नई दिल्ली: वरिष्ठ राजनेता एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी का गुरुवार को एम्स में निधन हो गया. सीताराम येचुरी के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए शनिवार को माकपा के गोल मार्केट स्थित मुख्यालय में रखा जाएगा. उसी शाम को उनके शरीर को वापस एम्स ले जाया जाएगा. उनकी अंतिम इच्छा के तहत शोध और शिक्षण कार्यों के लिए उनके शरीर को एम्स को दान किया जाएगा. वामपंथी राजनीति के एक प्रभावी राजनेता सीताराम येचुरी के निधन पर राजनीतिक जगत से शोक संदेश प्राप्त हो रहे हैं.
राष्ट्रपति- प्रधानमंत्री ने जताया दुःख
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सीताराम येचुरी के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि माकपा महासचिव सीताराम येचुरी पहले एक छात्र नेता के रूप में और फिर राष्ट्रीय राजनीति में और एक सांसद के रूप में विशिष्ट और प्रभावशाली आवाज रहे. एक प्रतिबद्ध विचारक होते हुए भी उन्होंने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर मित्र बनाए. उनके परिवार और सहकर्मियों के प्रति उनकी हार्दिक संवेदना.
Saddened to learn about the demise of CPI (M) general secretary Shri Sitaram Yechury. First as a student leader and then in national politics and as a parliamentarian, he had a distinct and influential voice. Though a committed ideologue, he won friends cutting across the party…
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 12, 2024
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीताराम येचुरी के निधन से दुःख जताते हुए कहा कि वह वामपंथ के अग्रणी पथ प्रदर्शक थे और राजनीतिक क्षेत्र में सभी से जुड़ने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते थे. उन्होंने एक प्रभावी सांसद के रूप में भी अपनी पहचान बनाई.
Saddened by the passing away of Shri Sitaram Yechury Ji. He was a leading light of the Left and was known for his ability to connect across the political spectrum. He also made a mark as an effective Parliamentarian. My thoughts are with his family and admirers in this sad hour.… pic.twitter.com/Cp8NYNlwSB
— Narendra Modi (@narendramodi) September 12, 2024
राहुल गांधी और किरेन रिजिजू ने जताया शोक
लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि सीताराम येचुरी उनके मित्र थे. हमारे देश की गहरी समझ रखने वाले भारत के विचार के संरक्षक थे. वे उनके साथ होने वाली लंबी चर्चाओं को याद करेंगे। दुःख की इस घड़ी में उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना.
Sitaram Yechury ji was a friend.
A protector of the Idea of India with a deep understanding of our country.
I will miss the long discussions we used to have. My sincere condolences to his family, friends, and followers in this hour of grief. pic.twitter.com/6GUuWdmHFj
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 12, 2024
संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संसद में हमारे कई वर्षों के कामकाजी संबंध थे. माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी के निधन से उन्हें गहरा दुःख हुआ है.
I am deeply saddened by the tragic demise of veteran CPM leader, Sitaram Yechury ji. We had many years of working relations in the Parliament. Extending my deepest condolences to his family, colleagues and admirers. pic.twitter.com/s8QQAOqzEf
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) September 12, 2024
संयुक्त मोर्चा और यूपीए सरकार में येचुरी प्रमुख वार्ताकार रहे
माकपा के पोलित ब्यूरो ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि सीताराम येचुरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के शीर्ष नेता, वामपंथी आंदोलन के एक उत्कृष्ट नेता और एक प्रसिद्ध मार्क्सवादी विचारक थे.
CPI(M) Polit Bureau pays homage to Comrade Sitaram Yechury. pic.twitter.com/u4WuZtAAN3
— CPI (M) (@cpimspeak) September 12, 2024
माकपा की विज्ञप्ति में कहा गया कि तीन दशकों से अधिक समय तक पार्टी की केन्द्रीय नेतृत्व टीम के हिस्से के रूप में उन्होंने समय-समय पर पार्टी की राजनीतिक स्थिति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विचारधारा के क्षेत्र में भी सीताराम ने एक विशिष्ट भूमिका निभाई. केन्द्रीय समिति के अंतर्राष्ट्रीय विभाग के प्रमुख के रूप में उन्होंने कम्युनिस्ट और प्रगतिशील ताकतों के विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों में भाग लिया और समाजवादी देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया तथा साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलनों के साथ एकजुटता दिखाई.
सीताराम येचुरी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव थे. वे 1992 से माकपा के पोलित ब्यूरो के सदस्य थे. वे 2005 से 2017 तक राज्यसभा सांसद रहे. वर्ष 2008 में अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौते के दौरान वे सुर्खियों में रहे. उस समय वाम दलों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद से ही देश में वाम दलों का केन्द्र की राजनीति में प्रभाव घटता चला गया.
जन्म और पढ़ाई
सीताराम येचुरी का जन्म तमिलनाडु के तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था. पिता एसएस येचुरी आंध्र प्रदेश परिवहन विभाग में इंजीनियर थे और उनकी मां सरकारी अधिकारी थीं. बाद में वह दिल्ली आ गए. दिल्ली के सेंट स्टफिन कॉलेज से अर्थशास्त्र में बी. ए (ऑनर्स) किया और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया. सीताराम येचुरी का दूसरा विवाह वरिष्ठ पत्रकार सीमा चिश्ती से हुआ था. उनकी पहली पत्नी इंद्राणी मजूमदार से उनके दो बच्चे थे. उनकी बेटी अखिला येचुरी विदेश में इतिहास पढ़ाती हैं और बेटे अशीष येचुरी का कोविड महामारी के दौरान 2021 में निधन हो गया था.
छात्र राजनीति से की शुरूआत
सीताराम येचुरी 1974 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र आंदोलन में शामिल हुए और भारतीय छात्र संघ के नेता बन गए. साल 1975 में ही वे माकपा से जुड़ गए. दो साल के अंतराल में उन्हें तीन बार जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष चुना गया. वह 1984 से 1986 तक भारतीय छात्र संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष रहे और छात्र संगठन को अखिल भारतीय शक्ति के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आपातकाल के दौरान उन्हें उनकी राजनीतिक गतिविधियों के कारण गिरफ्तार किया गया था. 1985 में 12वीं कांग्रेस में उन्हें पार्टी की केंद्रीय समिति में चुना गया और वे अब तक केंद्रीय समिति में बने हुए थे. 1989 में उन्हें केंद्रीय सचिवालय और 1992 में पार्टी की 14वीं कांग्रेस में पोलित ब्यूरो में चुना गया.
लेखक और संपादक भी रहे येचुरी
सीताराम येचुरी दो दशकों से अधिक समय तक पार्टी के साप्ताहिक समाचार पत्र, पीपुल्स डेमोक्रेसी के संपादक रहे. वह एक लेखक भी थे. वैचारिक क्षेत्र में वे हिन्दू राजनीति के आलोचक थे. उन्होंने ‘यह हिंदू राष्ट्र क्या है?’ और ‘सांप्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता’ नामक दो पुस्तकें लिंखीं.
2017 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार मिला
सीताराम येचुरी 2005 से 2017 तक दो कार्यकालों के लिए राज्यसभा के सदस्य थे. उन्होंने सीपीआई (एम) समूह के नेता के रूप में कार्य किया. उन्हें 2017 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार दिया गया. हाल के समय में सीताराम येचुरी ने भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने और एकता बनाने में काफी प्रयास किया. संयुक्त मोर्चा सरकार और बाद में यूपीए सरकार दोनों के समय में सीताराम सीपीआई (एम) के प्रमुख वार्ताकारों में से एक थे.
येचुरी ने 1974 मे स्टूडेंड फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) से राजनीतिक जीवन की शुरूआत की. साल 1975 में आपातकाल के समय में येचुरी को गिरफ्तार किया गया था जिसके कारण से जवाहरलाल विश्वविद्यालय में पीएचडी में उनका दाखिला रूक गया था. येचुरी वामपंथी नेता होने के साथ – साथ सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार भी रहे. 1996 में संयुक्त मोर्चा के साथ मिलकर के साझा न्यूनतम सरकार बनाने में शामिल थे. येचुरी कई नामी समाचार पत्रों में कॉलम लिखते आए और समाजवाद और वैश्विक आर्थिक संकटों पर कई किताबें भी लिख चुके हैं. उन्हें अक्सर भारत और विदेशों में विश्वविद्यालयों और थिंक टैंकों में बोलने के लिए आमंत्रित किया जाता रहा है.
हिन्दुस्थान समाचार
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