भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति के तीन दिन की बैठक के बाद रेपो रेट का एलान कर दिया है. मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर को बरकरार रखने का फैसला लिया है.
मौद्रिक नीति समिति ने 4:2 के बहुमत से पॉलिसी रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया. नतीजतन, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25% पर बनी हुई है, और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75% पर बनी हुई है. आपको बता दें कि ये 9वीं बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है.
#WATCH | RBI Governor Shaktikanta Das says "…The Monetary Policy Committee decided by a 4:2 majority to keep the policy repo rate unchanged at 6.5%. Consequently, the standing deposit facility (SDF) rate remains at 6.25%, and the marginal standing facility (MSF) rate and the… pic.twitter.com/2bNLZVr03S
— ANI (@ANI) August 8, 2024
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “घरेलू आर्थिक गतिविधि लचीली बनी हुई है. आपूर्ति पक्ष पर, दक्षिण-पश्चिम मानसून में लगातार प्रगति, उच्च संचयी खरीफ बुआई और जलाशय के स्तर में सुधार, खरीफ उत्पादन के लिए बहुत अच्छा संकेत है…घरेलू मांग में सुधार के कारण विनिर्माण गतिविधियों में तेजी जारी है”
दास ने बताया कि अप्रैल और मई के दौरान मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत पर स्थिर रहने के बाद जून में बढ़कर 5.1 प्रतिशत हो गई.
आरबीआई गवर्नर ने कहा, “2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2% रहने का अनुमान है, जिसमें पहली तिमाही में 7.1%, दूसरी तिमाही में 7.2%, तीसरी तिमाही में 7.3% और चौथी तिमाही में 7.2% का अनुमान है. 2025-26 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.2% अनुमानित है.”
क्या होता है रेपो रेट
आरबीआई सार्वजनिक, निजी और व्यावसायिक क्षेत्र की बैंकों को जिस ब्याज दर पर लोन देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. रेपो रेट में कटौती होने पर उपभोक्ताओं को राहत मिलती है, लेकिन रेपो रेट बढ़ने पर मुश्किलें बढ़ जाती है. रेपो रेट में इजाफा होने पर बैंकों को कर्ज ज्यादा ब्याज दर पर मिलता है, जिससे लोन महंगा हो जाता है. लेकिन रेपो रेट कम होने पर लोन सस्ते हो जाते हैं.
उल्लेखनीय है कि जून में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.08 फीसदी पर पहुंच गई . ये खुदरा महंगाई का 4 महीने का उच्चतम स्तर है. वहीं, जून में थोक महंगाई दर 16 महीनों के ऊपरी स्तर 3.36 फीसदी पर रही है. वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अशवनी राणा ने आरबीआई के फैसले पर कहा कि रेपो रेट में कमी होने का इंतजार कर रहे बैंकों के ग्राहकों को निराशा हाथ लगी है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि यदि रिजर्व बैंक को लगा कि महंगाई काबू में आ गई है तो अगली एमपीसी बैठक में रेपो रेट में कटौती की जा सकती है.
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