Tuesday, May 20, 2025
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer
Ritam Digital Hindi
Advertisement Banner
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Legal
    • Business
    • History
    • Viral Videos
  • Politics
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
  • Opinion
  • Lifestyle
No Result
View All Result
Ritam Digital Hindi
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Legal
    • Business
    • History
    • Viral Videos
  • Politics
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
  • Opinion
  • Lifestyle
No Result
View All Result
Ritam Digital Hindi
No Result
View All Result
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
  • Politics
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
  • Opinion
  • Lifestyle
Home Nation

Opinion: जब अटलजी ने हुंकार भरी… ‘मेरी कविता जंग का ऐलान है, हारे हुए सिपाही का नैराश्य निनाद नहीं!

वाजपेयी जी सुचिता की राजनीति के जीवंत प्रतिमूर्ति थे. आज उनकी पुण्यतिथि है. स्वतंत्रता के बाद जिन नेताओं के व्यक्तित्व की समग्रता का असर देशवासियों पर रहा उनमें से अटलबिहारी बाजपेयी शीर्ष पर हैं.

जयराम शुक्ल by जयराम शुक्ल
Aug 16, 2024, 07:35 pm IST
FacebookTwitterWhatsAppTelegram

आज की उथली राजनीति और हल्के नेताओं के आचरण के बरक्स देखें तो अटलबिहारी बाजपेयी के व्यक्तित्व की थाह का आंकलन कर पाना बड़े से बड़े प्रेक्षक, विश्लेषक और समालोचक के बूते की बात नहीं. वाजपेयी जी सुचिता की राजनीति के जीवंत प्रतिमूर्ति थे. आज उनकी पुण्यतिथि है. स्वतंत्रता के बाद जिन नेताओं के व्यक्तित्व की समग्रता का असर देशवासियों पर रहा उनमें से अटलबिहारी बाजपेयी शीर्ष पर हैं. हमारी पीढ़ी ने पं. नेहरू के बारे में पढ़ा व सुना है और अटलजी को विकट परिस्थितियों के साथ दो-दो हाथ करते देखा है.

पंडितजी स्वप्नदर्शी थे जबकि अटलजी ने भोगे हुए यथार्थ को जिया है. एक अत्यंत धनाढ्य वकील के वारिस पंडित जी पर महात्मा गांधी जैसे महामानव की छाया थी और आभामंडल में स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास. जबकि अटल जी की राजनीति गांधीजी की हत्या के बाद उत्पन्न ऐसी विकट परिस्थितियों में शुरू हुई, जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और जनसंघ के खिलाफ शंका का वातावरण निर्मित व प्रायोजित किया गया था. जन सरोकारों के प्रति अटलजी का समर्पण, निष्ठा ने ही साठ के दशक में प्रतिपक्ष की राजनीति का शुभंकर बना दिया था. बचपन में हम लोग सुनते थे- ‘अटल बिहारी दीया निशान, मांग रहा है हिन्दुस्तान’… हाल यह कि जो संघ या जनसंघ को पसंद नहीं करता था उसके लिए भी अटल जी आंखों के तारे थे.

वे 1957 में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से उपचुनाव के जरिए लोकसभा पहुंचे और 1977 तक लोकसभा में भारतीय जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे. अजातशत्रु शब्द यदि किसी के चरित्र में यथारूप बैठता है तो वे श्रीअटल जी हैं. दिग्गज समाजवादियों से भरे प्रतिपक्ष में उन्होंने अपनी लकीर खुद तैयार की. वे पंडित नेहरू और डॉ. लोहिया दोनों के प्रिय थे। वाक्चातुर्य और गांभीर्य उन्हें संस्कारों में मिला, वे श्रेष्ठ पत्रकार व कवि थे ही. इस गुण ने राजनीति में उन्हें और निखारा. अपने कविरूप का हुंकार भरते हुए उन्होंने परिचयात्मक शैली में कहा था- ‘मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं, वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य निनाद नहीं, वह आत्मविश्वास का जयघोष है.’

अटलजी ने एक राजनेता के तौर पर भी इसी भावना को आत्मसात किया. उनकी वक्तव्य कला मोहित और मंत्रमुग्ध करने वाली थी, जो जनसंघ व कालांतर में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में करो या मरो, संभावनाओं और उत्साह का जोश जगाती रही. वह प्रसिद्ध उक्ति न सिर्फ भाजपा के कार्यकर्ताओं को याद है बल्कि अटलजी के चाहने वालों को आज भी उद्धेलित करती है. 6 अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के कुछ महीनों बाद हुए भाजपा के मुंबई अधिवेशन में उद्घोष किया- ‘अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा.’ इसके बाद से कमल खिलता ही रहा.

यह अटलजी की दूरदृष्टि ही कि उनकी पहल पर पार्टी के सिद्धांतों में ‘गांधीवादी समाजवाद के प्रति निष्ठा’ का नीति निर्देशक तत्व जोड़ा गया. अटल जी को इस बात का आभास था कि यदि भाजपा को राजनीतिक अस्पृश्यता के बाहर करना है तो गांधी के मार्ग पर चलना होगा. वे 1977 के जनता पार्टी के गठन और उसके अवसान से आहत तो थे पर उनका अनुमान था कि बिना गठबंधन के ‘दिल्ली’ हासिल नहीं हो सकती. सत्ता की भागीदारी के जरिए फैलाव की नीति, कम्युनिस्टों से उलट थी, इसलिए वीपी सिंह सरकार में भी भाजपा को शामिल रखा जबकि यह गठबंधन भी लगभग जनता पार्टी पार्ट-टू ही था. 1980 में जनसंघ घटक दोहरी सदस्यता के सवाल पर जनता पार्टी से बाहर निकला था और 1989 की वीपी सिंह की जनमोर्चा सरकार से राममंदिर के मुद्दे पर.

1996 में 13 दिन की सरकार ने भविष्य के द्बार खोले तब अटलजी ने अपने मित्र कवि डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन जी की इन पंक्तियों को दोहराते हुए खुद की स्थिति स्पष्ट की थी. ”क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं। संघर्ष पथ में जो मिले, यह भी सही, वह भी सही.’’ ये पंक्तियां अटल जी के समूचे व्यक्तित्व के साथ ऐसी फिट बैठीं कि आज भी लोग इन पंक्तियों का लेखक अटल जी को ही मानते हैं न कि सुमन जी को. अटल जी ने गठबंधन धर्म का जिस कुशलता और विनयशीलता के साथ निर्वाह किया शायद ही अब कभी ऐसा हो. वे गठबंधन को सांझे चूल्हे की संस्कृति मानते थे. एक रोटी बना रहा, दूसरा आटा गूंथ रहा तो कोई सब्जी तैयार कर रहा है, वह भी अपनी शैली में और फिर मिश्रित स्वाद, न अहम्, न अवहेलना.

अटलजी का व्यक्तित्व ऐसा ही कालजयी था कि असंभव सा दिखने वाला 24 दलों का गठबंधन हुआ, जिसमें पहली बार दक्षिण की पार्टियां शामिल हुईं. 1998 में जयललिता की हठ से एक वोट से सरकार गिरी. अटल बिहारी बाजपेयी ने कहा जनभावनाएं संख्याबल से पराजित हो गईं, हम फिर लौटेंगे और एक वर्ष के भीतर ही चुनाव में वे लौटे भी और इतिहास भी रचा. अपने राजनीतिक जीवन में अटल जी ने कभी किसी को लेकर ग्रंथि नहीं पाली. अपनी पार्टी में उनकी विराटता के आगे सभी बौने थे फिर भी उन्होंने आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी को अपने बराबर समझा. कई मसलों में तो वे आडवाणी के सामने भी विनत हुए.

सन् 71 में बांग्ला विजय पर उन्होंने इंदिरा जी मुक्तकंठ से प्रशंसा की. लोकसभा में रणचंडी कहकर इंदिरा जी का अभिनंदन किया. उन्हीं इंदिरा जी ने आपातकाल में बाजपेयी जी को जेल में भी डाला. मुझे नहीं मालूम कि अटल जी ने कभी किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी की या राजनीतिक हमले किए हों. राष्ट्रहित की बातें उन्होंने दूसरों से भी लीं. इंदिरा जी के परमाणु कार्यक्रम को उन्होंने आगे बढ़ाया व 1998 की तेरह महीने की सरकार के दरम्यान पोखरण विस्फोट किए. किसी की परवाह किए बगैर देश को वैश्विक शक्ति बनाने में लगे रहे.

यह संयोग नहीं बल्कि दैवयोग है कि उनका जन्म ईसा मसीह के जन्म के दिन हुआ. ‘वही करुणा, वही क्षमा’ पर सिला भी वही ईशु की भांति ही मिला. दिल्ली से लाहौर तक बस की यात्रा की, जवाब में कारगिल मिला. पाकिस्तान को छोटा भाई मानते हुए जब-जब भी गले लगाने की चेष्ठा की, उसका परिणाम उल्टा ही मिला. अक्षरधाम, संसद हमला, एयर लाइंस अपहरण, इन सबके बावजूद उन्होंने जनरल परवेज मुशर्रफ को आगरा वार्ता के लिए बुलाया. लगता है अचेतन मन से आज भी अटल जी यही कह रहे हों कि हे प्रभु, उन्हें माफ करना क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं.

(लेखक, वरिष्‍ठ स्‍तम्‍भकार एवं पत्रकार हैं.)

हिन्दुस्थान समाचार

ये भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी बसपा, मायावती ने किया ऐलान

ये भी पढ़ें- PM मोदी ने इजराइल के प्रधानमंत्री से फोन पर की बात, वेस्ट एशिया के हालातों पर हुई चर्चा

Tags: IndiaAtal Bihari VajpayeeBharat RatnaAtal ji
ShareTweetSendShare

संबंधितसमाचार

अवैध बांग्लादेशियों पर लगातार कार्रवाई जारी
Nation

अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं पर लगातार कार्रवाई जारी, अबतक कितने घुसपैठियों पर कसा शिकंजा

कभी मंदिर तो कभी हिन्दुओं पर निशाना, मानसिक विक्षिप्तता की आड़ में खतरनाक खेल!
Nation

कभी मंदिर तो कभी हिन्दुओं पर निशाना, मानसिक विक्षिप्तता की आड़ में खतरनाक खेल!

पाकिस्तान जासूसों को गिरफ्तार
Nation

पाकिस्तानी जासूसों पर भारत का लगातार एक्शन जारी, जानिए पहले कब-कब आए ऐसे मामले

आतंक के समर्थक तुर्की पर भारत का कड़ा प्रहार
Nation

आतंक के समर्थक तुर्की पर भारत का कड़ा प्रहार, पर्यटन से व्यापार तक सर्वव्यापी बहिष्कार

'शरिया' बंदिशों में बंधा अफगानिस्तान, जानिए 2021 से अब तक के बड़े प्रतिबंध
Nation

‘शरिया’ बंदिशों में बंधा अफगानिस्तान, जानिए 2021 से अब तक के बड़े प्रतिबंध

कमेंट

The comments posted here/below/in the given space are not on behalf of Ritam Digital Media Foundation. The person posting the comment will be in sole ownership of its responsibility. According to the central government's IT rules, obscene or offensive statement made against a person, religion, community or nation is a punishable offense, and legal action would be taken against people who indulge in such activities.

ताज़ा समाचार

अवैध बांग्लादेशियों पर लगातार कार्रवाई जारी

अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं पर लगातार कार्रवाई जारी, अबतक कितने घुसपैठियों पर कसा शिकंजा

कभी मंदिर तो कभी हिन्दुओं पर निशाना, मानसिक विक्षिप्तता की आड़ में खतरनाक खेल!

कभी मंदिर तो कभी हिन्दुओं पर निशाना, मानसिक विक्षिप्तता की आड़ में खतरनाक खेल!

पाकिस्तान जासूसों को गिरफ्तार

पाकिस्तानी जासूसों पर भारत का लगातार एक्शन जारी, जानिए पहले कब-कब आए ऐसे मामले

आतंक के समर्थक तुर्की पर भारत का कड़ा प्रहार

आतंक के समर्थक तुर्की पर भारत का कड़ा प्रहार, पर्यटन से व्यापार तक सर्वव्यापी बहिष्कार

'शरिया' बंदिशों में बंधा अफगानिस्तान, जानिए 2021 से अब तक के बड़े प्रतिबंध

‘शरिया’ बंदिशों में बंधा अफगानिस्तान, जानिए 2021 से अब तक के बड़े प्रतिबंध

सामने आई पाकिस्तान की एक और जिहादी साजिश

सोशल मीडिया पर कर्नल सोफिया कुरैशी के घर पर हमले की कहानी झूठी, मामला निकला फर्जी

पाकिस्तान ने भारत के सामने टेके घुटने

पाकिस्तान ने BSF जवान पूर्णिया कुमार को छोड़ा, DGMO की बैठक के बाद हुई रिहाई

बीआर गवई बने भारत के मुख्य न्यायधीश

जस्टिस बीआर गवई बने भारत के 52वें चीफ जस्टिस, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

हिन्दू पहचान के आधार पर अब तक देश में कहां और कितनी हत्याएं?

हिन्दू पहचान के आधार पर अब तक देश में कहां और कितनी हत्याएं?

भारत में 'एक्स' पर चीनी अखबार Global Times का अकाउंट बंद, फेक न्यूज फैलाने पर कार्रवाई

भारत में ‘एक्स’ पर चीनी अखबार Global Times का अकाउंट बंद, फेक न्यूज फैलाने पर कार्रवाई

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer

© Ritam Digital Media Foundation.

No Result
View All Result
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
  • Politics
  • Opinion
  • Business
  • Entertainment
  • Lifestyle
  • Sports
  • About & Policies
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Terms & Conditions
    • Disclaimer

© Ritam Digital Media Foundation.