गांधीनगर: बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन भड़कने के कारण वहां हिंसा का माहौल बन गया है और अनेक लोगों की जानें भी गई हैं. ऐसे हिंसक माहौल के दौरान बांग्लादेश में फंसे गुजरात के 14 विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री के दिशानिर्देश में सुरक्षित गुजरात वापस लाया गया है. मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा विदेश मंत्रालय के साथ त्वरित समन्वय करने के चलते एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए वहां गए 14 विद्यार्थी सकुशल अपने परिवार के पास लौट आए हैं.
केंद्र और राज्य सरकार ने गुजरात से पढ़ाई या रोजगार के लिए विदेश जाने वाले नागरिकों की सुरक्षा की हमेशा चिंता की है. बांग्लादेश के अलावा विभिन्न प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं के दौरान विदेशों में फंसे गुजरात के नागरिकों एवं विद्यार्थियों को सुरक्षित गुजरात वापस लाने के लिए भारत सरकार द्वारा कई ऑपरेशन भी चलाए गए हैं. इन ऑपरेशनों के परिणामस्वरूप कोरोना महामारी से लेकर अब तक लगभग 4,92,701 गुजराती नागरिकों को विभिन्न देशों में उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों के बीच से निकालकर सुरक्षित गुजरात वापस लाया गया है.
कोविड-19 की वैश्विक महामारी के दौरान पूरी दुनिया में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था, जिसके कारण भारतीय नागरिक दुनिया के कई देशों में फंस गए थे. उस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में भारत सरकार के विदेश मामलों के मंत्रालय ने दुनिया भर में फंसे भारतीयों को स्वदेश वापस लाने के लिए ‘वंदे भारत मिशन’ के अंतर्गत विशेष इवैक्यूएशन फ्लाइटों का संचालन किया गया.
इस मिशन के तहत विदेशों में फंसे गुजरातियों को वापस लाने के लिए राज्य सरकार ने कई ठोस कदम उठाए थे. वंदे भारत मिशन के संचालन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए गुजरात राज्य अनिवासी गुजराती प्रतिष्ठान (एनआरजीएफ), गुजरात पर्यटन निगम लिमिटेड, गुजरात एयरपोर्ट पुलिस, गुजरात राज्य परिवहन निगम, जिला पंचायत अहमदाबाद, संबंधित जिला प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग ने साथ मिलकर काम किया था. इसके परिणामस्वरूप, कोविड-19 के दौरान वंदे भारत मिशन के अंतर्गत कुल 4,90,701 गुजराती नागरिकों को गुजरात वापस लाया गया था.
इसके अलावा, 11 जून, 2020 को 233 गुजराती मछुआरों को भारतीय नौसेन्य पोत (आईएनएस) शार्दुल नामक जहाज में पोरबंदर के बंदरगाह पर लाया गया था. उन्हें पोरबंदर जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए जिला सरकारी क्वारंटाइन सेंटर में क्वारंटाइन किया गया था. इसके साथ ही कोरोना काल में 42 गुजराती नागरिक वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान से लौटे थे.
रूस और यूक्रेन के बीच चले रहे युद्ध के कारण यूक्रेन में हालात बेहद नाजुक हो गए हैं. इसके कारण यूक्रेन में पढ़ाई करने के लिए गए गुजराती विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर खतरा पैदा हो गया है. हालांकि, संकट की इस घड़ी में गुजरात सरकार उनके साथ मजबूती से खड़ी है. गुजरात सरकार के एनआरआई प्रभाग के अंतर्गत कार्यरत गुजरात राज्य अनिवासी गुजराती प्रतिष्ठान द्वारा यूक्रेन में फंसे गुजरातियों की मदद के लिए हेल्पलाइन शुरू की गई है. गुजरात के विभिन्न जिलों से यूक्रेन में फंसे गुजरातियों की जानकारी विदेश मंत्रालय और यूक्रेन स्थित भारत के दूतावास को भेजी गई है.
इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ शुरू किया गया है, जिसके अंतर्गत पढ़ने के लिए यूक्रेन गए 1386 अनिवासी गुजरातियों को वापस गुजरात लाया गया है. इसके अलावा गुजरात सरकार के प्रथम श्रेणी के अधिकारी राज्य के सभी जिलों में यूक्रेन में फंसे विद्यार्थियों के परिवारों से रूबरू होकर उन्हें केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों से अवगत करा रहे हैं.
सूडान और इजराइल में फंसे गुजरातियों के लिए संकटमोचक बने ‘ऑपरेशन कावेरी’ और ‘ऑपरेशन अजय’
सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच चल रहे गृहयुद्ध के कारण अनेक भारतीय वहां फंसे हुए हैं. सूडान में फंसे नागरिकों को स्वदेश वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय द्वारा ‘ऑपरेशन कावेरी’ चलाया गया. सूडान में फंसे गुजरातियों को वापस लाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र टेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी के नेतृत्व में कार्य किया गया. ‘ऑपरेशन कावेरी’ के अंतर्गत 569 अनिवासी गुजरातियों को गुजरात वापस लाया गया है.
उधर, इजराइल और फिलिस्तीन के बीच छिड़े युद्ध के कारण इजराइल में भी भारत के अनेक नागरिक फंसे हैं, जिन्हें स्वदेश वापस लाने के लिए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा ‘ऑपरेशन अजय’ चलाया गया है. इस ऑपरेशन के अंतर्गत अब तक 30 अनिवासी गुजरातियों को स्वदेश वापस लाया गया है.
हिन्दुस्थान समाचार
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