भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण यानि एएसआई ने मध्य प्रदेश के धार भोजशाला में सर्वे करने के बाद अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है. अब हाईकोर्ट 22 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करेगा. बता दें हाईकोर्ट के आदेश के बाद एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी के निर्देशन में यह सर्वे कराया गया था. इस दौरान 1700 से ज्यादा पुरावशेष खोदाई में मिले हैं. इनमें देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां भी शामिल हैं. खोदाई में मिली सबसे खास मूर्ति मां वाग्देवी यानि सरस्वती की खंडित मूर्ति है.
भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने सर्वे को लेकर बड़े खुलासे किए है. उन्होंने बताया है कि अब तक जो पुरावशेष मिले हैं, वे भोजशाला को मंदिर साबित कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अब तक खोदाई में 37 मूर्तियां मिली हैं. इनमें भगवान श्रीकृष्ण, जटाधारी भोलनाथ, हनुमान, शिव, ब्रह्मा, वाग्देवी, भगवान गणेश, माता पार्वती, भैरवनाथ आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं.
जानकारी के मुताबिक इस रिपोर्ट में भोजशाला के खंभों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति और निशान का जिक्र किया गया है. वहीं रिपोर्ट के अनुसार परिसर से 10वीं सदी के चांदी, तांबे, एल्यूमीनियम और स्टील के कुल 31 सिक्के बीते दिनों पाए गए है. इसके अलावा यह भी दावा किया गया कि कुछ सिक्के उस समय के भी हैं जब जब परमार राजा धार में अपनी राजधानी के साथ मालवा में शासन कर रहे थे.
3 महीने तक चला सर्वे
11 मार्च को इंदौर हाईकोर्ट ने ASI को भोजशाला में 500 मीटर के दायरे में वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया था. यह सर्वे 22 मार्च से शुरू होकर 27 जून तक चला था. सर्वे की फोटोग्राफी और वीडियग्राफी भी की गई. खुदाई के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की भी मदद ली गई.
क्या है विवाद?
भोजशाला परिसर का संबंध राजा भोज से है. कुछ हिंदू संगठनों का दावा है कि भोजशाला का विवादित स्मारक देवी वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर है. इसके सबूत के तौर पर हिंदू पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में तस्वीरें भी पेश की गईं. फिलहाल यह भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन है और इसका संरक्षण एएसआई करती है. एएसआई ने 7 अप्रैल 2003 को एक आदेश दिया जिसके मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है. वहीं मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई. मुस्लिम समाज इस भोजशाला को कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं.
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