33वें ग्रीष्मकीन ओलंपिक गेम्स की शुरूआत फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने जा रही है. 26 जुलाई यानि कल से पेरिस ओलंपिक का आगाज होने जा रहा है. ऐसे में दुनियाभर 10,500 एथलीट कुल 329 स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगे और पदक के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे. इस बार ओलंपिक में 206 देशों के एथलीट्स हिस्सा ले रहे हैं. भारत के भी 117 एथलीट पेरिस पहुंच चुके हैं. बता दें 100 साल बाद ओलंपिक खेलों की मेजबानी कर रहे पेरिस ने विश्वभर से आए खिलाड़ियों के लिए सुरक्षा का पुख्ता इंताजामात किए हैं. पेरिस साल 1900 और 1924 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी कर चुका है.
ओलंपिक खेलों का नाम लेते ही इसके सिंबल यानि 5 रिंग की छवि याद आती है लेकिन आपने क्या कभी सोचा है कि ओलंपिक के सिंबल में 5 ही रिंग क्यों हैं. 4, 3, 2 या फिर 1 रिंग क्यों नहीं है. और अगर 5 रिंग हैं तो उनके कलर्स अलग-अलग क्यों हैं. आइए हम आपकों बताते हैं.
सबसे पहले 5 रिंगों के मतलब जान लेते हैं. ये पांचों रिंग खेल, समृद्धि, एकता, और सामंजस्य को दर्शाते है. बता दें ये पांच रिंग पहली बार साल 1913 में फ्रांसीसी कलाकार ने बनाए थे, जो ओलंपिक आंदोलन के महासचिव थे.
ओलंपिक के 5 रिंग का अर्थ 5 महादीप से है. अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूरोप को ये 5 रिंग प्रदर्शित करते हैं. वहीं इसके डिजाइन ने बिना किसी अपवाद के सभी देशों के झंडे के रंगों का प्रतिनिधित्व किया है. यूरोप के लिए नीला, एशिया के लिए पीला, अफ्रीका के लिए काला, ऑस्ट्रेलिया के लिए हरा, अमेरिका के लिए लाल रंग प्रदर्शित करता है.
वहीं हर रिंग एक दूसरे से जुड़ी हुई है, जो एकता और एकसार्थकता को दर्शती है. इन रिंग का एक-दूसरे से जुड़े होने का प्रतीक हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट होकर खेलों को स्वीकार करता है. ये रिंग दर्शाते हैं कि खेल का महत्व सिर्फ खेल सीमित नहीं होता, बल्कि यह एक विश्व समर्थन और अद्वितीयता का प्रतीक भी है.
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