बंग्लादेश में अंतरीम सरकार का गठन हो चुका है. ये सरकार नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी है. मुहम्मद यूनुस इस अंतरीम सरकार के मुखिया है. हालांकि सरकार गठन के बाद भी बंग्लादेश में अस्थिरता के हालात बने हुए हैं. बंग्लादेश में अब भी हिंदुओं समेत अल्पसंख्यक निशाने पर हैं. इन सबके बीच एक और चौका देने वाला मामला सामने आया है.
खबरों के अनुसार, अब हिंदू, बौद्ध और ईसाई शिक्षकों को जबरन इस्तीफा देने को मजबूर किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि अब तक 49 शिक्षकों से जबरन इस्तीफा लिया गया है. द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक ये खुलासा बांग्लादेश छात्र ओइक्या परिषद जोकि बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद की छात्र इकाई है उसने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके किया है.
संगठन के समन्वयक साजिब सरकार ने कहा कि जबसे शेख हसीना की सरकार गिरी है तब से ही यहां पर धार्मिक और जातीय तौर पर अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि, देश भर में हिंदुओं पर हमले, महिलाओं पर हमले, लूटपाट, घरों- व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और हत्या की घटनाएं हो रही है. यही नहीं लोगों को शारीरिक प्रताड़ना भी दी जा रही है.
5 अगस्त को शेख हसीना ने दिया था इस्तीफा
साजिब सरकार ने कहा कि इसी के चलते 30 अगस्त तक 49 शिक्षकों ने मजबूरी में इस्तीफा दे दिया. हालांकि, 19 शिक्षकों की बहाली हो गई है. गौरतलब है कि, छात्रों के विरोध के बीच बीते पांच अगस्त को शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इस्तीफे के साथ ही उन्होंने बंग्लादेश को छोड़ दिया था. बता दें कि इस विरोध प्रदर्शन में 400 से अधिक लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी.
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