मुस्लिम ‘ वक्फ बोर्ड’ दरअसल कांग्रेस और जवाहरलाल नेहरू की “लैंड जिहाद” यानी “भारत के इस्लामीकरण” की एक बड़ी सौगात है. वस्तुत: यह आरोप कितना सच है, वह अब सामने आ रहा है, जबकि देश भर में वक्फ के पास सेना, रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर सबसे अधिक भूमि का होना पता चलता है. भारत में कांग्रेस हिंदुओं को धोखे में रखकर भारत के इस्लामी करण में विगत 75 वर्षों से लगी हुई है. वह तो शुक्र है कि इस देश में भारत भक्तों की कोई कमी नहीं, है, जो देशवासियों को जगाने ,बचाने ,छल- कपट से दूर करने के कार्य में लगे हुए हैं . अन्यथा यह देश (भारत) आज से 40 वर्ष पूर्व ही सदा के लिए गुलाम/ नष्ट हो जाता. जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में एक कमेटी बनाकर देश की संसद में एक बिल लाकर के ‘ वक्फ बोर्ड’ बनाया. आज यह ‘ वक्फ बोर्ड’ भारत में सेना व रेल मंत्रालय के बाद सबसे अधिक जमीन 9 लाख एकड़ पर कब्जा किए हुए हैं. इसको असीमित शक्तियां नेहरू ने प्रदान की हैं. यह जिस किसी वस्तु/संपत्ति पर यह उंगली रख दे, वही इसकी हो जाती है.
इस संबंध में प्रोटेक्टेड प्रॉपर्टी को वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी घोषित करने पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया का दिया हाल का वक्तव्य देखा जा सकता है. यहां इन्होंने कहा, “ताज महल, लाल किले को भी वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दो! आपके घर को भी वक्फ सम्पति घोषित कर फिर से? इस न्यायालय को भी वक्फ संपत्ति घोषित कर फिर से? एक-एक कर के नोटिस क्यों देते हो, एक साथ पूरे भारत को वक्फ संपति घोषित कर दो!” ये है वक्फ एक्ट. आज इंडी गठबंधन, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल संसद में लाए गए वक्फ विधेयक की कड़ी आलोचना कर रहे हैं . वे वक्फ कानून में प्रस्तावित बदलावों को ‘असंवैधानिक’, ‘अल्पसंख्यक विरोधी’ और ‘विभाजनकारी’ बता रहे हैं . किंतु क्या वे इस बात को नकार सकते हैं, कि उसमें कमियां नहीं हैं? क्या अभी की व्यवस्था सही कही जा सकती है कि जहां भी वक्फ कह दे कि यह भूमि उसकी है, उसके बाद वह उसकी हो जाती है, जबकि असली मालिक फिर दर-दर यह सिद्ध करने के लिए भटकता रहता है कि यह भूमि, मकान वक्फ का नहीं उसका है.
जबलपुर हाई कोर्ट ने वक्फ के खिलाफ जो बोला है, वह वर्तमान की हकीकत है, जिसे कोई भी नकार नहीं सकता है. इसलिए आज यह जरूरी हो गया है कि वक्फ के नियमों में यह जरूरी किया जाए कि कोई भी व्यक्ति तब तक कोई संपत्ति को वक्फ को दान नहीं कर सकता जब तक कि वह संपत्ति का वैध मालिक न हो और ऐसी संपत्ति को हस्तांतरित या समर्पित करने के लिए न सक्षम हो.
इस प्रावधान से वैसी संपत्तियों पर वक्फ पर कब्जे रुकेंगे जो किसी के नाम से दर्ज नहीं हैं. अभी जिस तरह से इस अधिनियम के प्रारंभ से पहले या बाद में वक्फ संपत्ति के रूप में पहचानी या घोषित की गई सरकारी संपत्ति को वक्फ संपत्ति माना लिया जाता है, बिना किसी जांच किए बगैर, वह रुकना जरूरी है. क्योंकि कहने भर से कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ प्रॉपर्टी नहीं हो सकती है. कायदे से वक्फ के रूप में दी गई संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं. इस बारे में कलेक्टर को उचित जांच करके संपत्ति की पहचान करना चाहिए और अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजना चाहिए तब जाकर तय होना चाहिए कि इस भूमि का असली मालिक कौन है. मौजूदा वक्फ कानून में ऐसे विवाद का फैसला करने का अधिकार ट्रिब्यूनल के पास है. जबकि यह अधिकार हर जिले में कलेक्टर के पास होना चाहिए. नहीं, तो आगे भी वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को अपना बताता रहेगा और जमीनों से जुड़े विवाद कम होने का नाम ही नहीं लेंगे.
वक्फ बोर्ड में सुधार के स्तर पर यह भी आवश्यक है कि वक्फ संपत्तियों की ऑडिटिंग विधिवत सरकार की देखरेख में हो, जिससे कि यहां व्याप्त भारी आर्थिक अनियमितताओं में कमी लाई जा सके, जोकि कार्य अभी नहीं होता है. यही कारण है कि आए दिन वक्फ बोर्ड से जुड़ी संपत्तियों पर अनेक स्थानों पर आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं. इन सभी को पूरी तरह से रोकने और भारत में बढ़ते अतिवादी मतान्धता को रोकने के लिए आज यह बेहद जरूरी हो गया है कि वह वक्फ बोर्ड के नियमों में आमूलचूल परिवर्तन करे, जोकि वह करने जा रही है .
वास्तव में यदि भारत को अपने लोकतांत्रिक जीवन मूल्यों पर टिके रहना है तो सभी पर्सनल बोर्ड और वक्फ बोर्ड भंग करने होंगे, इसी में देश का हित निहित है. स्वामी महेशानंद का कथन है कि- ‘दुनिया में सारे फसाद की जड़, यह इस्लामी/ जमाती /बहावी विचारधारा के वो मजहबी गंथ हैं जोकि एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य के प्रति विभेद पैदा करते हैं . वे पूछते हैं कि ऐसा क्यों है, दुनिया के प्रत्येक देश में जहां भी मुस्लिम लोग हैं, वही, अशांति ,हिंसा, दहशतगर्दी और आतंकवाद है ? दुनिया के कितने ही देश ब्रिटेन ,फ्रांस, जर्मनी ,अमेरिका ,ऑस्ट्रेलिया, चीन, म्यांमार ,श्रीलंका ,रसिया ,इजराइल,भारत, अफ्रीका के देश इत्यादि सभी आज इस्लाम से पीड़ित हैं. क्यों इस्लाम दुनिया में ‘वैश्विक समस्या’ बनता जा रहा है.’ विचार करें, क्या भारत में 1947 विभाजन का दंश झेलकर नहीं दिखता है, फिर से आनेवाला आसन्न संकट! और यदि इस प्रकार के किसी संकट का आभास हो रहा है तो निश्चित ही हमें उन सभी कारणों को खोज कर समय पर उसका इलाज करना जरूरी है. जिसमें से वक्फ भी एक है, यह कहा जाएगा तो कुछ गलत नहीं है.
(लेखक, वरिष्ठ स्तम्भकार हैं.)
हिन्दुस्थान समाचार
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