मध्य प्रदेश के भोजशाला विवाद अब हिंदू- मुस्लिम के बाद बाद जैन समाज भी कूद गया है. जैन समाज के लोगों ने यहां गुरूकुल होने का दावा किया है और 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिक दायर कर जैन समाज को तीसरी पार्टी के रूप में शामिल करने की अपील भी की है.
जैन समाज ने दलील दी है कि ब्रिटिश म्यूजियम में जो मूर्ति मिली है. वो वाग्देवी (सरस्वती) की नहीं बल्कि जैन धर्म की देवी अंबिका की है. साथ ही कहा गया है, कि एएसआई सर्वे के दौरान निकली कई मूर्तियां जैन समाज से संबंधित है. इसलिए मांग की गई है कि भोजशाला को जैन समाज को सौंपा जाए और पूजा का अधिकार भी मिले.
बता दें अभी तक हिंदू और मुस्लमान ही भोजशाला पर अपना दावा ठोक रहे थे लेकिन अब जैन समाज के आ जाने से मामला ट्राइंगल हो गया है. दरअसल, भोजशाला को 11वीं शताब्दी में परमार वंश के राजा, राजा भोज ने बनवाया था. राजा भोज सरस्वती देवी के अनन्य भक्त थे. उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में ‘भोजशाला’ के नाम से जाना जाने लगा. कुछ लोग इसे हिंदू सरस्वती मंदिर भी मानते थे. कहा जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को ध्वस्त करा दिया और 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने यहां एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी. 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी.
कहा जाता है कि साल 1875 में खुदाई के दौरान यहां एक प्रतिमा निकली थी. जिसे हिन्दू पक्ष वाग्देवी (सरस्वती) की प्रतिमा बता रहा है तो वहीं जैन समाज इसे जैन धर्म की देवी अंबिका की प्रतिमा कह रहा है. फिलहाल ये प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में है. हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इस प्रतिमा को लंदन से वापस लाए जाने की मांग भी की गई है.
वहीं मुस्लिम समाज का कहना है कि वो सालों से यहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं. मुस्लिम इसे भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं. बता दें यहां मंगलवार और वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा करने की इजाजत है और शुक्रवार के दिन नमाज पढ़ने की. अब हिंदू पक्ष ने मांग की है कि यहां नमाज को बंद किया जाए और पूरा परिसर हिंदुओं के हवाले किया जाए.
भोजशाला विवाद पर जबलपुर हाईकोर्ट में मई 2022 से सुनवाई चल रही है. 21 मार्च 2024 को हाईकोर्ट ने ASI से सर्वे कराने का आदेश दिया था.100 दिनों तक सर्वे के बाद ASI ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी. 22 जुलाई को ASI रिपोर्ट का हवाला देकर भोजशाला हिंदू पक्ष को देने की मांग की गई. अब 30 जुलाई को अगली सुनवाई होनी है. हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक सभी को इंतजार करना होगा.
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