पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हिंसा और तख्तापलट के बीच अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया चल रही है. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस को नई गठित होने वाली अंतरिम सरकार का मुखिया चुना गया है. राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में बंगा भवन यानि राष्ट्रपति भवन में हुई बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया. ऐसे में ये जान लेते है कि उनका भारत और अमेरिका को लेकर क्या रूख है.
शेख हसीना के मुख्य प्रतिपक्षी हैं मोहम्मद युनूस
ग्लोबल माइक्रोक्रेडिट आंदोलन के संस्थापक और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का प्रमुख प्रतिपक्षी माना जाता है. वो सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि मुझे प्रताड़ित करने के लिए बेतुके आरोप लगाए हैं क्योंकि मैं शेख हसीना का नंबर एक दुश्मन हूं. कई लोग बांग्लादेश में तख्तापलट के पीछे मोहम्मद युनूस का हाथ बता रहे हैं. वहीं अंतरिम सरकार के मुखिया बनने जा रहे मोहम्मद युनूस का भारत को लेकर दृष्टिकोण भी साकारात्मक नहीं है. वो कई बार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारत सरकार के घनिष्ठ संबंधों पर तिखी बयानबाजी कर चुके हैं.
भारत पर लगाया शेख हसीना के समर्थन का आरोप
मोहम्मद यूनुस ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैंने हमेशा कहा है कि भारत के पास बांग्लादेश का बेस्ट फ्रेंड बनने की पूरी-पूरी संभावनाएं हैं. लेकिन फिर भी भारत, बांग्लादेश पर फोकस करने के बजाए सिर्फ एक शख्स पर फोकस कर रहा है. भारत का संबंध सिर्फ एक ही शख्स से है और वह शेख हसीना है. इस वजह से बांग्लादेश के लोग भारत से नाराज हैं क्योंकि वह ऐसे शख्स का समर्थन कर रहा है, जिसने बांग्लादेश को बर्बाद कर दिया है.
हिंसा पर भारत के बयान की युनूस ने की निंदा
बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन पर भारत द्वारा दिए गए बयान की मोहम्मद युनूस ने आलोचना की थी. दरअसल, भारत ने हिंसक प्रदर्शनों को बांग्लादेश का आंतरिक मामला बताया था. इस बयान पर मोहम्मद युनूस ने कहा था कि भारत के बयान से दुख होता है. भारत और बांग्लादेश सार्क के सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि अगर किसी भाई के घर में आग लगी हो तो आप उसे आंतरिक मामला कैसे कह सकते हैं?
अमेरिकन मैन क्यों कहा जाता है?
अंतरिम सरकार के मुखिया चुने गए मोहम्मद यूनुस को अमेरिका समर्थक माना जाता है. कई लोगों का कहना है कि अब बांग्लादेश की राजनीति में अमेरिकी मैन की एंट्री हो गई है. इतना ही नहीं कहा ये भी जा रहा है कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन की प्लानिंग अमेरिका की थी. जो सफल हो गई. कहा जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के पॉलिटिकल फ्यूचर को अमेरिका के हिसाब से मोल्ड करना चाहते हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्टिविस्ट विजय पटेल का कहना है कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के मुख्य सूत्रधार मुहम्मद यूनुस ही थे. उन्हें प्रतिष्ठित रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है. इस अवॉर्ड की फंडिंग फॉर्ड फाउंडेशन करता है, जो अमेरिका का एक प्रतिष्ठित फाउंडेशन है.
कौन हैं मोहम्मद युनूस?
बता दें साल 1974 में जब बांग्लादेश में अकाल पड़ा तब युनुस चटगांव यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स पढ़ाते थे. इस अकाल में हजारों लोग मारे गए थे. तब युनुस ने देश की विशाल ग्रामीण आबादी की मदद के लिए कोई बेहतर तरीका खोजने की सोची. गरीबों के बैंकर’ के रूप में पहचाने जाने वाले यूनुस और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला चुका है. कारण, उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी. इन गरीबों को बड़े बैंकों से कोई मदद नहीं मिल पाती थी.
इसी साल जनवरी में यूनुस को श्रम कानून के उल्लंघन के लिए छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी. जून में बांग्लादेश की एक अदालत ने यूनुस और 13 अन्य लोगों पर उनके द्वारा बनाए गए एक दूरसंचार कंपनी में वहां काम करने वाले लोगों के कल्याण कोष से 252.2 मिलियन टका (2 मिलियन डॉलर) के गबन के आरोप में में मुकदमा भी चलाया था. हालांकि उन्हें किसी भी मामले में जेल नहीं भेजा गया. यूनुस पर भ्रष्टाचार और अन्य कई आरोपों के 100 से अधिक अन्य मामले चल रहे हैं.
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