Himachal Pradesh Economic Crisis: हिमाचल प्रदेश पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. राज्य में पहली बार ऐसा हुआ जब प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को पहली तारीख को सैलरी नहीं मिली. सैलरी न पाने वाले कर्मचारियों की संख्या दो लाख है. इनके साथ- साथ ही 1.5 लाख पेंशनर्स भी हैं, जिन्हें पेंशन नहीं दी गई है. कहा जा रहा है कि पेंशन और सैलरी के लिए पेंशनभोगियों और कर्मचारियों को पांच तारीख तक का इंतजार करना पड़ेगा. राज्य में जिस तरह के आर्थिक हालात पैदा हुए हैं, उसने कर्मचारियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है.
हिमाचल प्रदेश पर 94 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
दरअसल राज्य में जो आर्थिक संकट गहरा रहा है उसके पीछे का कारण प्रदेश पर पड़ा कर्ज का बोझ है. अभी के हालातों को देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश पर करीब 94 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है. यही वजह है जिसके कारण राज्य के आर्थिक हालात और ज्यादा कमजोर हो गए हैं. इतना ही नहीं पूराने कर्ज चुकाने के लिए राज्य सरकार नए कर्ज ले रही है. कर्मचारियों और पेंशनर्स को राज्य सरकार को लगभग 10 हजार करोड़ रुपये देने हैं. यानी सरकारी पर कर्मचारियों और पेंशनर्स की 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारी बाकी है.
सूक्खू की सरकार की हो रही आलोचना
इस पैसे को न देने पाने की स्थिति में प्रदेश की सीएम सूक्खू की सरकार की आलोचना भी हो रही है. बता दें कि, साल 2022 के चुनाव में सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस की ओर से कई बड़े वादे किए गए थे, जिसकी चर्चा में प्रदेश में समय-समय पर लगातार होती रहती है. आपको ये भी बता दें कि, राज्य सरकार के बजट की 40 फीसदी राशि सैलरी और पेंशन भुगतान में खर्च हो जाती है. वहीं बजट की 20 फीसदी राशि का इस्तेमाल सरकार ब्याज और कर्ज चुकाने के लिए करती है.
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