बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध में शुरू हुआ छात्रों का प्रोटेस्ट अब हिंसक रूप ले चुका है. प्रदर्शनकारियों ने जगह- जगह आगजनी की और पब्लिक प्रोपर्टी को नुकसान पहुंचाया. जमकर तोड़ फोड़ की गई. पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की कई बार झड़प हो गई. वहीं हिंसा में अबतक 135 लोग मारे जा चुके हैं. दर्जनों लोग घायल हैं. हालात ये हो गए कि देश में कर्फ्यू तक लगाना पड़ गया. इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए गए हैं.
वहीं हिंसा के बीच बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आज बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के लिए 30 फीसद आरक्षण के कोटे को घटाकर 5 फीसदी कर दिया और सामान्य लोगों के लिए 93 फीसद आरक्षण रखा है.
बांग्लादेश का आरक्षण सिस्टम समझिए
साल 1971 में बांग्लादेश आजाद हुआ था और उसी समय वहां 80 फीसदी कोटा सिस्टम लागू कर दिया गया. इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के लिए 30 फीसद आरक्षण, पिछड़े जिलों के लिए 40 फीसद और महिलाओं को 10 फीसद आरक्षण मिला. बाकी का 20 फीसद सामान्य छात्रों के लिए रखा गया था. लेकिन 1976 और 1985 में विरोध प्रदर्शनों के बाद पिछड़े जिलों का आरक्षण कम करके सामान्य छात्रों का कोटा 45 फीसद तक किया गया. वहीं अब छात्र स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के लिए 30 फीसद आरक्षण का विरोध कर रहे थे. विरोध प्रदर्शन उग्र आंदोलन में बदल गया. अब सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों को जरूर राहत दी है.
PM शेख हसीना के इंटरव्यू के बाद बढ़ा विवाद
दरअसल, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने 14 जुलाई को एक सरकारी चैनल पर आरक्षण को लेकर इंटरव्यू दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-पोते को आरक्षण नहीं मिलेगा तो क्या रजाकारों के पोतों को मिलेगा…’ इस बयान के बाद पूरे देश में चल रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया. प्रदर्शनकारियों ने उस सरकारी चैनल को भी आग के हवाले कर दिया जहां पीएम ने इंटरव्यू दिया था.
रजाकार कौन थे?
बात 1971 की है. जब बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम शुरू हुआ था. पाकिस्तान की सेना सरेआम बांग्लादेश में उत्पात मचा रहीं थी. बांग्लादेशियों पर अत्याचार किए जा रहे थे. पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश की आवाज को दबाने के लिए तीन मुख्य मिलिशिया बनाए गए थे, जिन्हें रजाकार, अल-बद्र और अल-शम्स के नाम से जाना गया. इन रक्षक सेनाओं ने बंगाली औरतों का बलात्कार किया. बड़े पैमाने पर लोगों की हत्या की गई. ये लोग बांग्लादेश बनाने के विरोधी थे. बांग्लादेश की जंग के बाद रजाकार को गद्दार के मतलब से पहचाना जाने लगा. बता दें पाक जनरल टिक्का खान ने ही रजाकार सेना बनाई थी.
ये भी पढ़े- नेशनल हेराल्ड मामला: दिल्ली HC ने सोनिया- राहुल और स्वामी से लिखित में मांगा जवाब, बहस की दी तारीख
कमेंट