पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. पहले आरक्षण खत्म करने के मुद्दे पर चिंगारी ऐसी भड़की कि देश में तख्तापलट हो गया. वहां की प्रधानमंत्री तक को जान बचाने के लिए देश के भागना पड़ा. वहीं अब अंतरिम सरकार के गठन के बाद भी हिंसा की आग शांत नहीं हुई है. बांग्लादेश में आम जनता, अधिकारी यहां तक की सेना भी सुरक्षित नहीं हैं. अब बांग्लादेश के गोपालगंज इलाके में सेना के काफिले पर हमला हुआ है. ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना में सेना के जवानों, पत्रकारों और स्थानीय लोगों सहित 15 लोग घायल हो गए हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि आवामी लीग के हजारों कार्यकर्ता पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की वापसी की मांग कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने प्रदर्शन किया और ढाका-खुलना राजमार्ग को बंद कर दिया. सूचना मिलने पर सेना की गाड़ी वहां पहुंची और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से सड़क को खोलने और प्रदर्शन को खत्म करने की अपील की. लेकिन भीड़ ने उन पर ईंटें फेंकना शुरू कर दिया. बाद में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सेना के जवानों ने लाठियां भांजी. इसके जवाब में प्रदर्शनकारियों ने सेना के वाहन में तोड़फोड़ की और उसे आग के हवाले कर दिया.
हिन्दू परिवारों पर भी हमले
ग्लादेश में अल्पसंख्यक लोगों को भी निशाना बनाया जा रहा है. खासकर हिंदू लोगों को पीटा जा रहा है. उनके घर और मंदिरों में आग लगाई जा रही है. बताय जा रहा है कि बांग्लादेश के 53 जिलों में उपद्रवियों ने 205 घटनाओं का अंजाम दिया. हिन्दू डर के साये में बांग्लादेश में जी रहे हैं. अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को हिंसा प्रभावित अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की निंदा की. उन्होंने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को जघन्य बताया और सभी युवाओं से हिंदू, ईसाई, बौद्ध परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया.
वहीं बांग्लादेश में प्रताड़ित हिन्दू परिवार भारत में शरण लेने के लिए बॉर्डरों पर इकट्ठा हुए हैं. लेकिन असम, पश्चिम बंगाल सीमा पर भारतीय सेना और पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है. जिससे कोई भी बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से भारत में प्रवेश ना कर सके.
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