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Article 370: पर्यटन में उछाल मगर नहीं लौट सके कश्मीरी पण्डित…जानें 5 वर्षों में कितनी बदली जम्मू-कश्मीर की सूरत

जम्मू-कश्मीर के इतिहास में 5 अगस्त ऐसी तारीख है जो कभी नहीं भूली जा सकती. 5 अगस्त 2019 को संसद में आर्टिकल 370 और 35(A) को हटा दिया गया. आईए जानते हैं कि बीते इस 5 वर्ष में इस राज्य में क्या-क्या बदलाव आए और क्या-क्या जस का तस रहा. 10 प्वॉइंट्स के माध्यम से समझते हैं जम्मू-कश्मीर की नई तस्वीर क्या है?

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Aug 5, 2024, 12:01 pm IST
Jammu Kashmir

Jammu Kashmir

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जम्मू-कश्मीर के इतिहास में 5 अगस्त ऐसी तारीख है जो कभी नहीं भूली जा सकती. 5 अगस्त 2019 को संसद में आर्टिकल 370 और 35(A) को हटा दिया गया. इसके हटते ही जम्मू कश्मीर से दोहरी नागरिकता का प्रवाधान खत्म हो गया और राज्य का स्पेशल स्टेटस भी समाप्त हो गया. इसके बाद इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था. उस समय केंद्र सरकार का लक्ष्य घाटी में खुशहाली लाना था. आज इसे हटे हुए 5 वर्ष हो चुके हैं. आईए जानते हैं कि बीते इस 5 वर्ष में इस राज्य में क्या-क्या बदलाव आए और क्या-क्या जस का तस रहा. 10 प्वॉइंट्स के माध्यम से समझते हैं जम्मू-कश्मीर की नई तस्वीर क्या है?

1. शिक्षा और बेरोजगारी: राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद वहां के बजट में 41 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है. हालांकि इसके बाद ही वहां की शिक्षा और स्वास्थ्य की तस्वीर में सुधार दिखा है. साल 19-20 में जम्मू कश्मीर में बरोजगारी की दर 6.4 प्रतिशत थी जो अब घटकर 5.7 प्रतिशत हो गई है.

2. आतंकवाद का मुद्दा: आतंकवाद का मुद्दा जम्मू कश्मीर में हमेशा ही मुख्य मुद्दों में शामिल रहा है. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद वहां आतंक की एक्टिविटी तो कम हुई मगर इस पर पूरी तरह लगाम नहीं लग पाई है. बीते दो वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ गया है, साल 2024 में ही अब तक देश के 15 जवान बलिदान हो चुके हैं. श्रद्धालुओं पर हमले की धमकियों ने इसे और भी बढ़ाया है.

3. कश्मीरी पण्डितों की स्थिति: धारा 370 हटने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि जम्मू कश्मीर छोड़ने पर मजबूर हुए कश्मीरी पण्डितों को दोबारा बसाया जाएगा. मगर इसके बावजूद ऐसा कुछ नहीं हुआ. हालात यह हैं कि आतंकियों की वजह से घाटी से जाने वाले 60 हजार कश्मीरी पण्डितों में से आज तक एक ने भी वापसी नहीं की है.

4. चुनावों का होना: जम्मू कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव साल 2014 में करवाए गए थे और इसके बाद आज तक वहां विधानसभा के चुनाव नहीं हो सके हैं. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी आदेश दिया गया कि वर्ष 2024 तक किसी भी हाल में वहां चुनाव हो जाने चाहिए.

5. उद्योग और निवेश: धारा 370 हटाने के समय केंद्र ने यह तर्क दिया था कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में भारी मात्रा में निवेश किया जाएगा, जिससे उद्योग और धंधों में भी बढ़ोत्तरी होगी. मगर अभी तक इस दिशा में ठोस कदम नहीं दिख रहे हैं.

6. अलगाववाद में कमी: साल 2019 से पहले जम्मू कश्मीर पत्थरबाजी और अलगाववाद की आग में झुलस रहा था, वहां इस विचार को लगातार मजबूती मिल रही थी. इसके बाद इन दोनों पर ही नकेल कसी गयी है और अब पत्थरबाजी की घटनाओं में 99 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है.

7. पर्यटन इंडस्ट्री में उछाल: जम्मू कश्मीर में पर्यटन को आय का एक प्रमुख साधन माना जाता है. हर साल भारी संख्या में लोग वादियों की खूबसूरती को देखने के लिए पहाड़ों पर जाते हैं. बीते कुछ सालों में इस उद्योग में भारी उछाल देखने को मिला है. पिछले साल कुल 2.1 करोड़ पर्यटन जम्मू कश्मीर और लद्दाख घूमने पहुंचे थे. यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है, जिसने कई स्तरों पर रोजगार भी बढ़ा है.

8. मनोरंजन जगत की बदली सूरत: धारा 370 के हटने के बाद केंद्र ने फिल्म पॉलिसी लागू की है. इससे साल 2023 में 102 फिल्मों और वेव सीरीज की शूटिंग की गयी. बीते 3 सालों में कुल 700 आवेदन किए गए हैं. जिससे मनोरंजन जगत को बूस्ट जरूर मिला है.

9. विकास के काम: श्रीनगर और जम्मू स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नए सिरे से इसे तैयार किया जा रहा है. हर दिन तकरीबन 17.57 किलोमीटर की सड़कों के जाल को बिछाया जा रहा है जोकि पहले से दोगुनी है.

10. अंतर्राष्ट्रीय छवि में सुधार: बता दें कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बीते 2 से 3 सालों मे वैश्विक स्तर के कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. जी-20 की समिट को भी यहीं पर किया गया था, जिससे प्रदेश में शांति स्थापित होने के साथ देशों के बीच वहां की छवि में सुधार हुआ है.

Tags: article 370Jammu And KashmirLaddakhArticle 370 5th Anniversary
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