नई दिल्ली: भारत और ताइवान के बीच जैविक उत्पादों के व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए लिए पारस्परिक मान्यता समझौता (एमआरए) लागू हो गया है. ये समझौता नई दिल्ली में आयोजित व्यापार संबंधी 9वें कार्य समूह की बैठक के दौरान 8 जुलाई, 2024 से लागू किया गया है.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में बताया कि भारत और ताइवान के बीच एमआरए का कार्यान्वयन एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. यह जैविक उत्पादों के लिए पहला द्विपक्षीय समझौता है. एमआरए के लिए कार्यान्वयन एजेंसियां भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण और ताइवान के कृषि मंत्रालय के तहत कृषि एवं खाद्य एजेंसी हैं.
इस समझौते के आधार पर राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के अनुरूप जैविक रूप से उत्पादित कृषि उत्पादों को एनपीओपी के तहत एक मान्यता प्राप्त प्रमाणन निकाय द्वारा जारी जैविक प्रदर्शन दस्तावेज (लेन-देन प्रमाण पत्र, आदि) के साथ ताइवान में “इंडिया ऑर्गेनिक” लोगों के प्रदर्शन सहित बिक्री की अनुमति है. इसी तरह जैविक कृषि संवर्धन अधिनियम के अनुरूप जैविक रूप से उत्पादित और संभाले गए कृषि उत्पादों को ताइवानी विनियमन के तहत एक मान्यता प्राप्त प्रमाणन निकाय द्वारा जारी किए गए जैविक प्रदर्शन दस्तावेज़ (लेन-देन प्रमाण-पत्र आदि) के साथ भारत में “ताइवान ऑर्गेनिक” लोगो के प्रदर्शन सहित बिक्री की अनुमति है.
मंत्रालय ने कहा कि पापस्परिक मान्यता से दोहरे प्रमाणपत्रों से बचकर जैविक उत्पादों के निर्यात में आसानी होगी. ऐसा करने से अनुपालन लागत कम होगी, सिर्फ एक विनियमन का पालन करके अनुपालन आवश्यकता सरल हो जाएगी और जैविक क्षेत्र में व्यापार के अवसर बढ़ जाएंगे. एमआरए प्रमुख भारतीय जैविक उत्पादों, जैसे चावल, प्रसंस्कृत खाद्य, हरी/काली और हर्बल चाय, औषधीय पौधों के उत्पादों आदि का ताइवान में निर्यात का मार्ग प्रशस्त करेगा.
हिन्दुस्थान समाचार
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