International Tiger Day 2024: बाघों से जुड़ा खास दिन यानी अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस हर साल 29 जुलाई को पूरे विश्व में मनाया जाता है. बाघों की घटती जनसंख्या और इसके पीछे के कारणों पर प्रकाश डालने के लिए इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं. बाघ न केवल जंगल के सबसे तेज जानवरों में एक हैं बल्कि यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में भी संतुलन बनाए रखने का काम करते हैं. इन्ही के महत्व को समझने और जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से उस दिन के सेलिब्रेट किया जाता है.
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के पीछे की कहानी
जंगल के यह फूर्तीले जानवर प्रकृति में संलुतन स्थापित करने से साथ पूरे सिस्टम को भी बनाए रखते हैं. इसी को देखते हुए हुए इनसे जुड़े इस खास दिन को मनाने की शुरूआत साल 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग की टाइगर समिट के दौरान पहली बार की गई थी. उसी सम्मेलन के दौरान 29 जुलाई के दिन को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाने का फैसला भी लिया गया था. उसके बाद से हर साल यह दिन अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इसका उद्देश्य तेजी से कम होती बाघों की प्रजातियों को रोकना, उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी करने के तरीके खोजना, उनकी रक्षा के साथ वेश्विक स्तर पर बाघों की महत्ता को लेकर जागरूकता फैलाना है.
बाघों को बिल्लियों के ग्रुप का ही माना जाता है, ये बड़ी बिल्लियां पिछले काफी लंबे वक्त से गंभीर खतरों का सामना कर रही हैं साथ ही अपनी अबादी को बनाए रखने के लिए भी संघर्ष कर रही हैं. ऐसे में जंगलों की कटाई, शिकार, जानवरों की खरीद फरोक्त जैसे कुकृत्य इनकी जिंदगी को और भी कठिन बना रहे हैं. कई जगहों पर बाघ विलुप्त होने की कगार पर आ गए हैं. इसी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल आज के इनके लिए रखा गया है.
भारत और बाघों का रिश्ता
भारत और बाघों का रिश्ता काफी पुराना है, इन फूर्तीली बल्लियों ने हमेशा ही यहां के जंगलों को अपने आवास के रूप में चुना है, साथ ही समय-समय पर बाघों से जुड़े भारत में कई कार्यक्रम भी चलाए गए हैं. पूरी दुनियां में बाघों की संख्या 5,574 है वहीं केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की भारतीय बाघ अनुमान 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बाघों की संख्या 3,167 है. यह दुनिया भर की बाघों की संख्या के 70 प्रतिशत हैं. साल 2014 से 2024 तक 65 प्रतिशत तक भारत में बाघों की जनसंख्या बढ़ी है.
भारत में बाघों को संख्या को बढ़ावा देने के लिए साल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य देश में टाइगरों के लिए टाइगर रिजर्व बनाना और उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी कर अस्तित्व को सुनिश्चित करना है. इसके बाद कई टाइगर रिजर्व का निर्माण किया गया है. पिछले साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरनेशनल बिग कैट्स एलायंस नाम से एक अभियान चलाया जिसमें बाघों के साथ शेर, चीता, तेंदुए, हिम तेंदुए, जगुआर, प्यूमा आदि के संरक्षण की बात कही गयी
इन टाइगर रिजर्व में बाघों की ज्यादा जनसंख्या
वर्तमान समय में भारत में 55 बाघ अभयारण्य हैं जोकि 18 राज्यों के 75,000 वर्ग किमी. में फैले हुए हैं. इसमें से 20 अभयारण्य (एक-तिहाई क्षेत्र) बाघ संरक्षण के लिये हैं टाइगर रिजर्व को देखे को इस समय में उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट में सबसे ज्यादा टाइगर हैं. यहां बाघों की संख्या 260 है. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मुताबिक बांदीपुर (150), नागरहोल (141), बांधवगढ़ (135), दुधवा (135), मुदुमलाई (114), कान्हा (105), काजीरंगा (104), सुंदरबन (100), ताडोबा (97), सत्यमंगलम (85), और पेंच-एमपी (77) हैं.
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