कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के खिलाफ किसी भी तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी पर अंतरिम रोक लगाने के बावजूद, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता सोशल मीडिया पर अपने तंज जारी रखे हुए हैं.
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर बंगाली में एक पोस्ट करते हुए कहा है कि राज भवन के एक प्रभावशाली निवासी पर महिलाओं के साथ बुरा बर्ताव करने के गंभीर आरोप हैं. घोष ने दावा किया कि ऐसे मामले दिल्ली के ताज पैलेस होटल से लेकर राज भवन तक फैले हुए हैं.
उन्होंने कहा है, “जांच होनी चाहिए. कौन इसका विरोध करेगा? मैंने कहा था, मैं फिर कहूंगा.”
महुआ मोइत्रा ने भी लगाए आरोप
कुणाल ने सीधे राज्यपाल का नाम नहीं लिया, लेकिन टीएमसी के कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने सीधे राज्यपाल का जिक्र किया है. उन्होंने बुधवार को कहा है, “अविश्वसनीय. राज्यपाल राजभवन परिसर में महिलाओं का यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ करेंगे, संवैधानिक सुरक्षा का दावा करेंगे और राज्य की मुख्यमंत्री को इस पर टिप्पणी करने से रोका जाएगा!! हम हर दिन संविधान दिवस मनाते हैं और हम बोलते रहेंगे.”
Unbelievable. Governor will molest & sexually harass women in Rajbhavan premises, claim constitutional immunity & state CM is told to not comment on it!! Sorry we celebrate Samvidhan Diwas everyday & we’ll keep speaking out. @MamataOfficial
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) July 16, 2024
ममता बनर्जी के वकील का बयान
कलकत्ता हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को मंगलवार शाम अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए जाने के तुरंत बाद, ममता बनर्जी के वकील संजय बोस ने एक बयान जारी किया. इसमें उन्होंने दावा किया कि अदालत ने अभी तक यह निष्कर्ष नहीं निकाला है कि मानहानि के मुकदमे में चुनौती दी गई टिप्पणियां अपमानजनक या गलत थीं.
बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने केवल उन कई महिलाओं की चिंताओं का उल्लेख किया था जो उनके पास आई थीं.
उन्होंने कहा, “सीएम के पास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत बोलने की आजादी का अधिकार है. वह राज्य की महिलाओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं और किसी भी मामले में वह किसी भी अन्याय के खिलाफ खड़ी हैं. एक जनप्रतिनिधि और एक महिला के रूप में, वह महिलाओं की तकलीफ और शिकायतों को अनदेखा नहीं कर सकतीं. इसलिए, चूंकि मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयानों को अपमानजनक नहीं पाया गया है, हमें विश्वास है कि बोलने पर रोक का आदेश अनुचित है. अन्याय और लिंग असमानता के विरोध का प्रतिनिधित्व करने वाले उनके बयानों को रोका नहीं जा सकता और इस अर्थ में, माननीय अदालत के आदेश को चुनौती दी जाएगी.”
हिन्दुस्थान समाचार
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