नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय नौसेना के युद्धपोत से गुरुवार को अपराह्न 3:20 बजे ऐसी मिसाइल दागी है, जो दुश्मन के किसी भी हवाई हमले को नेस्तनाबूत कर सकती है. इसकी गति, सटीकता और मारक क्षमता इतनी घातक है कि ये राडार की भी पकड़ नहीं आती. ओडिशा तट पर चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से दागी गई वर्टिकल लॉन्च-शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम) को फिलहाल कोई नाम नहीं दिया गया है लेकिन इसे बराक-1 की जगह जंगी जहाजों में लगाए जाने की योजना है.
दुश्मन की राडार में पकड़ नहीं आती मिसाइल
ये मिसाइल भारत का सीक्रेट हथियार है. क्योंकि ये दुश्मन की राडार में पकड़ नहीं आती. किसी भी हवाई खतरे को चुटकियों में खत्म कर सकती है.भारतीय नौसेना ने परीक्षण के दौरान कम ऊंचाई पर उड़ रहे टारगेट को सतह से हवा में मार करने वाली ताकतवर गाइडेड मिसाइल से मार गिराया. कम ऊंचाई पर उड़ने वाले टारगेट का मतलब राडार को चकमा देकर आ रहा दुश्मन का विमान, ड्रोन, मिसाइल या हेलीकॉप्टर होता है. यानी भारत को अब दुश्मन इस तरीके से भी चकमा नहीं दे सकता, वर्ना भारतीय की यह मिसाइल दुश्मन की धज्जियां उड़ा देगी. यह मिसाइल 154 किलोग्राम वजनी है.
स्वेदश निर्मित मिसाइल की रेंज 25 से 30 किलोमीटर
इसे डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने मिलकर बनाया है. यह मिसाइल करीब 12.6 फीट लंबी है. इसका व्यास 7.0 इंच है.डीआरडीओ के अनुसार इसमें हाई-एक्सप्लोसिव प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया जाता है. वीएल-एसआरएसएएम मिसाइल की रेंज 25 से 30 किलोमीटर है. यह अधिकतम 12 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है. इसकी गति बराक-1 से दोगुनी है. यह मैक 4.5 यानी 5556.6 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ती है. इसे किसी भी जंगी जहाज से दागा जा सकता है. इस मिसाइल की तैनाती इसी साल होनी संभावित है. इस मिसाइल की खासियत ये है कि ये 360 डिग्री में घूमकर अपने दुश्मन को खत्म करके ही मानती है.
परीक्षण के दौरान डीआरडीओ ने उड़ान मार्ग और वाहन के प्रदर्शन मापदंडों की निगरानी उड़ान डेटा का उपयोग किया. परीक्षण के लिए विभिन्न रेंज उपकरणों राडार, ईओटीएस और टेलीमेट्री सिस्टम को आईटीआर, चांदीपुर ने तैनात किया गया था. डीआरडीओ और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी प्रक्षेपण की निगरानी की. भारतीय नौसेना के जहाजों पर तैनाती से पहले कुछ और परीक्षण किए जाएंगे. एक बार तैनात होने के बाद यह प्रणाली भारतीय नौसेना के लिए बहुउपयोगी साबित होगी.
इस मिसाइल की टेस्टिंग इसलिए की जा रही है, ताकि भारतीय युद्धपोतों से बराक-1 मिसाइलों को हटाकर स्वदेशी हथियार लगाया जा सके. बराक-1 मिसाइल इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज और राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने मिलकर बनाई है. इस मिसाइल का वजन 98 किलोग्राम होता है. बराक-1 सरफेस-टू-एयर-मिसाइल 6.9 फीट लंबी होती है. इसका व्यास 6.7 इंच होता है. इसकी खासियत ये है कि इसकी नाक में यानी सबसे ऊपरी नुकीले हिस्से में 22 किलोग्राम वॉरहेड रखा जा सकता है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीएल-एसआरएसएएम के सफल उड़ान परीक्षण पर डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और संबद्ध टीमों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि परीक्षण ने वीएलएसआरएसएएम हथियार प्रणाली की उच्च स्तर की विश्वसनीयता को फिर से सत्यापित किया है.
The @DRDO_India and Indian Navy have successfully flight tested Vertical Launch Short Range Surface-to-Air Missile (VL-SRSAM) from the Integrated Test Range, Chandipur off the coast of Odisha today.
RM Shri @rajnathsingh has congratulated DRDO, Indian Navy and associated teams… pic.twitter.com/UezbdnYDgJ
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) September 12, 2024
हिन्दुस्थान समाचार
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