नई दिल्ली: ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा देते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सशस्त्र बलों और एयरोस्पेस एवं रक्षा क्षेत्रों की जरूरतों को देखते हुए सात नई परियोजनाएं मंजूर की हैं. प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना के तहत स्वीकृत इन परियोजनाओं का मकसद रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्टअप को बढ़ावा देना है. इन प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास से सैन्य औद्योगिक इको सिस्टम मजबूत होगा.
1. स्वदेशी परिदृश्य और सेंसर सिमुलेशन टूलकिट
इस परियोजना में वास्तविक परिदृश्यों में पायलटों के सिम्युलेटर प्रशिक्षण के लिए एक स्वदेशी टूलकिट का विकास है. इससे पूर्ण मिशन योजना और भारी बल भागीदारी में मदद मिलेगी. यह परियोजना नोएडा के स्टार्टअप ऑक्सीजन 2 इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड को दी गई है.
2. अंडर वाटर प्रक्षेपित मानवरहित हवाई वाहन
यह परियोजना बहुमुखी समुद्री युद्ध क्षेत्र सहायक उपकरण से संबंधित है, जिसे युद्ध की कई भूमिकाओं में तैनात किया जा सकता है. इसका उद्देश्य खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) तथा समुद्री डोमेन जागरुकता (एमडीए) है. यह परियोजना पुणे की सागर डिफेंस इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को दी गई है.
3. डिटेक्शन और न्यूट्रेलाइजेशन के लिए लम्बी दूरी का रिपोर्ट चालित वाहन
ये वाहन दोहरे उपयोग वाली प्रणालियां पानी के नीचे की वस्तुओं का पता लगाने, उन्हें वर्गीकृत करने, उनका स्थान निर्धारित करने और उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम होंगी. इस परियोजना का काम कोच्चि के स्टार्टअप आईआरओवी टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है.
4. विमान के लिए आईस डिटेक्शन सेंसर का विकास
इस परियोजना का उद्देश्य उड़ान के दौरान बर्फ जमने की स्थिति का पता लगाना है, जो सुपर कूल्ड पानी की बूंदों के कारण विमान की बाहरी सतहों से टकराने के बाद जम जाती है. इन्हें विमान में एंटी-आइसिंग मैकेनिज्म को चालू करने के लिए उपयोग किया जाता है. यह परियोजना बेंगलुरु की कंपनी क्राफ्ट लॉजिक लैब्स प्राइवेट लिमिटेड को दी गई है.
5. एक्टिव एंटीना ऐरे सिम्युलेटर के साथ राडार सिग्नल प्रोसेसर का विकास
यह परियोजना छोटी दूरी की हवाई हथियार प्रणालियों के परीक्षण और मूल्यांकन के लिए विविध लक्ष्य प्रणाली की तैनाती को सक्षम बनाएगी. यह बड़ी राडार प्रणालियों के लिए बुनियादी निर्माण ब्लॉक के रूप में कार्य करेगी. यह परियोजना चेन्नई की फर्म डेटा पैटर्न (इंडिया) लिमिटेड को सौंपी गई है.
6. भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट प्रणाली आधारित समय अधिग्रहण और प्रसार प्रणाली का विकास
इस परियोजना की मंजूरी बेंगलुरु की एकॉर्ड सॉफ्टवेयर एंड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को दी गई है. इसका उद्देश्य समय अधिग्रहण और प्रसार प्रणाली के स्वदेशीकरण को सक्षम करना, समय प्राप्त करने के लिए भारतीय नक्षत्र का उपयोग करना तथा रेंज आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित एवं लचीली समय प्रणाली का विकास करना है.
7. ग्राफीन आधारित स्मार्ट और ई-टेक्सटाइल का विकास
कोयंबटूर के स्टार्ट-अप एलोहाटेक प्राइवेट लिमिटेड को इस परियोजना के लिए मंजूरी दी गई है. यह ग्रेफीन नैनोमटेरियल और कंडक्टिव स्याही का उपयोग करके कंडक्टिव यार्न और फैब्रिक बनाने की प्रक्रिया विकसित करेगी. इसका परिणाम उन्नत नैनोकंपोजिट सामग्री-आधारित ई-टेक्सटाइल होगा, जिसमें व्यावहारिक कपड़ों के अनुप्रयोगों के लिए बुनियादी लाभों का उपयोग किया जाएगा.
हिन्दुस्थान समाचार
कमेंट