पूरे देश में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की कवायद तेज हो गई है. इसके संबंध में केंद्र की मोदी सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाया है. अब वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई. दरअसल, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में इसके लिए गठित कमेटी ने 14 मार्च को 18 हजार 626 पेज की अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी. कमेटी ने सुझावों के आधार पर लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफरिश की थी. साथ ही आम चुनाव के बाद 100 दिन के अंदर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश भी की थी.
Union Cabinet accepts recommendations of High-Level Committee on Simultaneous Elections
The Committee recommends that 'One Nation, One Election' be implemented in two phases. In the first phase: Lok Sabha and Assembly elections to be conducted simultaneously. In the second… pic.twitter.com/nRV2Q7u0dh
— ANI (@ANI) September 18, 2024
बता दें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई बनी समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था. इनमें से 32 ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया था. जबकि, 15 पार्टियां इसके विरोध में थीं. 15 ऐसी पार्टियां थीं, जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था. अब चर्चा के बीच वन नेशन-वन इलेक्श प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है.
पीएम ने लाल किले से किया था जिक्र
15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से दिए गए भाषण में वन नेशन-वन इलेक्शन का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं.
केन्द्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने आज कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि अब सरकार इस विषय पर व्यापक समर्थन जुटाने का प्रयास करेगी और समय आने पर इस पर संविधान संशोधन विधेयक लाया जाएगा. अश्वनी वैष्णव ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों और बड़ी संख्या में पार्टियों के नेताओं ने वास्तव में एक देश एक चुनाव पहल का समर्थन किया है. उच्च-स्तरीय बैठकों में बातचीत के दौरान वे अपना इनपुट बहुत संक्षिप्त तरीके और बहुत स्पष्टता के साथ देते हैं. हमारी सरकार उन मुद्दों पर आम सहमति बनाने में विश्वास करती है, जो लंबे समय में लोकतंत्र और राष्ट्र को प्रभावित करते हैं. यह एक ऐसा विषय है, जिससे हमारा देश मजबूत होगा.
#WATCH | On 'One Nation, One Election', Union Minister Ashwini Vaishnaw says, "A large number of political parties across the political spectrum has actually supported the One Nation One Election initiative. When they interact with high-level meetings, they give their input in a… pic.twitter.com/ipv4Y8HT9J
— ANI (@ANI) September 18, 2024
विपक्ष, खासकर कांग्रेस के इस पहल का विरोध करने के बारे में वैष्णव ने कहा कि समिति को मिली सिफारिशों पर 80 प्रतिशत से ज्यादा खासकर युवाओं ने एक साथ चुनाव कराने का पक्ष रखा है. उन्हें लगता है कि आने वाले समय में विपक्ष इस संबंध में आंतरिक दबाव महसूस कर सकता है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के मौजूदा कार्यकाल में एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू किया जाएगा.
#WATCH | On Mallikarjun Kharge's remark calling 'One Nation One Election' as "impractical", Union Minister Ashwini Vaishnaw says, "The opposition might start feeling internal pressure (about One Nation One Election) as more than 80% of respondents who responded during consultant… pic.twitter.com/1VPoq7f6aI
— ANI (@ANI) September 18, 2024
वैष्णव ने कहा कि देश में 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव होते रहे हैं. इसके बाद 1999 में विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि पांच साल में लोकसभा और सभी विधानसभाओं का एक चुनाव होना चाहिए ताकि देश में विकास होता रहे. उन्होंने बताया कि 2015 में संसदीय समिति ने अपनी 79वीं रिपोर्ट में सरकार से दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने के तरीके सुझाने को कहा था. इसके बाद, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया और उस समिति ने राजनीतिक दलों, न्यायाधीशों, संवैधानिक विशेषज्ञों सहित हितधारकों के व्यापक स्पेक्ट्रम से व्यापक परामर्श किया.
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में देशभर में एक साथ चुनाव कराने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था. समिति ने इस संबंध में विभिन्न पार्टियों और हितधारकों से इस पर विचार किया और पिछली सरकार के दौरान ही अपनी सिफारिशें दीं. इसमें प्रस्ताव किया गया है कि एक अवधि के बाद सभी राज्यों की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल छोटा कर एक साथ चुनाव करायें जायें. केन्द्र और विधानसभा में चुनाव के थोड़े समय बाद ही नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव कराए जायें. बहुमत न मिलने और अल्पमत की स्थिति में दोबारा चुनाव कराए जाने पर कार्यकाल केवल बाकी बचे समय के लिए हो.
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