मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बुधवार को मणिपुर हिंसा पर विधानसभा को जानकारी दी. उन्होंने सदन को बताया कि राज्य में हुई हिंसा में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं, 39 लापता हैं और 11,133 घरों को आग के हवाले किया जा चुका है. इसमें 4,569 घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं.
मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में अब तक हिंसा से जुड़े 11,892 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल मई से जारी हिंसा के कारण 59,414 विस्थापित लोग राहत शिविरों में हैं. तो वहीं कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है. 5,554 किसानों की कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है, जिससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है. इस अराजकता के कारण 39 लोगों के लापता होने की सूचना मिली है जिससे लोगों में बड़े पैमाने पर निराशा और अनिश्चितता बढ़ गई है.
विस्थापितों को शरण देने के लिए 302 राहत कैंप स्थापित किए गए हैं. बीरेन सिंह ने कहा कि ‘राहत शिविरों और कैदियों का जिलेवार विवरण नहीं दिया जा सकता क्योंकि यह जानकारी संवेदनशील है और इसका मौजूदा संकट पर असर पड़ सकता है. शिविर में रह रहे लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए चावल, दाल, तेल, गद्दे, बिस्तर, बर्तन, थर्मस फ्लास्क, पानी और बिजली जैसी दैनिक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की जा रही है.
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि निजी सामान के नुकसान को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने चार अलग-अलग मौकों पर प्रति व्यक्ति 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता भी जारी की है. इसके अलावा विस्थापित छात्रों की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्हें नजदीकी स्कूलों और कॉलेजों से जोड़ा गया है और ऑफलाइन क्लासेस की सुविधा के लिए राहत शिविरों में टीवी सेट उपलब्ध कराए गए हैं.
विस्थापितों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को देखते हुए नियमित चिकित्सा जांच, आवश्यक दवाएं और परामर्श जैसी सेवाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं. कृषि क्षेत्र को हुए नुकसान की पहचान कर 3,483 प्रभावित किसानों को 18.91 करोड़ रुपये का फसल मुआवजा जारी किया गया है.
स्थायी आवास योजना के तहत 798 लाभार्थियों को पक्का मकान बनाने के लिए 21.68 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इसके अतिरिक्त, जिन 2,792 परिवारों के घर बर्बाद हुए हैं उन्हें अंतरिम राहत के रूप में 25,000 रुपये प्रदान किए गए हैं.
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