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बांग्लादेश में आरक्षण पर रार… हिंसा और आगजनी से हालात बेहद खराब, 39 की मौत, स्वदेश लौटे भारतीय छात्र

प्रदर्शनकारियों की मांग है कि शेख हसीना सरकार 1971 के युद्ध के पूर्व सैनिकों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण को बंद करे. बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत 7 अगस्त को इस कोटा को बहाल करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई करेगी. 

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Jul 19, 2024, 01:28 pm IST
बांग्लादेश में आरक्षण खत्म कराने के लिए प्रदर्शन तेज

बांग्लादेश में आरक्षण खत्म कराने के लिए प्रदर्शन तेज

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बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर छात्रों का आंदोलन हिंसक होता जा रहा है. प्रदर्शनकारी छात्र बड़े पैमाने पर बसों और निजी वाहनों को आग लगा रहे हैं.  वहीं हिंसा में अबतक 39 लोगों की जान भी जा चुकी है. प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हो रही है. बांग्लादेश में ट्रेन, बस और मेट्रो सेवा पूरी तरह ठप पड़ी है. आग की चिंगारी और ज्यादा ना भड़के इसके लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया है. स्कूल, कॉलेज के साथ-साथ मदरसों को भी अनिश्चितकाल तक के लिए बंद कर दिया गया है. सेना को हालात संभालने के लिए सड़कों पर उतारा गया है. कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के निर्देश दिए हैं. हिंसा के कारण बांग्लादेश में टेलीविजन समाचार चैनल बंद हो गए हैं, दूरसंचार सेवाएं बाधित हो गई हैं और कई समाचार पत्रों की वेबसाइटें और सोशल मीडिया खाते निष्क्रिय हो गए हैं.

बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था प्रधानमंत्री शेख हसीना के टेलीविजन नेटवर्क पर आकर संघर्षों को शांत करने की अपील के एक दिन बाद राष्ट्रीय प्रसारक के भवन में आग लगा दी. कई पुलिस पोस्ट, वाहन और अन्य प्रतिष्ठान भी जला दिए गए. कई अवामी लीग के पदाधिकारियों पर भी छात्रों ने हमला किया.

बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा व्यवस्था के खिलाफ चल रहे देशव्यापी बांग्लादेश में कुल 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं. इनमें से 30 प्रतिशत 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए, पांच प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक प्रतिशत विकलांग लोगों के लिए आरक्षित हैं. आंदोलन स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण के खिलाफ ही छात्र आंदोलन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि शेख हसीना सरकार 1971 के युद्ध के पूर्व सैनिकों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण को बंद करे. बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत 7 अगस्त को इस कोटा को बहाल करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई करेगी.

हिंसा के बीच भारत ने अपने छात्रों को निकाला

विरोध प्रदर्शनों के कारण मेडिकल की पढ़ाई कर रहे 100 से अधिक भारतीय छात्र वहां फंस गए हैं. इन छात्रों को वीजा बढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई और कई छात्राओं के साथ विभिन्न स्थानों पर छेड़छाड़ की घटनाएं भी सामने आई हैं. बांग्लादेश की मजहबी कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने इन छात्रों को बंधक बना कर फिलिस्तीन शैली के समझौते की योजना बनाई है.  इस संकटपूर्ण स्थिति के बीच 202 से अधिक भारतीय नागरिक, जिनमें अधिकांश छात्र हैं, मेघालय के दावकी इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट के रास्ते भारत वापस लौट आए हैं. इनमें से 161 छात्र, जिनमें से 63 मेघालय के हैं, उन्हें सुरक्षित निकाला गया.

हिन्दुस्थान समाचार

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Tags: BangladeshViolenceReservatiomIndia evacuated its citizens
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