देश के हेल्थ केयर सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली केंद्र की आयुष्मान भारत योजना पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है. इसे कोई मोदी केयर के नाम से जानता है. तो कोई स्वस्थ भारत के नाम से ये इसे जानता है. लेकिन मूलत: योजना आयुष्मान भारत है. इसमें प्रति परिवार 5 लाख रूपये सालाना बीमा की राशि का प्रावधान है. ये योजना गरीब जनता के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं है. इसके जरिए वो मुफ्त में प्राईवेट अस्पतालों में इलाज करा सकते हैं.
अब केंद्र की मोदी सरकार ने तीसरे कार्यकाल में एक कदम और आगे बढ़ते हुए 5 लाख की लिमिट को तोड़कर 10 लाख और महिलाओं के लिए 15 लाख करने का प्रस्ताव रखा है. यह प्रस्ताव सामाजिक क्षेत्र पर 9 केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों के समूह (GoS) द्वारा तैयार किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह प्रस्ताव, नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों पर आधारित है. समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप दिया जाएगा और वित्त मंत्रालय और कैबिनेट से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
यह योजना देश के लगभग 12 करोड़ परिवारों के 55 करोड़ लोगों को कवर करती है, जो कि कुल आबादी का का 40 फीसदी है. इसके साथ ही लाभार्थियों की संख्या को 55 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ तक करने की तैयारी सरकार कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार, 20 जून 2024 तक 7.37 करोड़ लोगों ने इस योजना के तहत अस्पतालों में इलाज की सुविधा का लाभ लिया है.
इस योजना की राशि बढ़ाने के पीछे देश में मेडिकल इंस्फ्रास्टक्टर मजबूत करना है. जब 10 लाख रूपये मुफ्त इलाज की सुविधा होगी तो लोग प्राईवेट अस्पताल का रूख करेंगे. वहीं प्राईवेट अस्पताल को भी पता है कि मरीज इलाज कराने आएंगे. तो इससे देश में प्राईवेट अस्पतालों को नेटवर्क खड़ा हो जाएगा. जो हेल्थकेयर सेक्टर में बड़े बदलाव का संकेत देता है.
वहीं प्रस्ताव में निजी अस्पतालों में बेड़ बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है. अभी तक योजना के तहत लगभग 7.22 लाख निजी अस्पताल के बिस्तर हैं. इसे 2026-27 तक बढ़ाकर 9.32 लाख और 2028-29 तक 11.12 लाख करने का प्रस्ताव है.
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