दिल्ली- एनसीआर का नाम लेते ही बड़ी बडी मल्टीनेशल कंपनियो के दफ्तर, गगन चुंबी इमारतों का दृश्य आंखों के सामने आता है. देशभर के कोने-कोने से लोग काम करने के लिए एनसीआर का रूख करते हैं. वहीं अब एनसीआर की तर्ज पर ही यूपी में एससीआर विकसित होने जा जा रहा है. यूपी सरकार ने इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है.
एससीआर का मतलब है स्टेट कैपिटल रीजन, यानि राजधानी लखनऊ के आसपास के जिलों को मिलाकर स्टेट कैपिटल रीजन डैवल्प किया जाएगा. बता दें एससीआर में कुल 6 जिले होंगे. जिनमें, लखनऊ, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर और बाराबंकी शामिल हैं. अब सरकार इन जिलों की 27 हजार 860 वर्ग मीटर क्षेत्रफल जमीन का अधिग्रहण करेगी.
मुख्यमंत्री होंगे चेयमैन
एससीआर प्राधिकरण के चेयरमैन राज्य के मुख्यमंत्री होंगे. वहीं मुख्य सचिव, विभागीय अपर मुख्य सचिव, विभागीय सचिव, अपर मुख्य सचिव और कई महत्वपूर्ण विभागों के सचिव इसके सदस्य होंगे.साथ ही सभी 6 जिलों के डीएम और विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी इसके सदस्य बनाए जाएंगे. इतना ही नहीं भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय द्वारा नामित अधिकारी भी प्राधिकरण के सदस्य होंगे. एससीआर प्राधिकरण के सचिव का पद डिविजनल कमिश्नर लखनऊ के पास रहेगा.
SCR से क्या होगा फायदा?
दरअसल, यूपी, बिहार और बंगाल से बड़ी संख्या में लोग दिल्ली- एनसीआर में रोजगार के लिए आते हैं. अपना घर छोड़कर यहां नौकरी करने आना उनकी मजबूरी है. क्योंकि इन राज्यों में रोजगार के अवसर नहीं हैं. अब यूपी सरकार की पहल के बाद लखनऊ और आसपास के जिलों में शहरीकरण के लिए उचित ढांचा तैयार कराया जाएगा. जिसके बाद कंपनियां एससीआर का रूख करेंगी और पूर्वी यूपी, बिहार के लोगों को वहां रोजगार मिल सकेगा. उन्हें रोजगार के लिए दिल्ली या अन्य शहरों में नहीं जाना पड़ेगा.
क्या है NCR?
NCR का मतलब नेशनल कैपिटल रीजन होता है. जिसके अंतर्गत दिल्ली के 11 जिलों के साथ हरियाणा के 14 और यूपी के 8 जिले आते हैं. एनसीआर में देश के कोने-कोने से आकर लोग बस हैं. यहां मल्टीनेशल कंपनियां, केंद्र सरकार के ऑफिस, मीडिया हाउस सहित कई तरह के उद्योग हैं.
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