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डिफेंस सेक्टर में बजता डंका, 85 देशों को निर्यात, जानिए बीते 10 वर्षों में रक्षा क्षेत्र में कितना आत्मनिर्भर हुआ भारत?

10 साल पहले साल 2014 में हमारा रक्षा निर्यात महज 1941 करोड़ रुपये था. बीते एक दशक में भारत का निर्यात 25 गुना यानी करीब 2400 प्रतिशत तक बढ़ चुका है. लेकिन  इस साल भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 21 हजार करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया है. डिफेंस एक्सपोर्ट के मामले भारत में इतना बड़ा आंकड़ा पहली बार देखने को मिला है.

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Aug 15, 2024, 08:00 am IST
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम

देश के रक्षा क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व वृद्धि (Photo- Social Media)

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भारत को स्वतंत्र हुए 77 वर्ष हो चुके हैं. इन बीते करीब आठ दशकों में विश्व परिदृश्य बदल चुका है. चांद और मंगल तक स्पेस साइंस की पहुंच हो गई है. वहीं युद्ध करने के तौर तरीकों में भी बदलाव आ गया है. नई-नई मिसाइलें, टैंक, लड़ाकू विमान और सबमरीन विभिन्न देशों द्वारा बनाई जा रही हैं और हथियारों का व्यापार दुनिया भर के देशों में धडल्ले के साथ बड़े पैमाने पर हो रहा है.

जब दुनिया बदल गई तो भारत कैसे पीछे रहना वाला था. नए दौर के नए भारत ने डिफेंस सेक्टर में नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं. सैन्य शक्ति के आधार पर भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा देश बन चुका है. भारत ने बीते 6 दशकों में सैन्य खर्च में काफी बढ़ोतरी की है. सैन्य खर्च के मामले में भारत सार्क देशों के मुकाबले काफी आगे है. वर्ल्ड बैंक ने इसकी पुष्टि की है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 1960 के बाद से भारत ने लगातार अपने सैन्य खर्च में वृद्धि की है.

अगर हम बीते 10 वर्षों की बात करें तो 2014 से अब तक, मोदी सरकार के कार्यकाल में देश के रक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. इस कालखंड को भारतीय डिफेंस सेक्टर के लिए स्वर्णिम युग भी कह सकते हैं. मोदी सरकार की नीतियों और रक्षा क्षेत्र के बढ़ाए गए बजट की वजह से आज भारत की तीनों सेनाएं जल, नभ और वायु आधुनिक हथियारों से लैस हैं. सबसे बड़ी बात रक्षा क्षेत्र से संबंधित हथियार भारत में ही बनाए जा रहे हैं. जो आत्मनिर्भर भारत के सपने में एक मील का पत्थर साबित होते हैं. दूसरी ओर हमने दुनिया भर के देशों में रक्षा उपकरण निर्यात करने में बड़ी छलांग लगाई है. आज 85 देशों को भारत अपने यहां बनाए गए हथियार एक्सपोर्ट कर रहा है.

बता दें कि बीते 10 वर्ष में रक्षा बजट तीन गुना तक बढ़ा है. भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 में रक्षा बजट के लिए 2,03,672 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. जबकि इस साल निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए रक्षा क्षेत्र के लिए 6,21,541 करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट दिया है.

केंद्र की मोदी सरकार देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. स्वदेशी रक्षा उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. सरकार मेक इन इंडिया और आईडेक्स (iDEX) स्कीम पर जोर दे रही है. रक्षा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार आईडेक्स स्कीम के तहत स्टार्टअप्स को इंसेंटिव भी दे रही हैं, साथ ही नई टेक्नोलॉजी पर भी ध्यान दिया जा रहा है. वहीं रक्षा उपकरणों के एक्सपोर्ट के लिए विशेष योजना बनाई गई हैं. जिसका परिणाम ये है कि डिफेंस के मामले मे भारत की धमक विश्व पटल पर बढ़ती जा रही है.

सरकार के इन प्रयासों के बाद डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट इनवेस्टमेंट बढ़ा है. अब देशी कंपनियों के साथ-साथ विदेशी कंपनियां भी भारत के डिफेंस सेक्टर में निवेश कर रहीं हैं. बता दें कि अब भारत में ही टैंक, बख़्तरबंद वाहन, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, पनडुब्बी, मिसाइल और अलग-अलग प्रकार के गोला बारूद बनाए जा रहे हैं.

इनके अलावा सामरिक महत्व वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, विशेष मिश्र धातु, विशेष प्रयोजन स्टील्स भी अब बड़ी मात्रा में देशी रक्षा कंपनियां बना रही हैं. इनमें 155 मिमी आर्टिलरी गन सिस्टम ‘धनुष’, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’, सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम ‘आकाश’ के साथ ही मेन बैटल टैंक ‘अर्जुन’ शामिल हैं.

इनके अलावा टी-90 टैंक, टी-72 टैंक, बख़्तरबंद कार्मिक वाहक ‘BMP-II/IIK’, Su-30 MK1, चीता हेलीकॉप्टर, एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर, डोर्नियर Do-228 एयरक्राफ्ट, हाई मोबिलिटी ट्रक का उत्पादन भारत में हो रहा है साथ ही स्कॉर्पीन श्रेणी की 6 पनडुब्बियों के तहत आईएनएस वागीर, आईएनएस कलवरी , आईएनएस खंडेरी , आईएनएस करंज, आईएनएस वेला और आईएनएस वागशीर देश में बने हैं.

वहीं एंटी-सबमरीन वारफेयर कार्वेट, अर्जुन आर्मर्ड रिपेयर एंड रिकवरी व्हीकल, ब्रिज लेइंग टैंक, 155 मिमी गोला बारूद के लिए द्वि-मॉड्यूलर चार्ज सिस्टम, मीडियम बुलेट प्रूफ व्हीकल, वेपन लोकेटिंग रडार, इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो , पायलटलेस टारगेट एयरक्राफ्ट के लिए लक्ष्य पैराशूट, बैटल टैंक के लिए ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक साइट्स, वॉटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट, इनशोर पेट्रोल वेसल, ऑफशोर पेट्रोल वेसल, फास्ट इंटरसेप्टर बोट और लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी का पिछले कुछ सालों के दौरान देश में उत्पादन किया गया है. भारत इनमें से कई चीजों का अब निर्यात भी कर रहा है.

डिफेंस एक्सपोर्ट 21 हजार करोड़ रुपए के पार

10 साल पहले साल 2014 में हमारा रक्षा निर्यात महज 1941 करोड़ रुपये था. बीते एक दशक में भारत का निर्यात 25 गुना यानी करीब 2400 प्रतिशत तक बढ़ चुका है. लेकिन  इस साल भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 21 हजार करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया है. डिफेंस एक्सपोर्ट के मामले भारत में इतना बड़ा आंकड़ा पहली बार देखने को मिला है. पिछले साल की तुलना में ही 32 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है. इतना ही नहीं हथियार निर्यातक टॉप-25 देशों की सूची में हिन्दुस्तान ने अपनी जगह बना ली है. भारत की ग्लोबल डिफेंस मार्किट में बढ़ते रूतबे को देखकर चीन, यूरोप से लेकर अमेरिका तक हैरान हैं. भारत दुनिया के 85 देशों को हथियार और दूसरे रक्षा उपकरण सप्लाई कर रहा है. इसमें इटली, मालदीव, रूस, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), फिलीपींस, सऊदी अरब, पोलैंड, इजिप्ट, इजरायल, स्पेन और चिली समेत कई देश शामिल हैं.

भारत दुनिया के 34 देशों को बुलेट प्रूफ जैकैट सप्लाई कर है. इसमें जापान, इजराइल, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे देश शामिल हैं. वहीं, UAE, इंडोनेशिया, इजिप्ट और थाइलैंड समेत दुनिया के 10 देश भारत से गोला-बारूद खरीद रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस भारत से डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स खरीद रहे हैं. वहीं मॉरिशस को इंटरसेप्टर बोट एक्सपोर्ट की जा रही हैं.

सरकार का कहना है कि 2028-29 तक वार्षिक रक्षा उत्पादन तीन लाख करोड़ रुपये और रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशा है.

ये भी पढ़ें- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को किया संबोधित, स्वतंत्रता सेनानियों को किया नमन

Tags: Make In IndiaModi SarkarIndependence Day 2024Export Defence EquipmentMinistry of DefenceDefence SectorRajnath Singh
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