Tuesday, July 8, 2025
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer
Ritam Digital Hindi
Advertisement Banner
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Legal
    • Business
    • History
    • Viral Videos
  • Politics
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
  • Opinion
  • Lifestyle
No Result
View All Result
Ritam Digital Hindi
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Legal
    • Business
    • History
    • Viral Videos
  • Politics
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
  • Opinion
  • Lifestyle
No Result
View All Result
Ritam Digital Hindi
No Result
View All Result
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
  • Politics
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
  • Opinion
  • Lifestyle
Home Nation

Opinion: रक्षाबंधन पर भी चढ़ा आधुनिकता का रंग

अधिकांश लोग अब डिजाइनर, हाईटेक और स्वदेशी राखियों को ही पसंद करने लगे हैं. राखी निर्माताओं के साथ-साथ अधिकांश राखी विक्रेताओं का भी यही कहना है कि तकनीक के इस युग में लोग अब हाईटेक और स्वदेशी राखियों की ही ज्यादा मांग करते हैं. पूरी तरह से स्वदेशी स्टोन की रंग बिरंगी आकर्षक ‘हाईटेक’ राखियों की डिमांड बहुत ज्यादा है.

योगेश कुमार गोयल by योगेश कुमार गोयल
Aug 18, 2024, 07:06 pm IST
FacebookTwitterWhatsAppTelegram

भाई द्वारा बहन की रक्षा का वचन देने के प्रतीक के रूप में मनाए जाने वाले त्यौहार रक्षाबंधन के मायने वर्तमान युग में बहुत बदल गए हैं. रिश्तों के इस पर्व पर अब भावनाओं से ज्यादा राखी की कीमत देखी जाने लगी है. बदले जमाने के साथ रक्षाबंधन मनाने के तौर-तरीकों में तो बदलाव आया ही है, साथ ही कच्चे धागों के रूप में भाई की कलाई पर बांधा जाने वाला भाई-बहन के रिश्ते का यह बंधन अब कच्चे धागों के स्थान पर सोने-चांदी की जंजीरों का रूप ले चुका है. भाईबहन के अटूट प्यार के इस पर्व पर अब आधुनिकता का रंग चढ़ चुका है. समय बदलने के साथ-साथ राखियों का अंदाज पूरी तरह बदल गया है. हर वर्ष रक्षाबंधन पर अब बाजार में सैंकड़ों तरह की नई राखियां आती हैं. लोगों में नए-नए डिजाइनों वाली महंगी राखियों के प्रति दीवानगी इस कदर बढ़ गई है कि अब राखी बनाने वाले बड़े-बड़े निर्माताओं ने तो बाकायदा राखियों के नए-नए डिजाइन तैयार कराने के लिए डिजाइनरों की सेवाएं लेनी शुरू कर दी हैं. राखी का पर्व बीतते ही अब अगले साल के लिए नए-नए डिजाइन तैयार करने की चिंता शुरू हो जाती है क्योंकि राखियों के सैंकड़ों आकर्षक डिजाइनों के बावजूद ग्राहक हर बार ‘मोर डिजाइन्स’ की डिमांड करते हैं. यही कारण है कि एक साल बनाए गए राखी के नए डिजाइन अगले साल ‘आउटडेटेड’ हो जाते हैं. फैंसी राखियों में जो डिजाइन एक साल बिकते हैं, वे अगले साल नहीं बिकते जबकि राखी के जिन डिजाइनों में प्राचीन कलात्मकता का प्रयोग किया जाता है, ऐसी राखियां महंगी होने के बावजूद ज्यादा बिकती हैं.

बाजारों में अब पारम्परिक सौन्दर्य के साथ-साथ आधुनिकता का भी तड़का लगा है. परम्परागत राखियों के साथ-साथ बाजार इलैक्ट्रॉनिक राखियों और हैरी पॉटर, फेंगसुई, स्पाइरडरमैन, मोगली, मिक्की माउस, छोटा भीम, बेनटेन, डोरीमॉन, वीडियो गेम, कम्प्यूटर, स्मार्टफोन इत्यादि तरह-तरह के डिजाइनों वाली आकर्षक राखियों से भरे नजर आते हैं. महिलाओं तथा बच्चों का आकर्षण भी साधारण राखियों के बजाय नए-नए डिजाइनों वाली इन ‘हाइटैक’ राखियों की ओर ही देखा जा रहा है. हाईटेक राखियों में गैजेट राखियां, 3-डी और एलईडी तथा म्यूजिकल राखियां शामिल हैं. अधिकांश लोग अब डिजाइनर, हाईटेक और स्वदेशी राखियों को ही पसंद करने लगे हैं. राखी निर्माताओं के साथ-साथ अधिकांश राखी विक्रेताओं का भी यही कहना है कि तकनीक के इस युग में लोग अब हाईटेक और स्वदेशी राखियों की ही ज्यादा मांग करते हैं. पूरी तरह से स्वदेशी स्टोन की रंग बिरंगी आकर्षक ‘हाईटेक’ राखियों की डिमांड बहुत ज्यादा है. हालांकि राखी निर्माण के लिए बड़ी मात्रा में कच्चा माल चीन से ही आयात किया जाता है लेकिन डिजाइनर राखियों का डिजाइन देश में ही तैयार किया जाता है. चाइनीज राखियों से लोगों का लगाव काफी कम हो गया है और अब अधिकांश लोग चाइनीज राखियों की जगह स्वदेशी राखियों को ज्यादा पसंद करते हैं. बच्चों को आकर्षित करने के लिए म्यूजिकल राखियों के अलावा घड़ी और छोटे-छोटे सुंदर खिलौने लगी राखियां भी बाजार में उपलब्ध हैं.

कई वर्षों से राखी बेचने का कार्य कर रहे एक दुकानदार बताते हैं कि अब रंग-बिरंगी राखियों का जमाना लद गया है और फैंसी हाईटेक राखियों के इस दौर में हर कोई राखियों के नए डिजाइनों की तलाश में रहता है. वह बताते हैं कि एक समय था, जब रेशम के साधारण धागे ही अधिक मात्रा में बिकते थे किन्तु अब राखियों के डिजाइनों में भी इलैक्ट्रॉनिक राखियों की मांग बहुत बढ़ गई है. घड़ीनुमा व वीडियोगेम वाली राखियां छोटे बच्चों की पहली पसंद बनी हुई हैं. हालांकि लौंग, इलायची व सुपारी वाली कलात्मक राखियां अब भी पसंद की जाती हैं. वह बताते हैं कि ग्रामीण महिलाओं का झुकाव अब भी पारम्परिक राखियों की ओर ही देखने को मिल रहा है लेकिन बड़े लोगों की पसंद अब फैंसी राखियों को छोड़कर सोने-चांदी की राखियों पर टिकी हुई है. चांदी की जंजीरनुमा राखियां तो अब आम हो चली हैं.

एक दुकान पर राखी खरीद रही एक महिला से जब उनकी पसंद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि राखी खरीदते समय वह इस बात का ध्यान रखती हैं कि उसके भाईयों की कलाई पर कौनसी राखी ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक लगेगी. उन्होंने बताया कि उन्हें अब परम्परागत गोल राखियों के बजाय नए-नए डिजाइनों वाली इलैक्ट्रॉनिक राखियां ज्यादा पसंद हैं जबकि उन्होंने छोटे बच्चों के लिए मिक्की माउस, स्पाइडरमैन, मोगली इत्यादि बच्चों को लुभाने वाले डिजाइनों की राखियां खरीदी हैं. राखियां खरीद रही एक अन्य महिला के साथ आए बच्चों से उनकी पसंद के बारे में पूछने पर उन्होंने उत्साहित स्वर में बताया कि उन्हें हैरी पॉटर, स्पाइडरमैन व मिक्की माउस की राखियां बहुत पसंद आई हैं. शहर-शहर और गांव-गांव गलियों में जाकर आवाजें लगाकर राखियां बेचने वाले 56 वर्षीय हुक्मचंद तो बदले जमाने की पसंद से खासे हैरान हैं. वह कहते हैं कि वह अब से नहीं बल्कि अपनी जवानी के दिनों से राखियां बेचने का धंधा कर रहे हैं. पुराने जमाने को याद करते हुए वह बताते हैं कि एक समय था, जब वो किसी गांव में जाते थे तो महिलाओं की टोली उन्हें घेर लेती थी और राखियों में सजावट से ज्यादा कोमलता देखी जाती थी किन्तु आज तो राखियों की सौदेबाजी की जाती है. दुखी स्वर में वह कहते हैं कि बदले जमाने ने ऐसी हवा दी है कि उस जैसे गली-गली में राखियां बेचने वाले से राखी खरीदने से पहले लोग अब अपने ‘स्टेटस’ की ओर देखने लगे हैं और हम जैसे लोगों से वैसे ही आकर्षक डिजाइनों वाली फैंसी राखियां खरीदने के बजाय बहुत से लोग बड़ी-बड़ी दुकानों या गिफ्ट गैलरियों से वही राखियां ऊंचे दामों पर खरीदना अपनी शान समझते हैं.

आधुनिकता के इस दौर में राखी बाजार में अब पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी अनूठी और सराहनीय पहल देखने को मिल रही है. दरअसल अब ऐसी राखियों की ओर भी लोगों का रूझान बढ़ रहा है, जो गाय के गोबर से बनाई जाती हैं. कई स्थानों पर अब गौशालाओं में गाय के गोबर से राखियों का निर्माण किया जा रहा है. गोबर को राखी का आकार देकर सुखाया जाता है और फिर उसे सजाकर उसके साथ सूत का धागा बांधा जाता है. बहरहाल, एक ओर जहां बाजार में सामान्य तौर पर बिकने वाली आधुनिक राखियों में चीन से आयातित सामान का इस्तेमाल होता है, जिसमें प्लास्टिक और धातु होने के साथ ही पेंट का भी इस्तेमाल होता है, जो पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं और ऐसी राखियां टूटने के बाद एकदम से नष्ट भी नहीं होती, वहीं गाय के गोबर से बनी ऐसी राखियां किसी भी प्रकार से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती क्योंकि इन राखियों का काम खत्म होने के बाद इन्हें आसानी से मिट्टी में दबाया जा सकता है, जिससे जमीन की उर्वरकता बढ़ेगी. इन राखियों को खरीदने में कई संस्थाएं भी दिलचस्पी दिखा रही हैं.

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं.)

हिन्दुस्थान समाचार

ये भी पढ़ें- गाजियाबाद से मेरठ पहुंची रैपिड ट्रेन, रक्षा बंधन पर NCRTC का तोहफा

ये भी पढ़ें- ‘सीएम पद से हटाकर मेरा अपमान किया…’, हेमंत सोरेन के खिलाफ चंपई सोरेन ने खोला मोर्चा

Tags: Rakshabandhan SpecialRakshabandhan
ShareTweetSendShare

संबंधितसमाचार

Martyrdom Day of Captain Vikram Batra
Nation

7 जुलाई 1999: कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरगाथा- कारगिल युद्ध में बलिदान

Dalai Lama Birthday
Nation

दलाई लामा जन्मदिन: तिब्बत की पहचान और अस्तित्व के लिए चीन के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक

Shyama Prasad Mukherjee Birthday
Nation

देश की अखंडता का सपना, अनुच्छेद-370 का विरोध… जानिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन से जुड़ी बड़ी उपलब्धियां

राष्ट्र ध्वज के निर्माता पिंगली वेंकैया की पुण्यतिथि
Nation

Pingali Venkaiah Death Anniversary: 30 देशों के झंडे की स्टडी के बाद तैयार हुआ तिरंगा, जानिए पिंगली वेंकैया का योगदान

Swami Vivekananda
Nation

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर विशेष… हिंदू संस्कृति को पूरे विश्व में दिलाया था सम्मान

कमेंट

The comments posted here/below/in the given space are not on behalf of Ritam Digital Media Foundation. The person posting the comment will be in sole ownership of its responsibility. According to the central government's IT rules, obscene or offensive statement made against a person, religion, community or nation is a punishable offense, and legal action would be taken against people who indulge in such activities.

ताज़ा समाचार

Martyrdom Day of Captain Vikram Batra

7 जुलाई 1999: कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरगाथा- कारगिल युद्ध में बलिदान

Dalai Lama Birthday

दलाई लामा जन्मदिन: तिब्बत की पहचान और अस्तित्व के लिए चीन के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक

Shyama Prasad Mukherjee Birthday

देश की अखंडता का सपना, अनुच्छेद-370 का विरोध… जानिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन से जुड़ी बड़ी उपलब्धियां

राष्ट्र ध्वज के निर्माता पिंगली वेंकैया की पुण्यतिथि

Pingali Venkaiah Death Anniversary: 30 देशों के झंडे की स्टडी के बाद तैयार हुआ तिरंगा, जानिए पिंगली वेंकैया का योगदान

Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर विशेष… हिंदू संस्कृति को पूरे विश्व में दिलाया था सम्मान

कजाकिस्तान सरकार ने बुर्के पर लगाया बेैन

कजाकिस्तान ने बुर्के हिजाब पर लगाया बैन, इन देशों में भी है चेहरा ढकने पर रोक, 10 पॉइंट्स में समझें

Old Delhi Railway Stations Name Change Proposal

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम महाराजा अग्रसेन स्टेशन करने की मांग, जानें इससे जुड़े 10 महत्वपूर्ण तथ्य

Courts Ban Namaz

सार्वजनिक जगहों पर नमाज पर कोर्ट की रोक: 7 अहम फैसले (2018–2025)

ग्रेटर नोएडा

15 प्वाइंट्स में समझे ग्रेटर गाजियाबाद की संकल्पना और जिले का महत्व

Doctors Day

National Doctor’s Day: डॉ. बिधान चंद्र रॉय: एक महान चिकित्सक, दूरदर्शी नेता और राष्ट्र निर्माता

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer

© Ritam Digital Media Foundation.

No Result
View All Result
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
  • Politics
  • Opinion
  • Business
  • Entertainment
  • Lifestyle
  • Sports
  • About & Policies
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Terms & Conditions
    • Disclaimer

© Ritam Digital Media Foundation.