प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में पहली बार रूस की यात्रा पर मॉस्को में हैं. इस दौरान रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने गर्मजोशी के साथ गले मिलकर पीएम मोदी का वेलकम किया. दोनों देशों के राष्ट्रध्यक्षों ने द्विपक्षीय वर्ता की. इस दौरान पीएम आतंकवाद का मुद्दा उठाया है. पीएम ने कहा कि आतंकवाद हर देश के लिए खतरा बना हुआ है. साथ ही पीएम ने अपनी बातचीत के दौरान कोरोना काल के वक्त हुई भारत-रूस की पेट्रोल-डीजल डील की भी जमकर सराहना की है. वहीं यूक्रेन में रूस की तरफ से लड़ रहे भारतीयों को भी वतन वापस लाने के प्रस्ताव को पुतिन ने हरी झंडी दे दी है. पुतिन ने पीएम मोदी को कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया है. ये शिखर सम्मेलन 22 से 24 अक्टूबर को रूस में आयोजित किया जाएगा.
भारत और रूस की दोस्ती आज की नहीं हैं यह काफी पुरानी है, दोनों ही देश बड़े स्तर पर एक दूसरे से व्यापार करते हैं. बड़ी समस्याओं के समय भी भारत का यह दोस्त उसके साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा रहा है और चला है. दरअसल दोनों देशों की मजबूत दोस्ती की शुरूआत स्वतंत्रता के वक्त से ही हो गयी थी जब भारत में भुखमरी के हालात थे और रूस ने एक लाख टन गेहूं से हमारी मदद की थी.
कई मायनों में खास हैं भारत और रूस के संबंध
भारत और रूस के संबंध दशकों पुराने हैं और साल दर साल यह और मजबूत हुए हैं. पेट्रोल से लेकर अस्त्र-शस्त्र तक दोनों के बीच कई डील्स हो चुकी हैं. वैश्विक मंच पर भी दोनों राष्ट्र एक-दूसरे का खुलकर समर्थन करते हैं. नवंबर 1955 को भारत और रूस के बीच में द्विपक्षीय संबंधों के एक नए अध्याय की शुरूआत हुई थी जो की बदलते वक्त के साथ और भी मजबूत हुए हैं.
1971 के युद्ध में ऐसे की थी मदद
साल 1971 में हुए भारत और पाकिस्तान का वो युद्ध जिसमें बांग्लादेश को पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त कराया था. उस वक्त अपने देश भारत पर भी संकट के बादल मंडरा रहे थे, कोई मदद के लिए तैयार नहीं था उस वक्त रूस न केवल भारत के साथ डटा रहा बल्कि समर्थन देकर रक्षा सहायता भी उपलब्ध करवाई थी. ऐसे कठिन समय में देश को युद्ध की सामग्री भी दी गई थी. रूस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का समर्थन करने के साथ सभी को इस युद्ध के बारे में भी समझाया था.
कश्मीर में आतंकवाद के मुद्दे पर रूस ने अकसर भारत का साथ दिया है. दोनों देशों के बीच कई चीजों का आयात-निर्यात किया जाता है. पेट्रोलियम, एग्रीकल्चर, तेल, फर्टिलाइजर समेत कई उत्पादों का व्यापार होता आया है. साथ ही भारत खासतौर पर पर्ल, कीमती स्टॉन, फर्टिलाइजर्स, मिनरल फ्यूल आदि को खासतौर पर आयात करता है. यह ट्रेड जहां साल 2020-21 में 2,110.67 मिलियन डॉलर्स का था वहीं FY2021-22 में 5,250.08 हो गया था. इसमें धातुओं कीमती पत्थरों समेत मोतियों का व्यापार बड़े पैमाने पर हुआ है.
भारत से इन उत्पादों को खरीदता है रूस
भारत और रूस का बढ़ता व्यापार दोनों देशों की दोस्ती की मजबूती दिखाता है. बीते सालों में रूस ने भारत से आने वाले उर्वरकों की खरीद पर एक मोटी राशि खर्च की है जो की साल 2020-21 में 595.98 मिलियन डॉलर से छलांग लगाकर 2021-22 तक 773.54 मिलियन डॉलर्स तक जा पहुंचा. साथ ही वनस्पति तेल का आयात भी भारत बड़ी मात्रा में करता है, साल 2022 में यह 494.13 मिलियन डॉलर्स तक हो गया है. रूस एग्रीकल्चर और इससे जुड़े सामानों को बड़े पैमाने पर भारत से आयात करता है.
ये भी पढ़े- पश्चिम बंगाल की 4 विधानसभा सीटों पर कल होंगे उपचुनाव, TMC और बीजेपी में सीधी टक्कर
कमेंट