केंद्रीय संघ लोक सेवा आयोग ने लैटर स्कीम से सीधी भर्तियां निकाली है. अब इस लैटरल स्कीम का विपक्षी दलों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. पहले अखिलेश यादव ने इसक स्कीम के खिलाफ 2 अक्टूबर को आंदोलन करने की बात कही तो अब बसपा प्रमुख मायावती भी इसे गैर-कानूनी और असंवैधानिक बताते हुए कड़ी विराध किया है.
सपा अध्यक्ष और लोकसभा सांसद अखिलेश यादव इस स्कीम को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी अपने लोगों को पिछले दरवाजे से यूपीएसपी के उच्च पदों पर बैठाने की साजिश कर रही है. उन्होंने कहा इस स्कीम के तहत अधिकारियों का प्रमोशन और युवाओं के उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद हो जाएगा. आम लोग बाबू या चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे. अखिलेश यहीं नहीं रूके बीजेपी पर पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने का आरोप लगाया. अखिलेश ने इस स्कीम को वापस लेने की मांग भी की. वहीं अखिलेश यादव ने 2 अक्टूबर यानि गांधी जयंती के दिन स्कीम के विरोध में आंदोलन शुरू करने की बात कही. साथ ही देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आंदोलन में शामि होने का आग्रह किया.
भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाज़े से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साज़िश कर रही है, उसके ख़िलाफ़ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है।
ये तरीक़ा आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 18, 2024
बसपा प्रमुख मायावती ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि केन्द्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का सरकार का निर्णय सही नहीं है. क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा. उन्होंने आगे कहा कि इन सरकारी नियुक्तियों में एससी-एसटी और ओबीसी वर्गों के लोगों को उनके कोटे के अनुपात में अगर नियुक्ति नहीं दी जाती है तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन होगा. इन उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियों को बिना किसी नियम के बनाए भर्ती करना, यह भाजपा सरकार की मनमानी होगी, जो कि गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक होगा.
1. केन्द्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा। 1/3
— Mayawati (@Mayawati) August 18, 2024
2. इसके साथ ही, इन सरकारी नियुक्तियों में SC, ST व OBC वर्गों के लोगों को उनके कोटे के अनुपात में अगर नियुक्ति नहीं दी जाती है तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन होगा। 2/3
— Mayawati (@Mayawati) August 18, 2024
3. और इन उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियों को बिना किसी नियम के बनाये हुये भरना यह बीजेपी सरकार की मनमानी होगी, जो कि गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक होगा। 3/3
— Mayawati (@Mayawati) August 18, 2024
दरअसल, 2019 में शुरू हुई यूपीएससी की लेटरल स्कीम के तहत संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती की जाती है. इस स्कीम में वो कारपोरेट कर्मचारी अप्लाई कर सकते हैं जिनके पास यूजी की डिग्री हो और उन्होंने संबंधित पद और सेक्टर में कम से कम 15 साल काम किया हो. इस स्कीम में आवेदन करने के बाद लोगों का चयन उनके अनुभव के आधार पर किया जाता है और फिर उनका इंटरव्यू लिया जाता है, जिसके बाद इंटरव्यू पास करने वाले छात्रों की नियुक्ति की जाती है.
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