हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने राज्य की विधानसभा को भंग कर दिया है. बता दें हरियाणा की 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 3 नंवबर 2024 तक था लेकिन राज्यपाल ने सरकार की सिफारिश पर 52 दिन पहले ही विधानसभा को भंग कर दिया है. गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय ने इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. जिसमें उन्होंने संविधान के आर्टिकल 174 के खंड(2) के उप-खंड (बी) द्वारा मिली शक्तियों का जिक्र करते हुए हरियाणा विधानसभा भंग करने की बात कही है.
#Haryana Governor Bandaru Dattatraya announces the dissolution of the #HaryanaLegislativeAssembly with immediate effect. pic.twitter.com/Qg4FhCunmQ
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 12, 2024
विधानसभा भंग होने से क्या होगा?
वहीं अगली सरकार गठन होने तक नायब सिंह सैनी ही कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर काम करेंगे. बता दें 11 सितंबर यानि बुधवार को ही सीएम नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में कैबिनेट ने गवर्नर को विधानसभा भंग करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. जिसे अब राज्यपाल ने स्वीकार कर विधानसभा भंग कर दी है. इसका मतलब है कि अब सभी मंत्री, विधायकों का कार्यकाल समाप्त हो गया है. सभी अब पूर्व विधायक कहे जाएंगे. सीएम सैनी और मंत्री बतौर कार्यवाहक के तौर पर काम करते रहेंगे लेकिन कोई नीतिगत फैसले नहीं ले पाएंगे. लेकिन कोई प्राकृतिक आपदा, महामारी और सुरक्षा जैसे मामले में वो फैसला लेने में सक्षम होंगे.
क्या है संवैधानिक संकट?
संविधान के आर्टिकल 174(1) के अनुसार, किसी भी विधानसभा के दो सेशन के बीच में 6 महीने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए. हरियाणा में 13 मार्च 2024 को विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था. उसी दौरान सीएम सैनी ने बहुमत भी हासिल किया था. लेकिन उसके बाद 12 सितंबर तक हर हाल में दूसरा सेशन बुलाना था. नायब सैनी सरकार ऐसा करने में सफल नहीं हो सकी. जिससे संवैधानिक संकट वाली स्थिति उत्पन्न हो गई.
दरअसल, 16 अगस्त को ही 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव आचार संहिता लागू हो गई. सैनी सरकार 17 अगस्त को होने वाली कैबिनेट मीटिंग में विधानसभा सत्र के लिए फैसला लेने वाली थी. लेकिन उससे एक दिन पहले ही आचार संहिता लग गई. सरकार भी इसे भांप नहीं पाई. उसके बाद माहौल चुनावी रंग में रंग गया और सेशन नहीं बुलाया जा सका. सैनी सरकार के पास चुनाव के समय विधानसभा को समय से पहले भंग करने की सिफारिश के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था.
हरियाणा में पहले भी 3 बार भंग हो चुकी है विधानसभा
आजादी के बाद पहली बार किसी राज्य में इस तरह के संवैधानिक संकट के लिए विधानसभा भंग की गई है. इससे पहले भी हरियाणा में बार समय से पहले विधानसभा भंग की गई थी लेकिन इन तीनों मामलों में समय से पहले चुनाव कराने के लिए ऐसा किया गया था. साल 1972 मे कांग्रेस सरकार के बंसीलाल ने एक साल पहले विधानसभा भंग करा दी थी. वहीं साल 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने 16 महीने पहले ही विधानसभा भंग करवाकर चुनाव कराए थे. साल 2009 में भूपेंद्र सिहं हुड्डा ने भी विधानसभा भंग कर समय से पूर्व चुनाव कराए थे.
5 अक्टूबर को वोटिंग, 8 को नतीजे
हरियाणा में 15वीं विधानसभा के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है. आज नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था. वहीं 5 अक्टूबर को सभी 90 सीटों पर वोटिंग होगी. हरियाणा के मतदाता 5 अक्टूबर को ही सभी पार्टियों के प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद करेंगे. वहीं 8 अक्टूबर को नतीजे आने के बाद नई सरकार का गठन हो जाएगा.
ये भी पढ़ें- डॉक्टरों के बातचीत से इनकार के बाद बोलीं ममता बनर्जी, ‘न्याय के लिए कुर्सी छोड़ने को तैयार, लेकिन…’
ये भी पढ़ें- TMC सांसद जवाहर सरकार ने राज्यसभा के सभापति को सौंपा इस्तीफा, ममता सरकार पर उठाए सवाल
कमेंट