दलित और आदिवासी संगठनों ने बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है. इस वजह से आज कई स्थानों पर सेवाएं और संसाधन बाधित रहेंगी. दरअसल, अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बंद का आह्वान किया गया है. बसपा समेत कई पार्टियां इस बंद के समर्थन में उतरी हैं.
ऐसे में सवाल ये हैं कि भारत बंद क्यों बुलाया गया है? सुप्रीम कोर्ट का वो कौन-सा फैसला है, जिसका दलित संगठन विरोध कर हैं? दलित संगठनों की क्या मांगे हैं? संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में लेटरल एंट्री क्यों सवालों के घेरे में है? भारत बंद के दौरान क्या-क्या खुलेगा और क्या बंद रहेगा? चलिए इस सभी सवालों के जवाब यहां जानते हैं.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाया था कि सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं. कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हैं. जैसे सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाली दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं. ऐसे में इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है. कोर्ट ने साफ किया कि ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ ही राज्यों को जरूरी हिदायत देते हुए कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं. इसमें भी दो शर्त लागू होंगी. पहली शर्त ये है कि एससी के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकतीं. दूसरा कि एससी में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए.
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश सतीश चंद्र शर्मा की 7 सदस्यीय बेंच ने ये फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट ने किन याचिकाओं पर सुनाया ये फैसला?
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया था, जिनमें कहा गया था कि एससी और एसटी के आरक्षण का लाभ उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला रहा है. जिसकी वजह से कई जातियां पीछे रह गई हैं. याचिका में इन जातियों को मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटे का प्रावधान करने की मांग की गई. इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण कर सकते हैं.
कौन सी पार्टियां भारत बंद का समर्थन में?
भारत बंद का समर्थन करने वाली पार्टियों में बहुजन समाजवादी पार्टी, भीम आर्मी चीफ, भारत आदिवासी पार्टी कर रही है. साथ ही कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों के नेता भी समर्थन में आ गए हैं.
क्या मांगे हैं?
दलितों का नेतृत्व कर रही NACDAOR यानी नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस ने मांग रखी है कि-
- सुप्रीम कोर्ट कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले या पुनर्विचार करे.
- सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति आधारित डेटा को तत्काल जारी किया जाए ताकि उनका सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके.
- समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और जजों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा आयोग की भी स्थापना की जाए ताकि हायर ज्यूडिशियरी में SC, ST और OBC श्रेणियों से 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए.
- केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरा जाए.
- सरकारी प्रोत्साहन या निवेश से लाभान्वित होने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियों को अपनी फर्मों में सकारात्मक कार्रवाई की नीतियां लागू करनी चाहिए.
- आरक्षण को लेकर दलित-आदिवासी संगठन एससी, एसटी और ओबीसी के लिए संसद में एक नए अधिनियम को पारित किया जाए और उस अधिनियम को 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए.
- उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में 50% न्यायाधीशों की भर्ती एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों से की जाए. साथ ही ये भी मांग की की जब तक यह लक्ष्य हासिल नहीं होता तब तक पहले से अधिक प्रतिनिधित्व वाले समुदायों से न्यायाधीशों की भर्ती पर रोक लगाई जाए.
लेटरल एंट्री पर बवाल क्यों?
UPSC में लेटरल एंट्री यानी प्राइवेट सेक्टर के लोगों की सरकार के बड़े पदों पर सीधी भर्ती करना है. इसका उद्देश्य होता है कि प्रशासन में एक्सपर्ट्स शामिल होते हैं और प्रतिस्पर्धा बनी रहती है. लेटरल एंट्री के तहत सरकार में संयुक्त सचिव, निदेशक या उप-सचिव की भर्तियां होती हैं. केंद्र सरकार ने 17 अगस्त को 45 अधिकारियों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थीं.
क्या लेटरल एंट्री में आरक्षण लागू नहीं होगा?
इसको लेकर भाजपा आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय का कहना है कि आयोग की ओर से निकाली गई लेटरल वैकेंसी में आरक्षण के वे नियम लागू होंगे, जो UPSC की किसी भी दूसरे परीक्षाओं में लागू होते हैं.
वहीं भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने एक आरटीआई के जवाब में बताया कि सरकारी नौकरियों में 13 रोस्टर पॉइंट के जरिए रिजर्वेशन लागू होता है.
रोस्टर सिस्टम क्या होता है?
इसमें सरकारी नौकरी में हर चौथा पद ओबीसी, हर 7वां पद एससी, 10वां पद ईडब्यूएस, हर 14वां पद एसटी के लिए रिजर्व होना चाहिए. हालांकि, तीन से कम पदों पर भर्ती के लिए रिजर्वेशन लागू नहीं होता है.
बता दें कि सरकार ने कानूनी की तकनीकी वजहों का लाभ उठाते हुए अलग-अलग विभागों से तीन से कम पदों के लिए विज्ञापन जारी किए हैं. इसलिए इसमें रिजर्वेशन लागू नहीं होता है. हालांकि, आज सरकार ने लेटरल एंट्री भर्ती रद्द कर दी है.
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भारत बंद को लेकर अभी तक किसी भी राज्य सरकार ने आधिकारिक तौर पर दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं. पुलिस-प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है. विरोध प्रदर्शन के दौरान जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिकारी व्यापक कदम उठा रहे हैं.
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