नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत की विकास साझेदारी मालदीव के लोगों और सरकार की जरूरतों और प्राथमिकताओं से प्रेरित है और यह अनुदान, ऋण, बजटीय सहायता, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण सहायता का एक विवेकपूर्ण मिश्रण है. अब हम एक ऐसे चरण में प्रवेश कर रहे हैं जहां इनमें से कई परियोजनाएं जमीन पर साकार हो रही हैं, जिससे आम लोगों को ठोस लाभ मिल रहा है.
विदेश मंत्री ने उक्त बातें आज भारत की सहायता से तैयार मालदीव के 28 द्वीपों में जल एवं स्वच्छता परियोजनाओं के उद्घाटन पर कहीं. इस परियोजना से 32 द्वीपों में सुरक्षित पेयजल पहुंचेगा और 17 द्वीपों में सीवरेज प्रणाली शुरू होगी. इसका सीधा असर मालदीव के 28 हजार लोगों के जीवन पर पड़ा है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-मालदीव विकास सहयोग दोनों देशों की साझेदारी के आदर्श वाक्य ‘मालदीव ने कल्पना की, भारत ने पूरा की’ पर आधारित है. दोनों देशों का प्रयास है कि अपने रिश्ते की इस परिभाषित विशेषता का उपयोग कर और अधिक से अधिक ऊंचाइयों को छूए. संयुक्त प्रयास, संयुक्त गतिविधियाँ और साझा दृष्टि दोनों देशों की एक साथ यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बनेगी.
विदेश मंत्री तीन दिवसीय यात्रा पर मालदीव में हैं. इससे पहले कल भारत और मालदीव ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) शुरू करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. कल समझौता ज्ञापन के बाद विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने अपने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपाई) के माध्यम से वास्तव में डिजिटल लेनदेन में क्रांति ला दी है. एमओयू पर हस्ताक्षर मालदीव में डिजिटल नवाचार की दिशा में पहला कदम है. इसका पर्यटन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
विदेश मंत्री ने आज मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भेजी गई शुभकामनायें दीं. उन्होंने कहा कि लोगों और क्षेत्र के लाभ के लिए भारत-मालदीव संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए भारत सरकार प्रतिबद्ध है. विदेश मंत्री ने आज मालदीव के सरकार के रक्षा, वाणिज्य और वित्तमंत्री से भी मुलाकात की.
हिन्दुस्थान समाचार
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