राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर केस में जोधपुर की ACJM सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद नया मोड आया है. कोर्ट ने 7 साल पुराने एनकाउंटर मामले में 5 पुलिस अधिकारियों को धारा 302 के तहत दोषी ठहराया है. और उनपर हत्या का केस चलाने का आदेश दिया है. वहीं कोर्ट ने सीबीआई द्वारा सौंपी गई क्लोजर रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया.
इन अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
एनकाउंटर में शामिल तत्कालीन चुरु एसपी राहुल बारहट, तत्कालीन एडिशनल एसपी विद्या प्रकाश चौधरी, डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़, आरएसी हेड कांस्टेबल कैलाश के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.
कैसे हुआ था एनकाउंटर?
बता दें 24 जून 2017 को देर रात शेखावटी चुरु के मालासर गांव में SOG ने आनंदपाल का एनकाउंटर किया था. पुलिस के मुताबिक, आनंदपाल के साथियों ने ही बताया था कि वो सालासर में छिपा हुआ है. जिसके बाद एसओजी की टीम वहां पहुंच गई. इलाके की घेराबंदी कर ली गई. लेकिन छत से गोलीबारी हुई इस दौरान आनंदपाल और उसके दो साथियों ने एक-47 समेत अन्य हथियारों से करीब 100 राउंड फायर किए थे, जवाबी कार्रवाई में एसओजी की टीम ने भी फायरिंग की. जिसमें आनंदपाल मारा गया. जिन पुलिस अधिकारियों ने ये कार्रवाई की थी. उन्हें सम्मानित भी किया गया था और उन्हें प्रमोशन भी दिया गया था.
परिजनों ने बताया एनकाउंटर को फर्जी
जब आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ तो उसके समाज के लोगों ने इस एनकाउंटर का विरोध किया और इसे फर्जी एनकाउंटर बताया था. आनंदपाल के परिजनों ने भी फर्जी एनकाउंटर की बात कही थी. उस समय तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने इस पूरे एनकाउंटर की जांच को CBI को सौंप दिया था. वहीं CBI ने जो क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी थी. उसमें फर्जी एनकाउंटर की बात को नकारा गया था, लेकिन आनंदपाल की पत्नी के वकील भवंर सिंह राठौड़ ने तर्क दिया कि आनंदपाल की शरीर पर चोट के निशान थे. इसका मतलब साफ है कि आनंदपाल सिंह का फर्जी एनकाउंटर किया गया था.
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