पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में आरक्षण की आग ऐसी भड़की है कि करीब डेढ़ महीने से बांग्लादेश को सुलगा रही है. प्रदर्शनकारियों ने पहले आगजनी और तोड़फोड़ कर बांग्लादेश को दहला दिया. प्रदर्शनकारी इतने आक्रमण हो कि उन्होंने पूर्व पीएम शेख हसीना के आवास तक पर हमला बोला दिया. सेना ने भी प्रदर्शकारियों का साथ दिया और तख्तापलट कर डाला. यहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना इस्तीफा देकर देश से भागना पड़ा है और वो भारत में शरण लिए हुए हैं. लेकिन हिंसा और तख्तापलट के बीच अब बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार बढ़ने लगा है. उपद्रवियों ने अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. हिंदुओं के घर-दुकानों में आग लगाई जा रही है, हिंदुओं को घरों से निकालकर पीटा जा रहा है. उनकी दुकानों में लूटपाट की जा रही है. बांग्लादेश में बने हिंदू मंदिर भी अब इस हिंसा का शिकार हो गए हैं. बांग्लादेश के मेहरपुर इस्कॉन मंदिर में भी आग लगी दी गई है. हालात इतने खराब हैं कि पड़ोसी देश में हिंदू डर के साये में जी रहे हैं. भारत सरकार ने बांग्लादेश के सुरक्षाबलों को हिन्दुओं पर हमले रोकने के लिए कहा है.
ऐसा पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के हिन्दुओं को निशाना बनाया गया है. इससे पहले भी कई बार हिन्दुओं के साथ अत्याचार किया गया है.
साल 2021 में बांग्लादेश के नोआखाली में भीड़ ने इस्कॉन मंदिर पर हमला किया गया था. उस वक्त भी मंदिर में जमकर तोड़फोड़ की गई थी. इतना ही नहीं मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं के साथ भी मारपीट की गई थी. इस हमले में कई हिन्दु गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
साल 2022 में ढाका स्थित इस्कॉन राधाकांता मंदिर में हमला हुआ था. ये हमला हाजी सैफुल्लाह की अगुआई में 200 से ज्यादा लोगों की भीड़ द्वारा किया गया था. हमलावरों ने बड़े पैमाने पर मंदिर में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई थी. इस हमले में भी कई लोग जख्मी हुए थे.
इस्कॉन मंदिर के अलावा दुर्गा पंडाल पर भी हमले हो चुके हैं. पिछले साल हिंदू नवरात्रि की अष्ठमी को राजधानी ढाका से 100 किलोमीटर दूर स्थित कोमिल्ला में धर्म से जुड़े एक अफवाह का सहारा लेकर हिंदुओं के खिलाफ भीड़ को भड़काया गया और दुर्गा पूजा पंडालों, मंदिरों और हिंदू समुदाय के लोगों के घरों पर हमले किए गए, तोड़-फोड़ और आगजनी की गई. इससे पहले हमलावर दुर्गा पंडालों और मंदिरों पर कई हमले हो चुके थे. इन हमलों में तीन लोगों की मौत हो गई थी. जबकि 500 से ज्यादा हिंदू घायल हुए थे.
साल 2016 में भी हिंसा की वारदातें हुईं और 7 लोगों की जान गई. इन हमलों के पीछे आतंकी संगठनों का भी हाथ बताया गया था. केवल हिंदुओं को ही नहीं बाकी अल्पसंख्यक समुदायों को भी निशाना बनाकर पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में लगातार हमले हुए हैं. साल 2019 और 2020 में हिंदुओं के अलावा अहमदिया समुदाय को टारगेट करके भी हमले किए गए हैं. इनकी दुकानें-घर और बिजनेस में आगजनी की गई. पिछले आठ सालों में बौद्ध समुदाय को टारगेट करके भी चार हमलों को अंजाम दिया गया था.
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न सालों से होता आ रहा है. बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 1951 में 22 प्रतिशत से घटकर 2022 में 8 प्रतिशत से भी कम हो गई है. यह तब है जब मुसलमानों की आबादी 1951 में 76 प्रतिशत से बढ़कर 91 प्रतिशत से अधिक हो गई है. बांग्लादेश में अत्याचार इसकदर है कि हिन्दू लोग देश छोड़ने को मजबूर हैं. डीडब्ल्यू के अनुसार, 2011 की जनगणना से पता चला है कि 2000 से 2010 के बीच देश की आबादी से दस लाख हिंदू गायब हो गए हैं.
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