नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को शिक्षक दिवस पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में देश भर के 50 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2024 प्रदान किए.
President Droupadi Murmu conferred National Awards on teachers from across the country at a function held in New Delhi on Teachers’ Day. Emphasising that teaching is a sacred mission of human development, the President said that teachers should identify the natural talent of each… pic.twitter.com/eYLCZVJKoI
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 5, 2024
राष्ट्रपति मुर्मू ने इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षकों को ऐसे नागरिक तैयार करने होंगे जो न केवल शिक्षित हों बल्कि संवेदनशील, ईमानदार और उद्यमी भी हों. उन्होंने कहा कि जीवन में आगे बढ़ना ही सफलता है, लेकिन जीवन की सार्थकता दूसरों के कल्याण के लिए काम करने में है. हमारे अंदर करुणा होनी चाहिए. हमारा आचरण नैतिक होना चाहिए. सार्थक जीवन में ही सफल जीवन निहित है. छात्रों को ये मूल्य सिखाना शिक्षकों का कर्तव्य है.
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी शिक्षा व्यवस्था की सफलता में शिक्षकों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है. शिक्षण केवल एक नौकरी नहीं है. यह मानव विकास का एक पवित्र मिशन है. अगर कोई बच्चा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है, तो शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की जिम्मेदारी और भी बड़ी हो जाती है. उन्होंने कहा कि अक्सर शिक्षक केवल उन्हीं छात्रों पर विशेष ध्यान देते हैं जो परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करते हैं. हालांकि, उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन उत्कृष्टता का केवल एक आयाम है. कोई बच्चा बहुत अच्छा खिलाड़ी हो सकता है; किसी बच्चे में नेतृत्व कौशल हो सकता है; कोई बच्चा सामाजिक कल्याण गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भाग लेता हो. शिक्षक को प्रत्येक बच्चे की स्वभाविक प्रतिभा को पहचानना होता है और उसे मौका देना होता है.
किसी भी शिक्षा प्रणाली की सफलता में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षकों की होती है। शिक्षण कार्य केवल एक नौकरी नहीं है। यह मानव निर्माण का पवित्र अभियान है। pic.twitter.com/Kd6Ln7ncPT
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 5, 2024
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी समाज में महिलाओं की स्थिति उसके विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मानदंड है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों और अभिभावकों की यह जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को इस तरह शिक्षित करें कि वे हमेशा महिलाओं की गरिमा के अनुरूप आचरण करें. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं का सम्मान केवल ‘शब्दों’ में ही नहीं बल्कि ‘व्यवहार’ में भी होना चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के अनुसार, यदि कोई शिक्षक स्वयं निरंतर ज्ञान अर्जित नहीं करता है तो वह सही मायने में शिक्षण नहीं कर सकता. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी शिक्षक ज्ञान अर्जित करने की प्रक्रिया को जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से उनका शिक्षण अधिक प्रासंगिक और रोचक बना रहेगा.
राष्ट्रपति ने शिक्षकों से कहा कि उनके छात्रों की पीढ़ी एक विकसित भारत का निर्माण करेगी. उन्होंने शिक्षकों और छात्रों को वैश्विक मानसिकता और विश्व स्तरीय कौशल रखने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि महान शिक्षक एक महान राष्ट्र का निर्माण करते हैं. केवल विकसित मानसिकता वाले शिक्षक ही ऐसे नागरिक तैयार कर सकते हैं जो एक विकसित राष्ट्र का निर्माण करेंगे. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि छात्रों को प्रेरित करके हमारे शिक्षक भारत को दुनिया का ज्ञान केंद्र बनाएंगे.
हिन्दुस्थान समाचार
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