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49 साल बाद फिर दोहराया तख्तापलट का इतिहास… जानिए शेख हसीना के परिवार के बिखरने की कहानी

बांग्लादेश में वही संकट जुलाई 2024 में खड़ा हुआ है. 49 साल पहले डेढ़ घंटे की बगावत ने पूरी दुनिया को सहमा दिया था और इस बार भी 15 साल से सत्ता संभाल रहीं शेख हसीना पर 45 मिनट भारी पड़े.  शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना को भी सेना की असंतुष्ट बागी टुकड़ी का सामना करना पड़ा और वो भारत में शरण लिए हुए हैं. 1975 में भी शेख हसीना ने 6 साल तक भारत में शरण ली थी. भारत फिर एक बार शेख हसीना के लिए वरदान साबित साबित हुआ है.

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Aug 6, 2024, 08:31 pm IST
1975 में भी बांग्लादेश में हुआ था तख्तापलट

1975 में भी बांग्लादेश में हुआ था तख्तापलट

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बांग्लादेश इस समय अपना इतिहास दोहरा रहा है. 49 साल पहले बांग्लादेश में जो हुआ. वहीं सैम-टू-सैम आज के हालात बने हुए हैं. साल 1975 में सेना की ही एक अंसतुष्ट बागी टुकडी ने देश के पहले प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान को मौत के घाट उतारकर तख्तापलट किया था. इतना ही नहीं विद्रोहियों ने देश में महीनों तक अस्थिरता पैदा कर दी थी.उस समय शेख मुजीबुर्रहमान के परिवार के 8 लोग भी मारे गए थे. बांग्लादेश में वही संकट जुलाई 2024 में खड़ा हुआ है. 49 साल पहले डेढ़ घंटे की बगावत ने पूरी दुनिया को सहमा दिया था और इस बार भी 15 साल से सत्ता संभाल रहीं शेख हसीना पर 45 मिनट भारी पड़े.  शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना को भी सेना की असंतुष्ट बागी टुकड़ी का सामना करना पड़ा और वो भारत में शरण लिए हुए हैं. 1975 में भी शेख हसीना ने 6 साल तक भारत में शरण ली थी. भारत फिर एक बार शेख हसीना के लिए वरदान साबित साबित हुआ है. कई जानकारों का कहना है कि अगर शेख हसीना भारत नहीं आती तो बांग्लादेश में उनकी जान तक जा सकती थी.

बांग्लादेश के उदय में भारत का योगदान

दरअसल, साल 1971 में बांग्लादेश का उदय हुआ था. बांग्लादेश को आजाद कराने में भारतीय सुरक्षा बलों का अहम योगदान था. भारत दुनिया का पहला ऐसा देश था, जिसने बांग्लादेश को एक राष्ट्र के तौर मान्यता दी थी. भारत ने ही पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश बनाने के लिए पाकिस्तान से युद्ध भी लड़ा था. इस युद्ध को भारत ने सिर्फ 13 दिनों में जीत लिया था.

15 अगस्त 1975 की रात हुआ तख्तापलट

बांग्लादेश को आजादी मिलने के बाद शेख मुजीब पहले प्रधानमंत्री बने और तीन साल तक सरकार संभाली. शेख मुजीब को बांग्लादेश का संस्थापक माना जाता है लेकिन वहां सेना में शेख मुजबुर्रहमान और उनकी सरकार के खिलाफ काफी असंतोष पैदा हो गया था. जिसका नतीजा ये हुआ कि 15 अगस्त 1975 की रात सेना की कुछ टुकड़ियों ने ढाका स्थित शेख मुजीबुर्रहमान के तीनों घरों पर धावा बोल दिया. सबसे पहले शेख मुजीबुर्रहमान के रिश्तेदार अब्दुर रब सेरानिबात के घर पर हमला किया गया. वो शेख मुजीब की सरकार में मंत्री भी थे. सेना ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसके बाद सेना की दूसरी टुकड़ी ने रात में ही शेख मुजीब के घर पर हमला किया. सेना आवास में घुस गई और सबसे पहले उनके बड़े बेटे शेख कमाल और उनकी पत्नी, उनके छोटे बेटे शेख जमाल, उनकी पत्नी और बाद में शेख मुजीब को मौत के घाट उतार दिया.
हमले के वक्त शेख मुजीबुर्रहमान के छोटे बेटे नासीर ने सेना से गुहार लगाई और बताया कि वो राजनीति में नहीं हैं. इसके बावजूद उन्हें भी मार दिया गया था. शेख मुजीब के सबसे छोटे बेटे रसल उस समय सिर्फ 10 साल के थे, लेकिन सेना ने उन्हें भी गोलियों से भून दिया.
सेना की एक और टुकड़ी शेख मुजीब के भतीजे फजलुल हक मोनी के घर पहुंची और उन्होंने पूरे परिवार को भी बड़ी बेरहमी से मार दिया.

6 साल तक भारत में रहीं शेख हसीना

हालांकि इस हमले में उनकी बेटी शेख हसीना और छोटी बेटी शेख रेहाना की जान बच गईं. क्योंकि 1975 में जब बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, तब दोनों बहनें जर्मनी में थीं. जब शेख मुजीब की हत्या की गई तब शेख हसीना 28 साल की थी. और अपने परमाण वैज्ञानिक पति के साथ जर्मनी में रहती थी. उन्होंने 1975 से 1981 तक 6 साल तक भारत में शरण ली. उसके बाद वो बांग्लादेश चली गईं. उसके बाद उन्होंने बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली के लिए आवाज उठाना शुरू किया. साल 1991 के चुनाव में शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने संघर्ष जारी रखा और साल 1996 के चुनाव में पार्टी को जीत मिली. शेख हसीना बांग्लादेश की पहली प्रधानमंत्री बनीं. उन्होंने लगातार 15 साल तक सत्ता संभाली है.

1975 में तख्तापलट के कारण 

दरअसल, 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता के बाद बांग्लादेश को एक नए राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की प्रक्रिया में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. शेख मुजीबुर्रहमान की सरकार ने एक लोकतांत्रिक संविधान को अपनाया, लेकिन बाद में सत्तावादी रुख अपनाया. स्वतंत्रता के बाद बांग्लादेश को गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा. गरीबी, बेरोजगारी और खाद्य संकट ने आम लोगों की स्थिति को और खराब कर दिया. इन समस्याओं से निपटने में सरकार की असमर्थता के कारण जनता में असंतोष बढ़ता गया. जिसके बाद सेना ने मोर्चा अपने हाथ में लेकर तख्तापलट कर दिया.

ये भी पढ़ें- हिंसा, तख्तापलट के बीच हिन्दुओं को बनाया जा रहा निशाना… जानें बांग्लादेश में पहले कब-कब हुआ हिन्दुओं पर अत्याचार?

ये भी पढ़ें- बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का अमेरिकी वीजा रद्द, ब्रिटेन का रूख भी ठंडा… अब कहां लेंगी शरण?

Tags: BangladeshSheikh HasinaBangladesh ViolenceCoup in BangladeshSheikh Mujibur Rahman
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