नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में वक्फ बोर्ड की जमीन पर बड़ा फैसला लेते हुए 21 नए मदरसे बनवाने की घोषणा की है. नीतीश सरकार के इस फैसले पर बीजेपी भी इस मदरसा नीति के सपोर्ट में आ गई है.
गृह राज्यमंत्री और बीजेपी नेता नित्यानंद राय ने कहा कि ये सरकार की नीति है. मोदीजी की अगुवाई वाली सरकार की नीति यही है कि वक्फ की संपत्ति का लाभ महिलाओं और बच्चों को मिले. उन्होंने कहा कि ऐसा अब तक होता नहीं था और नीतीश कुमार जो निर्णय लिए होंगे, वह मोदी सरकार की इस नीति के आसपास ही होगा. उन्होंने वक्फ बिल का जिक्र करते हुए कहा कि अभी तो इसे विचार और सुझाव के लिए जेपीसी को भेजा गया है. मोदी सरकार की नीति बहुत स्पष्ट है.
जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने भी राज्य सरकार के इस फैसले की सराहना की. तो वहीं आरजेडी के नेता एजाज अहमद ने नए मदरसे खोलने के लिए एलान को आंखों में धूल झोकने की जेडीयू की कोशिश करार दी.
बिहार सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इस योजना का उद्देश्य मदरसा शिक्षा प्रणाली और बुनियादी ढांचे में सुधार लाना है. उन्होंने बताया कि बिहार सरकार सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड के तहत पंजीकृत संपत्तियों के विकास के लिए बहुउद्देशीय भवन, विवाह भवन, बाजार परिसर और अन्य संरचनाओं के निर्माण की तैयारी कर रही है.
पटना, पूर्णिया, कैमूर, कटिहार, किशनगंज, नवादा और सीवान में 2023-24 में बहुउद्देश्यीय भवन, बाजार परिसर और पुस्तकालय के निर्माण के लिए दस परियोजनाएं प्रस्तावित की गई थी. इन परियोजनाओं के लिए 105.13 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित की गई थी. उन्होंने कहा कि 2024-25 में सीवान और भागलपुर जिलों में बहुउद्देशीय भवनों, गेस्ट हाउस, विवाह भवन, वक्फ कार्यालय भवनों और बाजार परिसरों का निर्माण किया जाएगा. बिहार राज्य वक्फ विकास योजना के तहत यह काम किया जा रहा है. इसके अलावा बिहार राज्य मदरसा सुदृढीकरण योजना (बीआरएमएसवाई) के तहत राज्य सरकार ने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में 21 नए मदरसे बनाने का फैसला किया है. हाल ही में राज्य में दस मदरसों का निर्माण कार्य पूरा किया गया है.
वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के बारे में राज्य सरकार चिंतित है. बीआरएमएसवाई के तहत मदरसों के बुनियादी ढांचे और शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के साथ पेयजल, पुस्तकालय, उपकरण, शौचालय, कंप्यूटर साइंस लैब आदि जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. इस योजना की शुरुआत 2018-19 में की गई थी. पिछले साल पूर्णिया में दो तथा नालंदा और पूर्वी चंपारण में एक-एक मदरसों के सुदृढ़ीकरण के लिए 32.39 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी.
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