जम्मू कश्मीर में सैनिकों के बलिदान में हुई बढ़ोतरी का मुद्दा संसद में उठा. जिसका गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जवाब दिया. उन्होंने आतंकवादी घटनाओं पर जानकारी दी. साथ ही उन्होंने आतंकवाद विरोधी प्रयासों में हुई महत्वपूर्ण प्रगति और तेजी पर प्रकाश भी डाला.
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में 28 आतंकवादी मारे गए हैं. दुखद बात यह है कि हमारे कुछ सैनिक भी गोलीबारी में बलिदान हुए हैं. हालांकि बलिदानी सैनिकों की संख्या, मारे गए आतंकवादियों की तुलना में बहुत कम है. उन्होंने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी या तो जेल जाएंगे या फिर जहन्नुम भेजे जाएंगे. नरेन्द्र मोदी सरकार की नीति आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की है.
जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को लेकर उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में जम्मू-कश्मीर में 2 करोड़ 11 हजार पर्यटक आए. वहां शांति बहाल हो गई है, यही वजह है कि पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है. आतंकवाद पर सरकार के कड़े रुख पर प्रकाश डालते हुए राय ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस रखते हैं. केंद्रशासित प्रदेश में हिंसा को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा.
और अधिक जानकारी देते हुए राय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 2004 से 2014 तक कुल 2819 लोग मारे गए और इन दस वर्षों में 941 मौतें हुई हैं, जो 66 प्रतिशत कम हुई हैं. नित्यानंद राय ने कांग्रेस से तुलना करते हुए कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब की तुलना में अब 80 प्रतिशत लोगों की मृत्यु कम हुई हैं.
राय ने बताया कि 2004-2014 के बीच जब केंद्र में यूपीए का शासन था, तब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की 7,217 घटनाएं हुई थीं. उन्होंने बटाया कि 2014 में जब भाजपा सत्ता में आई थी तब से इस वर्ष 21 जुलाई को यह संख्या घटकर 2,259 रह गई है.
अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, भारतीय सेना ने कम से कम 900 आतंकवादियों को मार गिराया है. जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा गृह मंत्रालय को दी गई एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए राय ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान पर्यटन क्षेत्र ने 15.13 प्रतिशत की वार्षिक औसत वृद्धि दर दर्ज की गई है.
आपको बता दें कि नित्यानंनद राय का ये स्पष्टिकरण ऐसे समय में आया जब कठुआ, डोडा और उधमपुर में आतंकी हमले हुए. जिसमें सेना पर हमला किया गया. इस दौरान कई जवान बलिदान हो गए.
आपको बता दें कि नित्यानंनद राय का ये स्पष्टिकरण ऐसे समय में आया जब कठुआ, डोडा और उधमपुर में आतंकी हमले हुए. जिसमें सेना पर हमला किया गया. इस दौरान कई जवान बलिदान हो गए.
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