है.”
उन्होंने कहा है, ” सौभाग्य से प्रकृति की गोद में रहने वाले लोगों ने ऐसी परंपराएं कायम रखी हैं जो हमें रास्ता दिखा सकती हैं. उदाहरण के लिए, तटीय क्षेत्रों के निवासी हवाओं और समुद्र की लहरों की भाषा जानते हैं. अपने पूर्वजों का अनुसरण करते हुए, वे समुद्र को भगवान के रूप में पूजते हैं. मेरा मानना है कि पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण की चुनौती से निपटने के दो तरीके हैं. पहला- सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को व्यापक कदम उठाने चाहिए. दूसरा स्थानीय स्तर पर नागरिक भी इसमें सहयोग करें. आइए बेहतर कल के लिए व्यक्तिगत रूप से स्थानीय स्तर पर जो कुछ भी हम कर सकते हैं, उसे करने का संकल्प लें.”
हिन्दुस्थान समाचार
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