अरविंद केजरीवाल ने दूसरी बार अपने आप दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने का ऐलान किया है. उन्हें शराब घोटाले मामले सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. इसके बाद ही पार्टी दफ्तर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. केजरीवाल ने कहा कि अब चुनाव में अगर दिल्ली की जनता मुझे ईमानदार मानती है तो वोट करेगी. अब दोबारा चुनने के बाद ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठूंगा. वहीं मनीष सिसोदिया ने भी सरकार में रहने से अपने आप को दूर कर लिया है. ऐसे में अब आम आदमी पार्टी से ही विधायक दल की बैठक में नया सीएम चुना जाएगा. ऐसा पहली बार नहीं है जब केजरीवाल ने अचानक इस्तीफा देकर विपक्ष को चौंकाया हो. पहले भी एक बार वो ऐसा कर चुके हैं.
49 दिन की सरकार के बाद दिया था इस्तीफा
आम आदमी पार्टी का गठन 26 नवंबर 2012 को हुआ था. जिसके बाद नई नवेली पार्टी ने दिल्ली विधानसभा का पहला चुनाव 2013 में लड़ा. इस चुनाव में बीजेपी 32 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन बहुमत का आंकड़ा पार करने में सफल नहीं हो सकी. आम आदमी पार्टी ने 28 सीटें जीती. वहीं 15 साल से सत्ता पर काबिज कांग्रेस महज 8 सीटों पर सिमट गई. ऐसे में किसी भी पार्टी को बहुमत ना मिलने की स्थिति में सरकार बनाने का पेंच फंस गया. काफी मशक्कत के बाद कांग्रेस ने राजधानी के हित में अपना बाहरी समर्थन आप को दे दिया. जिसके बाद कांग्रेस की बैसाखी के सहारे अरविंद केजरीवाल पहली बार दिल्ली के सीएम बने. सीएम बनते ही उन्होंने ताबड़तोड़ एक्शन लेना शुरू कर दिए. वो दिल्ली सरकार के विभाग में औचक निरीक्षण के लिए पुहंच जाते और कमियां मिलने पर अधिकारियों को सबके सामने फटकार लगाते. उस दौरान केजरीवाल की तुलना नायक फिल्म के अनिल कपूर से की जाती थी. लेकिन महज 49 दिन सरकार चलाने के बाद कांग्रेस ने आप से समर्थन वापस ले लिया और केजरीवाल सरकार गिर गई. केजरीवाल को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि केजरीवाल ने कहा कि वह जनलोकपाल बिल नहीं पास करा पाए इसलिए वह सीएम पद छोड़ रहे हैं.
पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं केजरीवाल
इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में किस्मत अजमाने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद से उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के सामने वाराणसी सीट से मैदान में उतर गए. चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने 2 लाख 9 हजार 318 मत हासिल किए थे. इस सीट पर पड़े कुल मत का 20.30 फीसदी अरविंद केजरीवाल को मिला था. लेकिन केजरीवाल चुनाव नहीं जीत सके.
2015 में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार
अब साल 2015 में दिल्ली में फिर एक बार विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा. आम आदमी पार्टी फिर से चुनाव में कूदी. इस बार आप की किस्मत काफी ज्यादा अच्छी थी. पार्टी ने 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा की 67 सीटों पर कब्जा कर लिया. महज 3 सीटें बीजेपी के खाते में आई और कांग्रेस शून्य पर सिमट गई. केजरीवाल दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और मनीष सिसोदिया को डिप्टी सीएम बनाया गया.
2020 में दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार
5 साल सरकार चलाने के बाद 2020 में अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर केजरीवाल फिर जनता के बीच गए. उन्होंने बिजली बिल हॉफ-पानी माफ, मोहल्ला क्लीनिक, सरकारी स्कूल में बदलाव, महिलाओं की मुफ्त यात्रा आदि स्कीमों का लाभ गिनवाया और आने वाले 5 साल में यमुना में डूबकी लगवाने, हर गली मोहल्ले में वाई-फाई, टंकी से पीने का पानी, सीवर लाइन, तारों को अंडरग्राउंड करने जैसी 10 गारंटी दी. जब 2020 विधानसभा चुनाव के परिणाम आए तब भी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीत ली. बीजेपी को 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा. कांग्रेस इस बार भी खाली हाथ रही. केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए.
दूसरे कार्यकाल में शराब नीति घोटाले में घिरे
लेकिन केजरीवाल का यह कार्यकाल शुरूआत में ठीक रहा. कार्यकाल शुरू होने के डेढ़ साल बाद 17 नवंबर 2021 को केजरीवाल सरकार ने राजधानी में नई शराब नीति लागू की थी. इसके तहत दिल्ली को 32 जोनों में बांटा गया. हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं. इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं. नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया. इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं. नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं. सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा. लेकिन ये पॉलिसी केजरीवाल सरकार के लिए जी का जंजाल बन गई.
क्या है दिल्ली शराब घोटाला?
शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था. जो उन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए गए. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया. इसमें पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया.
बता दें मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया था. नई नीति के जरिए लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी आरोप लगा. सरकार के राजस्व में भी भारी कमी देखी गई. विवाद बढ़ता देख दिल्ली सरकार ने पुरानी पॉलिसी को ही लागू कर दिया.
इस केस में मनीष सिसोदिया, कारोबारी विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और बीआरएस नेता के. कविता, सीएम केजरीवाल को भी गिरफ्तार किया गया था. हालांकि अभिषेक बोइनपल्ली को छोड़कर सभी को जमानत मिल चुकी है.
शराब घोटाले में केजरीवाल की टाइमलाइन
ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को उनके सरकारी आवास से गिरफ्तार किया था. 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था. वहीं इसी केस में केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को गिरफ्तार किया था, उस वक्त वह मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद थे. करीब 51 दिन बाद 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने 21 दिन के लिए आम चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल की रिहाई को मंजूरी दी. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की एक जून तक की रिहाई मंजूर की थी. 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था. सीएम अरविंद केजरीवाल को ईडी से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को जमानत दे दी थी. 13 सितंबर को केजरीवाल को आबकारी नीति मामले से जुड़े सीबीआई केस में भी जमानत मिल गई है. लेकिन कोर्ट ने केजरीवाल पर कई शर्तों के साथ जमानत दी है. जिसमें वो किसी फाइल पर साइन नहीं कर सकते, सीएम दफ्तर नहीं जा सकते, केस से जुडे मामले पर बात नहीं करेंगे. केस से जुड़े लोगों से मुलाकात की इजाजत भी नहीं है.
अब जमानत के 2 दिन बाद केजरीवाल ने फिर एक बार इस्तीफा देने की घोषणा की है. केजरीवाल ने महाराष्ट्र चुनाव के साथ ही दिल्ली में चुनाव कराने की मांग की है. वैसे दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 तक प्रस्तावित है. देखने वाली बात होगी की दिल्ली में चुनाव कब होते हैं और चुनाव तक केजरीवाल की जगह दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होता है.
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