भारत के संपन्न राज्यों में से एक कहा जाने वाला पश्चिम बंगाल इस समय अपने आर्थिक हालात को लेकर चर्चा में है. उसकी आर्थिक सेहत अब दिन पर दिन बिगड़ती चली जा रही है. इस बात का खुलासा प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट में ममता बनर्जी के राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर गंभीर चिंता प्रकट की है.
दरअसल, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में भारत के सबसे अमीर और गरीब राज्यों के सम्बंधित आंकड़े जारी किए है. साथ ही देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP में किन राज्यों का कितना योगदान रहा है. इसके बारे में भी जानकारी दी गई है.
रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. साल 1960-61 में जिस पश्चिम बंगाल की जीडीपी में 10.5% की हिस्सेदारी थी और आर्थिक मोर्चे पर उसका दबदबा माना जाता था. वो 2023-24 में घटकर महज 5.6% रह गई है. इतना ही नहीं बंगाल की प्रति व्यक्ति आय भी गिरकर राष्ट्रीय औसत का 83.7% रह गई है, जो कभी 127.5% हुआ करती थी. वेस्ट बंगाल के आंकड़े चिंताजनक इसलिए भी हैं क्योंकि उसके आर्थिक हालात राजस्थान और ओडिशा जैसे पारंपरिक रूप से पिछड़े राज्यों से खस्ताहाल है. बंगाल को छोड़कर अन्य समुद्र तटीय राज्यों ने बेहतर प्रदर्शन किया है.
बिहार, यूपी और महाराष्ट्र का हाल
सलाहकार परिषद के सदस्य के अनुसार पिछले 20 सालों में बिहार की सापेक्ष स्थिति स्थिर हुई है. हालांकि, इसके बावजूद बिहार अन्य राज्यों की तुलना में काफी पीछे है. पीएम की सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने अपने रिसर्च पेपर में इस बात को भी रेखांकित किया है कि बिहार में काफी तेज आर्थिक विकास की जरूरत है. बता दें बिहार का जीडीपी में योगदान 4.3% है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो यूपी का जीडीपी में योगदान घटकर 9.5% रह गया है. महाराष्ट्र, भारत की जीडीपी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी वाला राज्य है. लेकिन बीते कुछ सालों में इसका हिस्सा कुछ कम हुआ है और 15% से घटकर 13.3% रह गया है. बावजूद इसके, महाराष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय मार्च 2024 तक राष्ट्रीय औसत का 150.7% पर पहुंच गई है.
दिल्ली-हरियाणा और साउथ इंडिया का दबदबा
रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली, हरियाणा और साउथ इंडिया के राज्यों में अच्छा प्रदर्शन किया है. दिल्ली ने देश में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाला स्टेट रहने का खिताब कायम रखा है. दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय औसत का 250.8% है. हरियाणा में 176.8%, वहीं तेलंगाना की 193%, कर्नाटका की 180.7%, और तमिलनाडु की 171.1% हो गई है.
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