कर्नाटक में बुधवार को कोप्पल जिले के तहसीलदार ने गंगावती तालुका की सड़कों पर सजावटी बिजली के लैंप को हटाने का आदेश दिया, जिसे भगवान हनुमान का जन्मस्थान माना जाता है. सड़कों पर बिजली के लैंपों में ‘गदा’ और ‘धनुष’ को सजावटी संरचनाओं की तरह चित्रित किया है, जो भगवान राम और भगवान हनुमान द्वारा उठाए गए हथियारों का प्रतीक थे. तहसीलदार यू. नागराज ने सार्वजनिक लैंपों पर “हिंदू धार्मिक प्रतीकों” को चित्रित करके धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में कर्नाटक ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास निगम (केआरआईडीएल) के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज करने का भी आदेश दिया.
यह कार्रवाई सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) की खंभों पर टिप्पणी के बाद की गई. आपको बता दें कि SDPI एक प्रतिबंधित इस्लामी आतंकवादी संगठन है जो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की राजनीतिक शाखा है, जिसने लैंप पर आपत्ति जताई और कहा कि ये कथित तौर पर उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं. SDPI ने लैंप पर आपत्ति जताई और कहा कि ये कथित तौर पर उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं. SDPI ने 21 अगस्त को आधिकारिक अधिसूचना में गंगावती नगर विधानसभा आयुक्त से स्पष्टीकरण की अपील करते हुए कहा था, “बिजली के खंभों में धार्मिक प्रतीक हैं जो गंगावती में सांप्रदायिक शांति को भंग कर सकते हैं.”
हालांकि, SDPI के विरोध के बाद तहसीलदार ने सांप्रदायिक वैमनस्यता का हवाला देते हुए लैंप हटाने को कहा. तहसीलदार की आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि ये खंभे शहर में धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ सकते हैं. “चूंकि शहर में सार्वजनिक शांति भंग होने की संभावना है, इसलिए खंभों को तुरंत हटा दिया जाना चाहिए. इस कार्य को करने के लिए केआईआरडीएल इंजीनियरों के खिलाफ मामला दर्ज करें और उचित कार्रवाई करें, ”
बता दें कि पोल हटाने के तहसीलदार के आदेश और अधिकारियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर नाराजगी के बाद, जिला कलेक्टर ने आदेश को रद्द करने के लिए एक मौखिक आदेश जारी किया.
किस मार्ग पर बने हैं पोल?
ये खंभे विशेष रूप से सौंदर्यीकरण के लिए गंगावती क्षेत्र में राणा प्रताप सर्कल और जूलिया नगर के बीच सड़क पर लगाए गए हैं.यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गंगावती (कोप्पल जिले) में अंजनाद्री पहाड़ियों को भगवान हनुमान के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है.
धनुष-गदे वाले खंभे बनाने की वजह
स्थानीय रिपोर्टों में कहा गया है कि अंजनाद्रि पहाड़ियों की ओर जाने वाले रास्ते पर यात्रा करने वाले भक्तों के मन में धार्मिक प्रेरणा पैदा करने के लिए ‘तीर’ और ‘गदा’ के प्रतीकों को चित्रित करने वाले बिजली के खंभे लगाए गए हैं. मार्ग 12 किमी लम्बा है. स्थापना के दौरान यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि यह कृत्य किसी अन्य सांप्रदायिक इरादे से नहीं किया जा रहा है. भगवान हनुमान की जन्मस्थली को अयोध्या और तिरूपति के मॉडल पर सजाने का प्रयास किया गया है और सजावटी बिजली के खंभे उसी प्रयास का हिस्सा थे.
तहसीलदार यू नागराज ने एक और अधिसूचना जारी कर कहा कि कोई भी बिजली का खंभा नहीं हटाया जाएगा और पुलिस के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा. तहसीलदार ने कहा कि पूर्व आदेश को वापस लिया जा रहा है.
नई अधिसूचना में कहा गया है, “चूंकि यह मामला नगरपालिका परिषद के दायरे में आता है, इसलिए सामान्य बैठक में एक प्रस्ताव रखा गया, मामला प्रस्तुत किया गया और अनुमोदित किया गया, और पृष्ठभूमि आदेश मेरी सूचना के बिना बनाया गया था.”
हिन्दुओं की आस्था पर बार-बार चोट
कर्नाटक में हिंदू आस्था पर चोट का ये कोई पहला मामला नहीं है. कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाना तो बेहद आम बात है. कांग्रेस हमेशा से हिंदू विरोधी रही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कर्नाटक सरकार का वो फैसला जिसमें हिंदू मंदिरों पर 10 प्रतिशत टेक्स लगाए गए हैं. इसके अलावा स्कूल परिषर में गणेश उत्सव और जन्माष्टमी मनाने पर भी कर्नाटक में प्रतिबंध लगा दिया गया है. तो वहीं भगवान से जुड़े स्थलों के नाम भी बदले जा रहे हैं. इसी कड़ी में कर्नाटक कैबिनेट ने रामनगर जिले का नाम बेंगलुरु दक्षिण कर दिया. यही नहीं कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के कई मंत्री अपने बयानों से हिंदू धर्म की उत्पत्ति पर भी सवाल उठा चुके हैं. खुद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने फरवरी 2023 में अपने एक बयान में कहा था कि हिंदुत्व हत्या, हिंसा और भेदभाव को बढ़ावा देता है.
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