बांग्लादेश में आरक्षण से शुरू हुआ प्रोटेस्ट शेख हसीना के इस्तीफे के बाद भी जारी है. सामान्य छात्रों के इस प्रोटेस्ट ने हिंसक रूप ले लिया और पूरा आंदोलन पीएम शेख हसीने के इस्तीफे की मांग पर ही केंद्रित हो गया. हालात इतने बदतर हो गए कि सोमवार को पूरे देश में सेना को उतारना पड़ा लेकिन सेना ने छात्रों को नहीं रोका. बल्कि छात्रों के साथ सेना खड़ी दिखी. जिसके बाद प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास पर पहुंच गए. शेख हसीना इस्तीफा देकर आनन फानन में त्रिपुरा के रास्ते नई दिल्ली पहुंची. अभी वो गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस के सेफ सेंटर में मौजूद हैं. गरूड कमांडोज उनकी सुरक्षा में तैनात किए गए हैं. वहीं सेना ने अंतरिम सरकार बनाने की बात कही है.
शेख हसीना को जैसे 15 साल की सत्ता के बाद विरोध का सामना करना पड़ा और देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. ऐसी ही घटना 28 साल पहले हो चुकी है जब शेख हसीना विपक्ष में थीं और उनके प्रोटेस्ट के चलते खालिदा जिया की सरकार गिर गई थी.
बता दें खालिदा जिया पर साल 1996 के आम चुनाव में धांधली का आरोप लगा था. चुनाव में खालिदा जिया की बीएनपी ने 300 में से 278 सीटें जीती थीं. विपक्ष ने इसका बायकॉट किया था. उन्हें पद से हटाने के लिए शेख हसीना की अगुवाई में विपक्ष ने असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया था. बाद में 31 मार्च को खालिदा जिया को इस्तीफा देना पड़ा था. अपने इस्तीफे का ऐलान करते समय खालिदा जिया ने विपक्ष पर अर्थव्यवस्था तबाह करने का आरोप लगाया था.
खालिदा जिया के सत्ता में दोबारा लौटने पर शेख हसीना की अगुवाई में आंदोलन चल रहा था, तब सरकारी नौकरी करने वालों को भी इसका साथ मिल गया था. सरकारी नौकरी करने वालों ने हड़ताल कर दी थी. कई दफ्तरों से खालिदा जिया की तस्वीरें भी हटा दी गई थीं.
जिस दिन खालिदा जिया ने इस्तीफा दिया था, उस दिन शेख हसीना की पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से राष्ट्रपति भवन का घिराव करने को कहा था. आवामी लीग का कहना था कि जब तक एक तटस्थ अंतरिम सरकार नहीं बन जाती, तब तक राष्ट्रपति भवन को घेरकर रखें. उस दिन पूरे बांग्लादेश में अलर्ट था. खालिदा जिया और उनकी सरकार के 27 मंत्रियों के घर के बाहर सेना को तैनात किया गया था.
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को ढाका हाईकोर्ट ने दोबारा आरक्षण बहाल करने का आदेश दिया. इसके बाद छात्र सड़कों पर उतर आए थे और उन्होंने कोटा सिस्टम में सुधार की मांग की. छात्रों ने आरोप लगाया कि कोटा सिस्टम के जरिए शेख हसीना अपने करीबियों को फायदा पहुंचाएंगी. छात्रों के इसी प्रदर्शन के दौरान जगह-जगह हिंसक झड़पें हुईं, जिन्होंने इसे और उग्र बना दिया.
इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने कोटा सिस्टम में फ्रीडम फाइटर्स और उनके बच्चों के लिए आरक्षण घटाकर 5% कर दिया. इससे माहौल थोड़ा शांत जरूर हुआ, लेकिन फिर शेख हसीना की माफी की मांग को लेकर छात्र सड़कों पर आ गए. 4 अगस्त को इस प्रदर्शन में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. इसके बाद 5 अगस्त को प्रदर्शनकारियों ने ढाका तक लॉन्ग मार्च का ऐलान किया. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए देशभर में सेना तैनात कर दी गई. हालांकि, सेना ने इन प्रदर्शनकारियों को नहीं रोका. इसी बीच दोपहर ढाई बजे शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ दिया.
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