नई दिल्ली: इस साल के मानबहादुर सिंह ‘लहक’ सम्मान के लिए नाम का ऐलान कर दिया गया है. अबकी बार गीत एवं नवगीत आंदोलन परंपरा में अग्रणी पंक्ति की कवयित्री शान्ति सुमन को ये सम्मान प्रदान किया जाएगा. यह जानकारी मानबहादुर सिंह ‘लहक’ सम्मान चयन समिति की विज्ञप्ति में दी गई है. मानबहादुर सिंह लहक सम्मान समिति के सचिव उमाशंकर सिंह परमार ने बताया है कि सम्मान समारोह का आयोजन नवंबर में जमशेदपुर (टाटानगर) झारखंड में किया जाएगा. तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी. उन्होंने बताया कि वयोवृद्ध रचनाकार शांति सुमन नवगीत एवं गीत आन्दोलन में अपने लोकधर्मी जनवादी स्वर के लिए पहचानी जाती हैं. उनके गीत जीवन के वैविध्यपूर्ण सन्दर्भों को लेकर जनविरोधी शक्तियों से मुठभेड़ करने का प्रयास करते हैं .यही उनके गीतों की प्रगतिशीलता है. यहां नारेबाजी-बैनरबाजी कतई नही है तथा लोक और जन के साथ अटूट निष्ठा तथा प्रकृति के पल- पल के क्रियाकलापों के साथ आत्मनिष्ठ़ तादाम्य उनके गीतों में उसी तरह अन्तर्ग्रथित है जैसे गीत में लय अन्तर्निष्ठ़ होती है.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि शांति सुमन का काव्य संसार अपने समय के साथ आने वाले समय को भी रेखांकित करता है. साथ ही उपभोक्तावाद , बाजारवाद और समाज की संरचना के भीतरी दबावों को उजागर करते हुए स्थापित मूल्यों की पड़ताल करता है और बोध देता है कि बाजार से अपदस्थ लोकमूल्य तथा मनुष्य और प्रकृति का सामूहिक साहचर्य ही मनुष्य के सांस्कृतिक मूल्य और जीवन मूल्यों को बचा सकते हैं .
शांति सुमन का विपुल रचना संसार समाज के संरचनात्मक ढांचे में बदलाव और जीवन मूल्यों की पक्षधरता का सृजनात्मक उद्घोष है. हिन्दी गीतों- नवगीतों के इतिहास में उनके इस योगदान को रेखांकित करते हुए उन्हें वर्ष 2024 के मानबहादुर सिंह लहक सम्मान से सम्मानित किया जाएगा.
शांति सुमन का जन्म 15 सितम्बर 1944 को कासिमपुर सहरसा (बिहार) में हुआ था. अपने विद्यार्थीकाल से उन्होने विभिन्न पत्रिकाओं में लिखना शुरू कर दिया. उनके प्रकाशित गीत संग्रह ओ प्रतीक्षित , परछाईं टूटती , सुलगते पसीने, पसीने के रिश्ते, मौसम हुआ कबीर, तप रहे कचनार , भीतर-भीतर आग, पंख-पंख आसमान, (चुने हुए एक सौ एक गीतों का संग्रह), एक सूर्य रोटी पर, धूप रंगे दिन , नागकेसर हवा, मेघ इन्द्रनील (मैथिली गीतों का संग्रह), लय हरापन की । उनके कविता संग्रह हैं-समय चेतावनी नहीं देता , सूखती नहीं वह नदी. तथा उपन्यास जल झुका हिरन है. आलोचना पर भी उनकी किताब है जिसका शीर्षक मध्यवर्गीय चेतना और हिंदी का आधुनिक काव्य. शान्ति सुमन जी ‘सर्जना’, ‘अन्यथा’ (मुजफ्फरपुर), ‘भारतीय साहित्य’, ‘कन्टेम्पररी इंडियन लिटरेचर’ (दिल्ली), ‘बीज’ (पटना) । उनके अनुवाद कार्य में ‘कामायनी’ का मैथिली में अनुवाद 2013 में साहित्य अकादमी से प्रकाशित हुआ था.
हिन्दुस्थान समाचार
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