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कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद: यूपी सरकार के आदेश पर SC की रोक बरकरार, 5 अगस्त को अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि कांवड़ यात्रा मार्ग में खाने-पीने का सामान बेचने वाले दुकान मालिकों के नाम दुकान के बाहर लिखने पर रोक लगाने वाला उसका अंतरिम आदेश जारी रहेगा.

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Jul 26, 2024, 02:46 pm IST
Supreme Court

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नई दिल्ली: कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों का नाम लिखे जाने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि कांवड़ यात्रा मार्ग में खाने-पीने का सामान बेचने वाले दुकान मालिकों के नाम दुकान के बाहर लिखने पर रोक लगाने वाला उसका अंतरिम आदेश जारी रहेगा.

जस्टिस ह्रषिकेश राय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हमारा आदेश साफ है. अगर कोई अपनी मर्जी से दुकान के बाहर अपना नाम लिखना चाहता है तो हमने उसे रोका नहीं है. हमारा आदेश था कि नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी.

आज एक याचिकाकर्ता महुआ मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने किहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का जवाबी हलफनामा कल रात साढ़े दस बजे मिला है. उन्होंने इसका जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की. कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार का हलफनामा अभी कोर्ट के रिकॉर्ड में नहीं आया है. उसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 5 अगस्त तक टालते हुए अंतरिम आदेश भी बढ़ा दिया.

यूपी सरकार ने कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि ये निर्देश कांवड़ियों की शिकायतों के बाद ही लाए गए हैं. कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यात्रा के दौरान उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के संबंध में पारदर्शिता के लिए यह निर्देश दिया गया है. यूपी सरकार ने कहा है कि कांवड़ियों को पता होना चाहिए कि वे क्या खा रहे हैं और कहां खा रहे हैं. कांवड़ यात्रा में शांति, सुरक्षा और व्यापक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निर्देश लाए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को इस निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ढाबा, रेस्टोरेंट, फल-सब्जी विक्रेता, फेरी वाले यह तो बता सकते हैं कि वह कांवड़ियों को किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं लेकिन उन्हें दुकान मालिकों या फिर उनके यहां काम करने वालों के नाम उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कांवड़ियों को शाकाहारी भोजन मिले और स्वच्छता का उच्च स्तर भी कायम रहे ये प्राधिकार सुनिश्चित कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा था कि सक्षम प्राधिकार फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 और स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 के तहत आदेश भी जारी कर सकती है लेकिन इसको लेकर सक्षम अथॉरिटी के पास जो अधिकार है, उसको बिना किसी कानूनी आधार के पुलिस नहीं हथिया सकती है.

एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स समेत कई याचिकाकर्ताओं ने याचिका दाखिल की है. इस याचिका में यूपी सरकार, राज्य के डीजीपी और मुजफ्फरनगर के एसएसपी के अलावा उत्तराखंड सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है.

उल्लेखनीय है कि 19 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर कांवड़ रूट के सभी दुकानदारों को दुकान के बाहर अपना नाम लिखना अनिवार्य कर दिया. इस आदेश पर राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया है.

हिन्दुस्थान समाचार

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Tags: Supreme CourtKanwar YatraNameplate Controversy
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