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Uttarkhand: बिना पंजिकरण के चल रहे मदरसे, विदेशों से मिल रही फंडिंग

देहरादून में दर्जनों मदरसे अवैध तरीके से चल रहे हैं. इनमें कुछ देश-विदेशों से मिल रही फंडिंग से फल-फूल रहे हैं तो कुछ जम्मू स्थित मदरसे में जुम्मे की नमाज के दौरान एकत्र चंदे से चलाए जा रहे हैं.

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Aug 9, 2024, 06:22 pm IST
बिना पंचिकरण के चल रहे मदरसे

बिना पंचिकरण के चल रहे मदरसे

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देहरादून में दर्जनों मदरसे अवैध तरीके से चल रहे हैं. इनमें कुछ देश-विदेशों से मिल रही फंडिंग से फल-फूल रहे हैं तो कुछ जम्मू स्थित मदरसे में जुम्मे की नमाज के दौरान एकत्र चंदे से चलाए जा रहे हैं.

ये मनमाने ढ़ंग से चल रहे हैं और इनके जरिए बच्चों को गलत शिक्षा दी जा रही है. ये अपना पंजीकरण नहीं कराना चाहते हैं कि फिर इनकी बाध्यता हो जाएगी कि इन्हें सरकार द्वारा आर्थिक मदद दी जाएगी और बदले में सरकार द्वारा ही निर्धारित पाठ्यक्रम उन्हें पढ़ाने होंगे.

देहरादून आजाद कॉलोनी स्थित मदरसा जामिया तुस्सलाम अल इस्लामिया में पिछले दिनों 29 जुलाई 2024 को 30 बच्चों के बीमार होने की खबर, समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी. जिसको बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने संज्ञान में लिया और अपने आयोग के सदस्यों के साथ यहां का निरीक्षण किया और ये पाया कि मदरसा बिना सरकार के पंजीकरण के चल रहा है और यहां जो छात्रावास हैं इसमें 55 बच्चे बिहार और अन्य प्रदेशों के यहां लाकर रखे गए हैं. छात्रवास सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं है. आयोग अध्यक्ष डॉ खन्ना ने इस बारे में पुलिस को भी सूचना देते हुए निर्देश दिया था कि मदरसा के सीसीटीवी चेक किए जाए और जैसा बच्चों ने बताया उनके साथ गलत बर्ताव के फुटेज खंगाले जाएं.

जानकारी के अनुसार, पुलिस ने फुटेज जब्त कर लिए तो वहीं प्रारंभिक जांच में कुछ शिकायतें सही पाई गई है. उधर मदरसा प्रबंधकों ने खुद को फंसता देख कर आयोग अध्यक्ष पर मदरसे मस्जिद क्षेत्र में जूते पहन कर जाने के आरोप लगाने शुरू कर दिए. डॉ खन्ना ने इस आरोप का खंडन कर दिया.

डॉ खन्ना ने मदरसे की शिकायतों के बारे में एक पत्र अल्पसंख्यक कल्याण के प्रमुख सचिव को भी लिख कर कारवाई किए जाने की मांग की है, डा खन्ना ने डीजीपी, गृह सचिव और देहरादून एसएसपी को भी इस विषय से अवगत कराया है.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मदरसों की जांच करने के लिए कहा था

13 मई 2024 को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने देहरादून में अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए मदरसों में बच्चो के अधिकारों और गैर पंजीकृत मदरसों के बारे में कारवाई करने की बात कही थी. लेकिन ये मामला अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. प्रियंक कानूनों ने हरिद्वार जिले में मदरसों में हिंदू बच्चे होने का भी संज्ञान लेते हुए प्रशासन का जवाब तलब किया था.

राजधानी में कई अवैध मदरसों

देहरादून-हरिद्वार जिले में दर्जनों की संख्या में बिना पंजीकरण के मदरसे धड़ल्ले से चल रहे हैं. आजाद कॉलोनी के जिस मदरसे की जांच हुई. वहां बिहार झारखंड जैसे राज्यों से छोटे-छोटे बच्चे यहां लाकर छात्रावास में रखे गए है, ऐसे सैकड़ों बच्चे अन्य मदरसों में लाए गए है क्या बिहार झारखंड या अन्य राज्यो में मदरसे नहीं है? जानकारी के अनुसार, अन्य राज्यों में मदरसे की शिक्षा को लेकर राज्य सरकारों ने सख्ती कर दी है, जब कि उत्तराखंड में अभी पुरानी व्यवस्था के अनुसार ही काम चल रहा है. ये भी जानकारी मिली है कि देवबंद दारुल उलूम और देश विदेश की इस्लामिक संस्थाओं से इन गैर पंजीकृत मदरसों को फंडिंग मिल रही है.

जानकारी के अनुसार, देहरादून निवासी शमशाद कुरेशी नाम के युवक ने अरबिया मदरसे के मुफ्ती रईस पर विदेशों से मिली फंडिंग को खुद इस्तेमाल किए जाने, लग्जरी कार खरीदने और आलीशान कोठी बना लिए जाने का वीडियो जारी किया था. इसके बाद मुफ्ती रईस ने इस आरोप का खंडन किया. बताया जाता है कि उक्त मदरसा भी गैर पंजीकृत है. दरअसल यदि मदरसे पंजीकृत हो जायेंगे तो उन्हें सरकार को फंडिंग का हिसाब किताब देना पड़ जायेगा और सरकार द्वारा निर्धारित स्लेबस पढ़ाना अनिवार्य हो जाएगा. बरहाल उत्तराखंड में 400 से अधिक अवैध मदरसे है जिन्हें सरकार को अपने रडार पर लेना है.

उत्तराखंड में 416 मदरसे पंजीकृत

उत्तराखंड राज्य मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शम्मून कासमी ने बताया कि राज्य में 416 मदरसे रजिस्टर्ड है, जिनमें भारत और राज्य सरकार के नए पाठ्यक्रम और इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है. कितने मदरसे बिना पंजीकरण के चल रहे है? इसकी सही जानकारी मुफ्ती कासमी भी नही दे पा रहे हैं.

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड भी बेखबर

वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने कहा कि मुस्लिम बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले ये सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन बिना अनुमति कितने मदरसे चल रहे है, इस बात की जानकारी उन्हें भी नहीं है, अलबत्ता वे मदरसों के लिए पंजीकरण जरूरी मानते हैं.

बिहार झारखंड असम छत्तीसगढ़ यूपी आदि राज्यों से छोटे-छोटे बच्चों को देवभूमि उत्तराखंड में लाकर मदरसों में भर्ती कर इस्लामिक शिक्षा तो दी जा रही है, कल यही बच्चे उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन पैदा करते हुए स्थानीय नागरिक होने का दावा करेंगे. बताया जाता है कि असम में अवैध मदरसे बंद कर दिए गए है यूपी मध्य प्रदेश में भी सरकार ने सख्ती कर दी है, अब मदरसों के संचालकों और इनके पीछे इस्लामिक जिहादी शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने वालों को उत्तराखंड सबसे महफूज राज्य लगा है. उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के देहरादून हरिद्वार जिले में मुस्लिम आबादी पिछले बीस सालों में 35 फीसदी तक जा पहुंची है, सरकारी जमीनों पर कब्जे करके मस्जिदें मदरसे मजारें बना दी गई है. कांग्रेस शासन काल में मुस्लिम आबादी अवैध रूप से बनी बस्तियों एक वोट बैंक बन गई है.

सीएम धामी ने क्या कहा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बार-बार ये कहते आए है कि राज्य सरकार मदरसों के पंजीकरण और यहां पढ़ने वाले बच्चों के संरक्षण सुरक्षा आदि को लेकर जांच करेगी. उन्होंने कि बच्चों को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की शिक्षा अनिवार्य रूप से दिए जाने में कोई कोताही नहीं बरती जाने दी जाएगी.

Tags: MadrasaMadrsaa
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