दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से बाहर आने के 2 दिन बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है. केजरीवाल ने अपने स्पीच में कहा है कि वो चुनाव के बाद ही अगर दोबारा दोबारा चुनकर आते हैं. तभी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे. चुनाव होने तक पार्टी से ही कोई दूसरा चेहरा सीएम की जिम्मेदारी संभालेगा. अब सवाल उठता है कि आबकारी नीति घोटाले केस में 177 दिनों तक जेल में रहने के बावजूद उन्होंने पहले तो इस्तीफा नहीं दिया अब ऐसा क्या हुआ कि जमानत मिलने के महज 2 दिन बाद ही केजरीवाल ने अपना पद छोड़ने का ऐलान कर दिया. आइए हम आपको इसकी वजहें बताते हैं.
1. सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत तो दी है लेकिन उन्हें कुछ शर्तों के साथ. जिनमें मुख्य रूप से दो शर्ते महत्वपूर्ण हैं. पहली कि केजरीवाल सीएम ऑफिस नहीं जा सकेंगे. वहीं दूसरी शर्त है कि वो किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकेंगे. ऐसे में केजरीवाल कोई नीतिगत फैसला नहीं ले पाएंगे.
2. दिल्ली में कुछ महीने बाद चुनाव होने है. बजट सत्र के दौरान केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में हर महिला 1 हजार रूपये सम्मान राशि देने की घोषणा की थी लेकिन अबतक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है. कई स्कीम भी अधर में लटकी हुई है. सरकार चुनाव से पहले स्कीम को क्लीयर कर दिल्ली की जनता के बीच जाना चाहेगी.
3. दिल्ली में विधासभा का आखिरी सत्र 8 अप्रैल को बुलाया गया था. संविधान के अनुसार दो सेशन के बीच में 6 महीने से ज्यादा का समय नहीं होना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर विधानसभा भंग करने की नौबत आ जाती है अभी जो हरियाणा में देखने को मिला. ऐसे में सरकार को 8 अक्टूबर से पहले विधानसभा का सत्र बुलाना है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते वक्त जो शर्तें लगाई हैं. उसमें विधानसभा का सत्र बुलाना आसान नहीं है. क्योंकि उपराज्यपाल विधानसभा की बैठक कैबिनेट की सिफारिश पर बुलाते हैं और कैबिनेट को मुख्यमंत्री लीड करते है लेकिन मुख्यमंत्री शीर्ष अदालत की शर्तों के अनुसार ऐसा कर नहीं सकते इसलिए केजरीवाल ने इस्तीफा देने में ही भलाई समझी. दूसरा मुख्यमंत्री बनेगा तो 8 अक्टूबर से पहले उन्हें विधानसभा की बैठक बुलानी होगी.
4. वहीं अगर केजरीवाल इस्तीफा नहीं देते तो संवैधानिक संकट के चलते दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग जाता. ऐसे में दिल्ली में चुनाव की तारीख आगे बढ़ सकती थी. अभी फरवरी 2025 में चुनाव प्रस्तावित हैं. जम्मू-कश्मीर में ही देख लो विधानसभा भंग होने के 6 साल बाद चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में केजरीवाल बिल्कुल चुनाव में देरी नहीं चाहते. क्योंकि पार्टी सबसे ज्यादा राजधानी दिल्ली में मजबूत है.
5. केजरीवाल इस्तीफा देकर जनता के बीच ये मैसेज भी देना चाहते हैं कि वो ईमानदार है. बीजेपी झूठे केस में फंसा रही है. वो जताना चाहते है कि उन्हें कुर्सी का मोह नहीं है. जनता के लिए उन्होंने सीएम की कुर्सी छोड़ दी. दरअसल, केजरीवाल लोगों से सिम्पैथी वोट की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा भी है कि अब जो चुनाव होंगे, तब सरकार बनेगी और मैं मुख्यमंत्री बनूंगा.
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