नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना पहली बार बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास ‘तरंग शक्ति’ की मेजबानी करेगा. अभ्यास में शामिल होने के लिए 51 देशों को आमंत्रित किया गया है, जिसमें 12 देशों की वायु सेनाओं ने भारत आने की सहमति दे दी है. छह देश अपने अग्रणी लड़ाकू विमानों, परिवहन विमानों और मध्य-हवा में ईंधन भरने वाले विमानों के साथ सक्रिय रूप से भाग लेंगे. दो चरणों में होने वाले अभ्यास में 100 से अधिक विमानों के शामिल होने की संभावना है. अभ्यास का मुख्य फोकस ‘आत्मनिर्भरता’ के तहत स्वदेशी क्षमताओं का प्रदर्शन करना होगा.
वायु सेना उप प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह ने बुधवार को वायु सेना ऑडिटोरियम में एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि भारतीय वायु सेना इस साल अगस्त में अपना पहला बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास तरंग शक्ति-2024 आयोजित करके इतिहास रचने जा रही है. यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें पहला चरण 6-14 अगस्त तक दक्षिण भारत के सुलूर में शुरू होगा. इसमें जर्मनी, फ़्रांस, स्पेन और ब्रिटेन की वायु सेनाएं हिस्सा लेंगी. उसके बाद दूसरा चरण
6-14 सितंबर तक पश्चिमी क्षेत्र के जोधपुर में होगा, जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, बांग्लादेश, सिंगापुर, यूएई की वायु सेनाएं शामिल होंगी.
उन्होंने बताया कि भारतीय वायु सेना की मेजबानी में होने वाला यह पहला बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास है. दोनों चरणों में 100 से अधिक विमानों के शामिल होने की संभावना है. ‘तरंग शक्ति’ के लिए 51 देशों को आमंत्रित किया गया है, जिनमें 12 देशों की वायु सेनाएं भाग लेंगी और छह मित्र देश अपने अग्रणी लड़ाकू विमानों, परिवहन विमानों और मध्य-हवा में ईंधन भरने वाले विमानों के साथ सक्रिय रूप से भाग लेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका इस अभ्यास में भाग लेने के लिए अपने एफ-35 विमान लाएगा, एयर मार्शल सिंह ने कहा कि नहीं, हमारी योजना में एफ-35 विमान शामिल नहीं है. अमेरिका अपने एफ-16 और ए-10 विमानों के साथ भाग लेगा. इसमें 18 देश पर्यवेक्षकों के रूप में शामिल होंगे.
अभ्यास के लिए आमंत्रित देशों में रूस को शामिल न किये के सवाल पर वायु सेना उप प्रमुख ने कहा कि यूक्रेन के साथ लंबे समय से चल रहे संघर्ष के चलते रूस को आमंत्रित नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि किसी भी अभ्यास में शामिल होना या न हो पाना देशों की परिस्थिति पर निर्भर करता है, इसी आधार पर उन्हें आमंत्रित किया जाता है. एयर मार्शल ने कहा कि कभी-कभी भारत को अन्य देशों से आमंत्रण मिलता है लेकिन उपलब्धता न होने या व्यस्तता के चलते भारतीय वायु सेना नहीं शामिल हो पाती. इजराइल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि शुरुआती वार्ता में ही उन्होंने अभ्यास में शामिल होने से इनकार कर दिया था, इसलिए उन्हें भी न्योता नहीं भेजा गया है.
उन्होंने बताया कि मित्र देशों को ‘आत्मनिर्भर भारत’ और भारतीय संस्कृति की झलक भी दिखाए जाने की योजना है. अभ्यास के दौरान सुलूर और जोधपुर दोनों जगहों पर ‘मेड इन इंडिया’ की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. इस अभ्यास का उद्देश्य प्रतिभागी वायु सेनाओं के बीच पेशेवर बातचीत को बढ़ावा देना, उनके साथ व्यवसाय बढ़ाना और मूल्यवान अंतर्दृष्टि के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना है. यह अभ्यास इन देशों के लिए सहयोग करने और अपनी सामरिक और परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने का एक अनूठा मौका देगा. इस अभ्यास में एलसीए तेजस, एलसीएच प्रचंड और अन्य हथियार प्रणालियों सहित स्वदेशी उपकरण प्रदर्शित किए जाएंगे. अभ्यास ‘तरंग शक्ति’ भारत और अन्य देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का प्रमाण है.
हिन्दुस्थान समाचार
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