बिहार की सियासत में अब पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा का नाम भी जुड़ गया है. मनीष वर्मा ने जनता दल यूनाइटेड यानि जेडीयू के साथ अपने सियासी सफर को शुरू किया है. मनीष वर्मा ने जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. वहीं मनीष वर्मा को नीतीश कुमार ने पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव भी बना दिया है. मनीष वर्मा ने जेडीयू जॉइन करने के बाद कहा कि पहले नीतीश जी के दिल में था और अब मैं उनके दल में आ गया हूं. उन्होंने कहा कि यहां मौजूद सभी नेताओं से कुछ न कुछ सीखने का मौका मिला है.
बता दें मनीष वर्मा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सचिव रह चुके हैं और उनकी ही जाति से आते हैं. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मनीष की जेडीयू में एंट्री और प्रमुख जिम्मेदारी देने को नीतीश कुमार की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. इससे पहले नीतीश कुमार ने संजय झा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था. जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में उन्हें नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी कहा जाने लगा.
मनीष पर क्यों चला दांव?
2020 विधानसभा चुनाव के समय नीतीश कुमार ने इमोशनल कार्ड चलते हुए आखिरी चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. जिसके बाद से ही उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा होना शुरू हो गई थी. सीएम नीतीश कुमार और मनीष वर्मा दोनों ही कुर्मी जाति से आते हैं. मनीष और संजय झा के नामों की चर्चा भी सियासी गलियारों में तेज हो गई थी. संजय झा के नाम की चर्चा से जेडीयू नेताओं को कुर्मी वोट में भी विपक्ष के सेंध लगाने का डर लगने लगा था. क्योंकि आरजेडी हाल के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा वोटबैंक में सेंध लगाने में सफल रही थी. लेकिन पॉलिटिकल पंडित मानते हैं नीतीश की एनडीए में वापसी के बाद से ही संजय झा का कद निरंतर मजबूत होता गया लेकिन अब नीतीश ने अपने गृह जिले और अपनी ही जाति से आने वाले मनीष वर्मा की एंट्री कराकर पावर बैलेंस कर दिया है.
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार कब क्या चाल चलेंगें. ये सिर्फ वही जानते हैं उनके आसपास के नेता भी उनकी चाल को भांप नहीं सकते.
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