सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI केस में दिल्ली के सीएम केजरीवाल को राहत नहीं मिल रही है. अब सर्वोच्च न्यायलय ने CM केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई 5 सितंबर तक के लिए टाल दी है. कोर्ट ने 14 अगस्त को सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी से जवाब मांगा था. CBI ने शुक्रवार को कोर्ट में बताया कि एक मामले में जवाब दाखिल कर दिया है जबकि दूसरे केस में जवाब देने के लिए उसे और समय चाहिए. जांच एजेंसी की अपील पर शीर्ष अदालत ने जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. अब 5 सितंबर को अदालत इस मामले पर सुनवाई करेगी.
केजरीवाल के खिलाफ ED और CBI का केस चल रहा है. ED मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है. वहीं CBI केस में वह जेल में बंद हैं.
सीबीआई ने हलफनामे में आरोप लगाया है कि केजरीवाल मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने का प्रयास कर रहे हैं जबकि विभिन्न अदालतों के आदेश में उनके प्रथम दृष्टया अपराध शामिल होने से संतुष्ट होकर उस पर पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है. सीबीआई ने कहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की रिट याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश मे कहा था कि यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण या अवैध थी.
सीबीआई ने कहा है कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि स्पेशल जज ने केजरीवाल की गिरफ्तारी और हिरासत में भेजने के आदेश देने में उचित प्रक्रिया का पालन किया था. केजरीवाल का प्रभाव और दबदबा स्पष्ट है क्योंकि मुख्यमंत्री होने के नाते उनका न केवल दिल्ली सरकार पर प्रभाव है बल्कि आप प्रमुख और राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते इससे जुड़े सभी प्रासंगिक निर्णय और गतिविधियों पर भी प्रभाव डालते है. उनकी अधिकारियों और नौकरशाहों के साथ घनिष्ठ सांठगांठ है. अगर केजरीवाल को जमानत पर रिहा किया जाता है तो मामले के प्रारंभिक चरण में होने और प्रमुख गवाहों की गवाही अभी बाकी होने की वजह से मामले की सुनवाई पर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
सीबीआई ने कहा है कि जहां तक मेडिकल जमानत पर रिहा किए जाने की बात है वह केवल तभी दिया जाना चाहिए जब जेल में इलाज संभव न हो. क्योंकि बीमारियों के संबंध में, जेल नियम और मैनुअल के अनुसार तिहाड़ जेल अस्पताल या उसके किसी भी रेफरल अस्पताल में उनका उचित उपचार किया जा सकता है. सीबीआई ने कहा है कि केजरीवाल इस घोटाले के किंगपिन हैं। बिना आबकारी विभाग के मंत्री रहते हुए भी पूरे घोटाले के वास्तुकार हैं. उनको इस घोटाले का सब कुछ पता था क्योंकि सारे निर्णय इनकी सहमति और निर्देशन में ही हुए बावजूद इसके जांच एजेंसी के सवालों का वह संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था. उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि केजरीवाल की तबीयत खराब है इसलिए अंतरिम जमानत दी जाए. कोर्ट ने इस अर्जी को नामंजूर कर दिया था. केजरीवाल ने सीबीआई की ओर से दर्ज मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने के साथ-साथ जमानत की भी मांग की है. पांच अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की सीबीआई गिरफ्तारी और ट्रायल कोर्ट के सीबीआई हिरासत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया था.
सीबीआई ने 26 जून को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. उसके पहले ईडी ने 21 मार्च की देरशाम को अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 1 जून तक की अंतरिम जमानत देते हुए 2 जून को सरेंडर करने का आदेश दिया था. केजरीवाल ने 2 जून को सरेंडर कर दिया था. ईडी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी.
हिन्दुस्थान समाचार
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